भारत में खेती सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि करोड़ों किसानों की जीवनरेखा है. लेकिन अब यह जीवनरेखा जलवायु परिवर्तन की मार झेल रही है. हाल ही में ऑल इंडिया फार्मर एसोसिएशन (FAIFA) की एक रिपोर्ट “Nourishing the Future: A Report on Climate-Resilient Agriculture” में चेतावनी दी गई है कि आने वाले समय में भारत की खेती को 25% तक उत्पादन में गिरावट का सामना करना पड़ सकता है. इसका मुख्य कारण है अनियमित बारिश, सूखा, तापमान में तेजी से वृद्धि और कीटों का बढ़ता प्रकोप. चलिए जानते हैं क्यों खेती से जुड़े उत्पादों में गिरावट हो सकती है.
मौसम का बदलता मिजाज और उसका असर
इस बार देश में बारिश का समय तय नहीं रहा, कभी सूखा, कभी बाढ़, तो कहीं बेहिसाब बारिश से फसलों का चक्र पूरी तरह बिगड़ गया है. तापमान बढ़ने से कुछ फसलें समय से पहले पक रही हैं या खराब हो रही हैं.
बिगड़ रही है मिट्टी और पानी की हालत
FAIFA ने कहा है कि देश में लगातार मिट्टी की गुणवत्ता घट रही है. इतना ही नहीं पानी का स्तर भी लगातार गिर रहा है और खेती की लागत बढ़ रही है. ये सब मिलकर किसानों की कमाई और मेहनत पर सीधा असर डाल रहे हैं.
इन राज्यों में ज्यादा असर
उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक जैसे राज्यों में फसलें सबसे ज्यादा प्रभावित हो रही हैं. यहा खेती का बड़ा हिस्सा मानसून पर निर्भर है. लेकिन अधिक बारिश ने इस सीजन फसलों को बर्बाद कर दिया है.
समाधान क्या है?
रिपोर्ट में कहा गया है कि अब खेती को जलवायु के अनुकूल बनाने की जरूरत है. इसके लिए सरकार और निजी क्षेत्र को मिलकर काम करना होगा. इसके लिए उन्होंने कुछ उपाय भी बताए हैं. जैसे-
- जल-संरक्षण वाली सिंचाई (माइक्रो इरिगेशन) को बढ़ावा
- सोलर पंप और जैविक खाद जैसे उपायों पर सब्सिडी
- ऐसे बीजों की खोज जो मौसम की मार झेल सकें
- किसानों को प्रशिक्षित करने के लिए अधिक प्रशिक्षण कार्यक्रम
- स्मार्ट खेती (जैसे ड्रोन, सेंसर से निगरानी) को बढ़ावा
क्या कर रही है सरकार?
सरकार की कई योजनाएं जैसे प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और माइक्रो इरिगेशन स्कीम पहले से चल रही हैं, लेकिन इनका लाभ अभी सीमित किसानों को ही मिल पा रहा है. इसकी वजह है कम जानकारी, शुरुआत में ज्यादा लागत और योजना का सही क्रियान्वयन न होना.
 
 
                                                             
                             
                             
                             
                             
 
 
                                                     
                                                     
                                                     
                                                     
                                                    