किसानों की फसलों और उत्पादों को जीआई टैग मिलने से उनकी कीमत और बिक्री में बढ़ोत्तरी होती है. साथ ही किसानों को भी पहचान मिलती है. इसीलिए जिले स्तर पर जीआई टैग के लिए आवेदन प्रक्रिया की जाती है. अब खजूर के लडडू और बालूशाही को भी जीआई टैग दिलाने की प्रक्रिया तेज हो गई है. यह दोनों उत्पाद उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के हैं और इन्हें साल 1945 से जिले में बनाया और खाया जा रहा है. जिला प्रशासन ने जीआई टैग दिलाने के लिए तैयारियां तेज कर दी हैं.
उत्तर प्रदेश का बागपत जिला यूं तो गन्ना की खेती के लिए मशहूर है. लेकिन, यहां के आम की खास किस्म रटौल देश ही दुनियभर में मशहूर है और रटौल आम को जीआई टैग भी हासिल हो चुका है. बागपत में खास तरह से बनाए जाने वाले गुड़ को भी जीआई टैग मिल चुका है. लेकिन, अब बारी है खजूर के लड्डुओं और बालूशाही को जीआई टैग दिलाने की.
बालूशाही और खजूर के लड्डू को भी मिलेगा जीआई टैग
बागपत जनपद के पारंपरिक उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने की दिशा में जिलाधिकारी अस्मिता लाल ने बीते दिनों कलेक्ट्रेट सभागार में अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की. इस दौरान बालूशाही और खजूर के लड्डू को जीआई टैग दिलाने की प्रक्रिया तेज करने के निर्देश दिए गए.
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1948 से देशभर में मशहूर है बालूशाही
अधिकारियों ने जिले की प्रसिद्ध बालूशाही और निरपुड़ा गांव के विशेष छुआरे के लड्ड को जीआई टैग के लिए प्रस्तावित किया है. बालूशाही और खजूर के लड्डू साल 1948 से यहां बनाए जा रहे हैं, जिन्हें देश ही नहीं विदेशों में भी डिमांड है. यहां के खजूर के लड्डू और बालूशाही को दिल्ली एनसीआर के साथ ही हरियाणा समेत अन्य राज्यों के लोग ले जाते हैं.
जीआई टैग के लिए जरूरी दस्तावेज तैयार करने के निर्देश
डीएम अस्मिता लाल ने निर्देश दिए कि दोनों उत्पादों खजूर के लड्डू और बालूशाही से संबंधित सभी आवश्यक दस्तावेज, क्वालिटी परीक्षण रिपोर्ट आदि निर्धारित समय में तैयार कर जीआई टैग के लिए भेजी जाए. बैठक में संबंधित विभागों को जीआई आवेदन के लिए आवश्यक तैयारियों को समय पर पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं.
रटौल आम और गुड़ को मिल चुका जीआई टैग
वर्तमान में जनपद के तीन उत्पाद गुड़, होम फर्निशिंग और रटौल आम को जीआई टैग मिल चुके हैं. बैठक में डीएम ने रटौल आम के जीआई टैग के रिन्यू आवेदन को भेजे जाने के निर्देश दिए. जनपद के पारंपरिक उत्पादों को राष्ट्रीय पहचान दिलाने की व्यापक रणनीति के तहत बागपत के चावल के लिए हर ब्लॉक में क्लस्टर बनाए जाने के निर्देश भी दिए गए हैं.