इस गाय का घी बिकता है 5500 रुपए किलो, जानिए क्यों है यह पहाड़ों की खास गाय

ये गाय पहाड़ों की खास नस्ल है, जिसका घी 5500 रुपए किलो बिकता है. दूध कम होने के बावजूद घी की गुणवत्ता और पोषण से यह गाय किसानों के लिए लाभकारी साबित हो रही है.

Kisan India
नोएडा | Published: 3 Oct, 2025 | 05:08 PM

Badri cow: भारत में गाय का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व बेहद गहरा है. इसे माता का दर्जा दिया गया है क्योंकि गाय से प्राप्त सभी उत्पाद स्वास्थ्य और प्रकृति के लिए लाभदायक माने जाते हैं. आजकल किसान खेती के साथ-साथ गौ पालन से भी अच्छी आमदनी कमा रहे हैं. ऐसे में उत्तराखंड की खास नस्ल, बद्री गाय, अपनी खासियतों के कारण चर्चा में है. बद्री गाय को पहाड़ों की कामधेनु कहा जाता है और इसका घी 5500 रुपए प्रति किलो बिकता है, जो इसे बेहद खास बनाता है. आइए जानते हैं इस गाय के बारे में विस्तार से.

बद्री गाय क्या है?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बद्री गाय उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में पाई जाने वाली एक दुर्लभ गाय की नस्ल  है. इसे स्थानीय लोग और किसान बहुत पसंद करते हैं क्योंकि यह ठंडे पहाड़ी इलाके की कठोर परिस्थितियों में भी अच्छी तरह से जीवित रहती है. बद्री गाय का दूध मात्रा में कम होता है, यानी यह लगभग 3 से 4 लीटर दूध ही देती है, जो सामान्य गायों की तुलना में कम है. लेकिन इस गाय के दूध से बनने वाला घी बाजार में अपनी उच्च कीमत के कारण खास लोकप्रिय है.

बद्री गाय का दूध और घी क्यों खास है?

बद्री गाय का दूध अन्य गायों की तुलना में बहुत ज्यादा पोषक तत्वों  से भरपूर होता है. इसमें फैट की मात्रा लगभग 8.4 प्रतिशत होती है, जो सामान्य गाय और भैंस के दूध की तुलना में कहीं अधिक है. इसके अलावा, इस दूध में 3.26 प्रतिशत क्रूड प्रोटीन और 9.02 प्रतिशत टोटल सॉलिड्स पाए जाते हैं, जो इसे बहुत पौष्टिक बनाते हैं. यही कारण है कि बद्री गाय का घी बाजार में 5500 रुपए प्रति किलो तक बिकता है, जबकि साधारण गाय का घी लगभग 800 से 1000 रुपए प्रति किलो बिकता है.

क्यों मिलती है बद्री गाय को ‘पहाड़ों की कामधेनु’ की उपाधि?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कामधेनु  एक पौराणिक गाय है, जिसे समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है. बद्री गाय को पहाड़ों की कामधेनु इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह कठिन पहाड़ी क्षेत्रों में भी बढ़िया दूध देती है और इसके उत्पाद, खासकर घी, पौष्टिक और महंगे होते हैं. यह गाय स्थानीय किसानों के लिए एक अनमोल संसाधन है, जो उनकी आय का अच्छा स्रोत बनता है.

बद्री गाय विलुप्त होने के कगार पर

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बद्री गाय की संख्या लगातार घटती जा रही है. दूध की कम मात्रा के कारण कई किसान इसे पालना बंद कर रहे हैं. आजकल यह गाय विलुप्त होने के खतरे में है. उत्तराखंड के चंपावत जिले के नरियाल गांव में एक प्रजनन केंद्र है, जहां इस नस्ल को बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं. लेकिन इसके संरक्षण के लिए और अधिक जागरूकता और समर्थन की आवश्यकता है. किसान और प्रशासन दोनों को मिलकर इस नस्ल को बचाना होगा.

किसान कैसे लाभान्वित हो सकते हैं?

बद्री गाय की सबसे बड़ी खासियत इसका उच्च गुणवत्ता वाला दूध  और महंगा घी है. किसान इसे पालकर बाजार में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. हालांकि दूध की मात्रा कम होती है, लेकिन दूध और घी की गुणवत्ता इतनी बेहतर होती है कि यह कीमत में बाकी गायों से काफी आगे है. अगर किसान इस गाय की सही देखभाल करें और संरक्षण पर ध्यान दें, तो यह नस्ल उनके लिए आर्थिक रूप से लाभकारी साबित हो सकती है.

संरक्षण के लिए क्या करना चाहिए?

बद्री गाय के संरक्षण के लिए हमें इसकी विशेषताओं को समझना और बढ़ावा देना होगा. सरकार और गैर-सरकारी संस्थाओं को मिलकर किसानों को इस नस्ल की खेती के फायदे बताने चाहिए. साथ ही, प्रजनन केंद्रों का विस्तार करना और इस नस्ल के प्रजनन कार्यक्रमों को बढ़ावा देना चाहिए. किसानों को भी दूध की मात्रा की बजाय दूध की गुणवत्ता पर ध्यान देना होगा ताकि यह दुर्लभ नस्ल बनी रहे और वह आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें.

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