Improved Wheat Variety: 15 अक्टूबर के बाद हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में गेहूं की बुवाई शुरू हो जाएगी. लेकिन कई ऐसे किसान हैं, जो गेहूं की बेहतरीन किस्मों को लेकर असमंजस में हैं. वे फैसला नहीं कर पा रहे हैं कि गेहूं की कौन सी किस्म की बुवाई की जाए, जिससे कम लागत में बंपर पैदावार मिले. लेकिन अब ऐसे किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. आज हम एक ऐसी खास गेहूं की किस्म के बारे में बात करने जा रहे है, जो पीली, भूरी और काली रस्ट जैसी बीमारियों के प्रति भी बेहद प्रतिरोधक है. साथ ही इसकी बुवाई करने पर पैदावार भी अच्छी होगी.
दरअसल, हम जिस गेहूं की उन्नत किस्म के बारे में बात करने जा रहे हैं उसका नाम HD 3385 है. इस किस्म को पूरी तरह स्वदेशी प्रयासों से विकसित किया गया है. यह किस्म ज्यादा पैदावार देने वाली, गर्मी सहन करने वाली और रस्ट रोधी (बीमारी रोधी) है. इसे खासतौर पर उत्तर पश्चिमी मैदान क्षेत्र (NWPZ), उत्तर पूर्वी मैदान क्षेत्र (NEPZ) और मध्य भारत के लिए तैयार किया गया है, जहां जलवायु परिवर्तन की वजह से फसलों पर असर पड़ रहा है.
गेहूं की किस्म का शानदार प्रदर्शन
इस किस्म को Protection of Plant Varieties and Farmers’ Rights Act (PPVFRA) के तहत रजिस्टर किया गया है. HD 3385 ने पिछले साल देश के कई हिस्सों में शानदार प्रदर्शन किया और कई जगहों पर 7 टन प्रति हेक्टेयर से अधिक उत्पादन दिया. परीक्षण के दौरान इसने अन्य प्रमुख किस्मों जैसे HD 2967 (15 फीसदी ज्यादा), HD 3086 (10 फीसदी), DBW 222 (6.9 फीसदी) और DBW 187 (6.7 फीसदी) से बेहतर प्रदर्शन किया.
इन रोगों का नहीं होगा असर
गेहूं की किस्म HD 3385 की ऊंचाई करीब 98 सेंटीमीटर है और यह गिरने (lodging) की समस्या से काफी हद तक सुरक्षित रहती है, जिससे उन्नत खेती के तरीकों में भी यह स्थिर बनी रहती है. इसकी सबसे बड़ी खासियत इसका ‘Beat the Heat’ गुण है, जो इसे तेज गर्मी के असर से बचाता है. बदलते जलवायु में यह गुण गेहूं की अच्छी पैदावार बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी है. यह किस्म पीली, भूरी और काली रस्ट जैसी बीमारियों के प्रति भी बेहद प्रतिरोधक है, जिससे किसानों को फफूंदनाशकों पर कम खर्च करना पड़ता है. इसमें बेहतरीन टिलरिंग क्षमता (यानी एक पौधे से ज्यादा बालियों का निकलना) भी है, जो इसकी ज्यादा उपज का एक बड़ा कारण है.
किसानों को मिलेगा ज्यादा मुनाफा
HD 3385 जल्दी बुवाई और संरक्षण कृषि (conservation agriculture) के लिए भी उपयुक्त है, जिससे संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल होता है और किसानों को ज्यादा मुनाफा मिलता है. यह किस्म सिंचित क्षेत्रों के किसानों के लिए आदर्श मानी जा रही है. देशभर खासकर मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के किसानों से मिले बेहतर फीडबैक के आधार पर कहा जा सकता है कि जल्दी बुवाई करने पर यह किस्म निश्चित रूप से अधिक उपज देती है. HD 3385 का आना जलवायु-प्रतिरोधी गेहूं की किस्मों के विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है.