उत्तर भारत के मैदानी इलाकों के लिए बेस्ट है गेहूं की ये किस्म, प्रति हेक्टेयर होगी 52 क्विंटल पैदावार

करण खुशबू (DBW- 386) समय से पकने वाली गेहूं की एक किस्म है. यह किस्म बुवाई के करीब 123 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. अगर किसान इसकी खेती करते हैं, तो बंपर पैदावार होगी.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Updated On: 2 Aug, 2025 | 06:42 PM

गेहूं भारतीय कृषि क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण फसल है, जिसकी खेती किसान बड़े पैमाने पर करते हैं. किसानों की आमदनी का एक बहुत बड़ा हिस्सा गेहूं की खेती से आता है. भारत में गेहूं को अन्न का राजा माना जाता है. देशभर में किसान गेहूं की खेती से अच्छी कमाई करते हैं जिसके लिए वे उन्नत किस्मों का चुनाव करते हैं. ऐसी ही एक उन्नत किस्म है करण खुशबू (DBW- 386) जिसे भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान (IIWBR), करनाल द्वारा विकसित किया गया है. किसानों के बीच यह किस्म ज्यादा फायदा पहुंचाने के लिए लोकप्रिय है.

खेती के लिए सही समय का चुनाव

गेहूं की खेती के लिए सही समय का चुनाव करना बेहद जरूरी है. गेहूं करण खुशबू जिसे DBW- 386 भी कहा जाता है. इसकी खेती के लिए नवंबर का महीना सबसे सही माना जाता है. विशेष रूप से अक्टूबर के आखरी दिनों से लेकर नवंबर के तीसरे हफ्ते तक इसकी खेती करना बेस्ट माना जाता है. अगर किसान इस समय इस किस्म की बुवाई करते हैं तो काफी अच्छी पैदावार मिलती है. ध्यान देने वाली बात है कि इसकी बुवाई से पहले किसान ये जरूर जांच लें कि खेत की मिट्टी में नमी पर्याप्त मात्रा में हो और जल निकासी की भी सही व्यवस्था हो.

उत्तर भारत में खेती के लिए बेस्ट है ये किस्म

भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान (IIWBR), करनाल द्वारा विकसित की गई गेहूं करण खुशबू (DBW- 386) की खेती के लिए उत्तर भारत के राज्य जैसै पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान आदि में की जाती है. इसके अलावा मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों के लिए गेहूं की खेता कि लिए ये किस्म सही मानी जाती है. बता दें कि मैदानी इलाकों के अलावा जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों और उत्तराखंड के भी कुछ हिस्सों में किसान इसकी खेती करते हैं. ये किस्म उन इलाकों में बेहतर उपज देती है जहां सिंचाई की उचित साधन हों.

इस किस्म की बुवाई करने पर होगी बंपर पैदावार

ICAR द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, करण खुशबू (DBW- 386) समय से पकने वाली किस्म है जो कि बुवाई के करीब 123 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. बात करें इस किस्म से होने वाली पैदावार की तो, किसान इस किस्म की प्रति हेक्टेयर खेती से औसतन 52 क्विंटल तक पैदावार ले सकते हैं. इसके साथ ही गेहूं की इस किस्म की खासियत है कि ये बहुत से रोगों के प्रति सहनशील है. किसनों की इसकी खेती से प्रति हेक्टेयर फसल से औसतन 1.25 लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है.

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Published: 2 Aug, 2025 | 06:35 PM

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