गेहूं की 23 नई किस्में आने वाली हैं बाजार में, किसानों की बढ़ेगी उपज और आमदनी

नई किस्मों की मंजूरी और वितरण भारत के लिए कृषि क्षेत्र में बड़ी राहत है. इससे न केवल गेहूं का उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि किसानों की आय में सुधार और देश की खाद्य सुरक्षा में मजबूती भी आएगी.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 11 Oct, 2025 | 08:09 AM

Wheat Varieties: भारत में गेहूं की खेती देश की खाद्य सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. हर साल नई किस्मों को विकसित कर किसानों की मदद करने की कोशिश की जाती है ताकि उत्पादन बढ़ सके और रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली फसल उगाई जा सके. इसी कड़ी में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने इस साल 23 नई गेहूं की किस्मों और 5 जौ की किस्मों को वाणिज्यिक(commercial) रिलीज के लिए शॉर्टलिस्ट किया है. यह निर्णय उस समय आया है जब आगामी गेहूं बुवाई का मौसम शुरू होने वाला है.

नई किस्मों की मंजूरी और चयन प्रक्रिया

ICAR की Varietal Identification Committee (VIC) ने अगस्त 2025 में हुई बैठक में कुल 46 नई गेहूं और जौ की किस्मों की समीक्षा की. बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 28 किस्में वाणिज्यिक रिलीज के लिए केंद्रीय उप-समिति Central Sub-Committee on Crop Standards, Notification & Release of Varieties (CSN&RV) के पास भेजी जाएंगी. इनमें से 23 नई किस्में गेहूं की हैं और सभी पांच जौ की किस्में सरकारी संस्थानों और निजी कंपनियों द्वारा विकसित की गई हैं.

इस बार मंजूरी की प्रक्रिया पहले से अधिक कड़ी रही, क्योंकि कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों द्वारा वाणिज्यिक रूप से जारी नई किस्मों को अपनाने में अनिच्छा पर चिंता व्यक्त की थी. मंत्री ने सवाल उठाया कि जब कई किस्में वाणिज्यिक रूप से उपलब्ध हैं, तो किसानों द्वारा उनका क्यों उपयोग नहीं किया जाता. इसी कारण चयन प्रक्रिया में हर किस्म का उत्पादन, रोग प्रतिरोधक क्षमता और क्षेत्रीय उपयुक्तता को विशेष ध्यान में रखा गया.

विभिन्न विश्वविद्यालय और संस्थानों की नई किस्में

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) ने चार किस्मों के लिए मंजूरी मांगी थी, जिनमें से केवल PBW 906 और PBW 915 को मंजूरी मिली. PBW 915 उच्च उपज देने वाली किस्म है और उत्तर-पूर्वी मैदान क्षेत्र में गेहूं रस्ट रोगों के लिए अधिक प्रतिरोधक है. PBW 906 मध्य क्षेत्र के लिए उपयुक्त है और इसमें भी उच्च उपज और रोग प्रतिरोधक क्षमता है.

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) की 11 नई किस्मों में से 7 को मंजूरी मिली, जबकि भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान (IIWBR) की 6 किस्मों में से केवल 2 गेहूं किस्में और सभी 3 जौ की किस्में मंजूर हुईं. इस प्रकार सरकार ने समय पर किसानों तक उच्च गुणवत्ता वाले बीज पहुंचाने का रास्ता साफ कर दिया है.

उत्पादन और कृषि बाजार पर प्रभाव

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, भारत का अनुमानित गेहूं उत्पादन 2024-25 में रिकॉर्ड 117.51 मिलियन टन रहा. सरकार का लक्ष्य इस साल उत्पादन को 119 मिलियन टन तक बढ़ाना है. नई किस्मों की समय पर मंजूरी से बीज कंपनियां तुरंत इन बीजों को उगाना शुरू कर सकेंगी और किसान उच्च उपज देने वाले, रोग प्रतिरोधक और जलवायु के अनुसार टिकाऊ बीजों का उपयोग कर सकेंगे.

पूर्व रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष प्रमोद कुमार का कहना है कि किसानों को कभी-कभी नई किस्म अपनाने में अनिच्छा होती है, खासकर उन राज्यों में जहां गेहूं सामान्यतः नहीं उगाया जाता. उनका सुझाव है कि नई किस्मों की सफलता को लेकर अध्ययन किया जाए और किसानों को प्रशिक्षण देकर उन्हें अपनाने में मदद की जाए.

भविष्य में फसल उत्पादन की संभावनाएं

नई किस्मों की मंजूरी और वितरण भारत के लिए कृषि क्षेत्र में बड़ी राहत है. इससे न केवल गेहूं का उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि किसानों की आय में सुधार और देश की खाद्य सुरक्षा में मजबूती भी आएगी. ICAR और बीज कंपनियों की यह पहल किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले, रोग प्रतिरोधक और जलवायु अनुकूल बीज उपलब्ध कराने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है. समय पर बीज उपलब्ध होने से किसानों को बुवाई में आसानी होगी और भारत का गेहूं निर्यात भी मजबूत बनेगा.

इस प्रकार, 23 नई गेहूं की किस्मों और 5 जौ की किस्मों की मंजूरी भारतीय कृषि क्षेत्र के लिए उम्मीद और संभावनाओं की नई किरण लेकर आई है.

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