Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में एक डिजिटल मार्केट प्लेस का पायलट प्रोजेक्ट लागू किया गया है. इसे पायलट प्रोजेक्ट को JICA DXLab (JICA और BCG की डिजिटल लैब वेंचर) ने लॉन्च किया है. इसका मकसद छोटे किसानों की आमदनी बढ़ाना और फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करना है. साथ ही इस प्रोजेक्ट से जुड़ने के बाद किसानों को मंडी से 10 फीसदी ज्याद रेट मिलेगा. सरकार को उम्मीद है कि इससे फसल की बर्बाद कम होगी और किसानों की इनकम में बढ़ोतरी होगी. इससे किसान पहले से बेहतर जिन्दगी जी पाएंगे.
बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, यह प्रोजेक्ट एग्रीटेक कंपनी DeHaat और हिमाचल प्रदेश कृषि विभाग के सहयोग से सोलन और मंडी जैसे जिलों में शुरू किया गया है. इसके तहत किसानों को सीधे फसल भंडारण केंद्रों से जोड़ा गया है, जिससे बिचौलियों की जरूरत कम हुई और किसानों को बेहतर दाम मिले. हालांकि, इसका मुख्य उद्देश्य किसानों की आमदनी बढ़ाना और सीधे बाजार तक पहुंच बनाना है, ताकि अन्नदाता को उनकी उपज सही दाम मिल सके. BCG की मैनेजिंग डायरेक्टर सुषमा वासुदेवन के अनुसार, इस डिजिटल मार्केटप्लेस पर अभी तक 1,000 से अधिक किसानों को जोड़ा जा चुका है. साथ ही जिन किसानों ने इस प्लेटफॉर्म के जरिए अपनी फसल बेची, उन्हें मंडी भाव की तुलना में औसतन 10-11 फीसदी अधिक कीमत मिली है.
क्यों लॉन्च किया गया प्रोजेक्ट
इस डिजिटल मार्केटप्लेस के प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट का मुख्य उद्देश्य कृषि क्षेत्र की पुरानी समस्याओं को हल करना है. दरअसल, पहले बिचौलियों की भूमिका, पारदर्शिता की कमी और किसानों की सीधी बाजार पहुंच न होने के चलते किसानों की आमदनी में अक्सर 10 फीसदी तक की कमी आ जाती थी. लेकिन इस प्रोजक्ट के लॉन्च होने से किसानों को इन समस्याओं से छुटकारा मिला है.
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रियल-टाइम में मिलेगी बाजार की जानकारी
सुषमा वासुदेवन का कहना है कि इस डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए किसानों को रियल-टाइम में बाजार की जानकारी और दाम मिलते हैं. किसान अपनी फसल को स्थानीय कलेक्शन सेंटर के जरिए बेच सकते हैं. खास बात यह है कि डिजिटल ट्रैकिंग के साथ भुगतान सीधे बैंक खाते में मिलता है. साथ ही फसल कटाई के बाद नुकसान को कम करने के लिए इन्वेंटरी मैनेजमेंट, लॉजिस्टिक्स और स्टोरेज जैसी सुविधाएं भी प्लेटफॉर्म पर दी गई हैं.
क्या है इस प्रोजेक्ट का उदेश्य
दरअसल, हिमाचल एक पहाड़ी राज्य है. ऐसे में इन परिस्थितियों को ध्यान में रखकर प्लेटफॉर्म को खास तौर पर कस्टमाइज किया गया है. निष्ठा वेंगुर्लेकर (JICA) ने कहा कि DXLab का मकसद JICA के मौजूदा प्रोजेक्ट्स में डिजिटल समाधान जोड़ना है. उन्होंने कहा कि हिमाचल में हम ये देख रहे थे कि गेहूं और धान की पारंपरिक खेती से हटकर फसल विविधीकरण के जरिए किसानों की आय कैसे बढ़ाई जा सकती है.
प्रोजेक्ट से जोड़ी गईं ये फसलें
पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत टमाटर पर केंद्रित थी, क्योंकि यह फसल हिमाचल के मौसम के अनुसार उपयुक्त है. बाद में मटर को भी जोड़ा गया. हालांकि यह प्लेटफॉर्म शुरू में कुछ ही फसलों के लिए बना था. किसानों ने इसे फूलगोभी जैसी दूसरी सब्जियां बेचने के लिए भी इस्तेमाल किया. यह प्लेटफॉर्म APMC सिस्टम से जुड़ा नहीं था, बल्कि यह एक स्वतंत्र थर्ड-पार्टी समाधान था, जिसे राज्य सरकार ने जमीनी स्तर पर लागू करने में सहयोग दिया. वासुदेवन ने कहा कि यह एक आदर्श उदाहरण (लाइटहाउस प्रोजेक्ट) है, जिससे यह समझने में मदद मिलती है कि डिजिटल मार्केटप्लेस को सही तरीके से कैसे स्केल किया जाए और अलग-अलग हितधारकों के सहयोग से किसी भी टेक्नोलॉजी सॉल्यूशन को कैसे बाजार तक पहुंचाया जा सकता है.