भारत-ब्रिटेन ट्रेड डील से झींगा, पोम्फ्रेट और लॉबस्टर की मांग में उछाल, जानें किन राज्यों को होगा ज्यादा फायदा?

फिलहाल ब्रिटेन को निर्यात होने वाले प्रमुख समुद्री उत्पादों में झींगा, ब्लैक टाइगर झींगा, पोम्फ्रेट और लॉबस्टर शामिल हैं. अकेले फ्रोजन झींगा का योगदान यूके को कुल निर्यात में 77 फीसदी तक का है. CETA के बाद ये आंकड़ा और ऊपर जा सकता है.

नई दिल्ली | Updated On: 28 Jul, 2025 | 09:09 AM

भारतीय तटीय इलाकों में मछुआरों के जाल अब और चमक उठेंगे. वजह है भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) के बीच हाल ही में हुआ एक ऐतिहासिक व्यापार समझौता कम्प्रिहेंसिव इकनॉमिक एंड ट्रेड एग्रीमेंट (CETA). इस समझौते के तहत अब भारत से UK को निर्यात किए जाने वाले झींगा (Vannamei Shrimp), लॉबस्टर और फ्रोजन पोम्फ्रेट जैसे समुद्री उत्पादों पर किसी भी तरह का आयात शुल्क नहीं लगेगा. इसका सीधा फायदा भारत के मछुआरों, निर्यातकों और तटीय अर्थव्यवस्था को मिलेगा.

समुद्री उत्पादों को अब मिलेगा टैक्स-फ्री प्रवेश

24 जुलाई 2025 को भारत और ब्रिटेन के बीच CETA समझौते पर हस्ताक्षर हुए. इस समझौते के लागू होते ही UK की ‘A’ कैटेगरी वाली सभी मछली और समुद्री उत्पादों पर आयात शुल्क को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है. यानी अब भारत से ब्रिटेन को जाने वाले झींगा, लॉबस्टर, स्क्विड और पोम्फ्रेट जैसे फिश प्रोडक्ट्स बिना किसी टैक्स के पहुंच सकेंगे.

झींगा और पोम्फ्रेट की बढ़ेगी डिमांड

भारत सरकार के मत्स्य पालन मंत्रालय के मुताबिक, फिलहाल ब्रिटेन को निर्यात होने वाले प्रमुख समुद्री उत्पादों में झींगा, ब्लैक टाइगर झींगा, पोम्फ्रेट और लॉबस्टर शामिल हैं. अकेले फ्रोजन झींगा का योगदान यूके को कुल निर्यात में 77 फीसदी तक का है. CETA के बाद ये आंकड़ा और ऊपर जा सकता है.

रोजगार और कमाई में बढ़ोतरी

सरकार ने साफ कहा है कि यह समझौता “लेबर इंटेंसिव सेक्टर्स”, यानी ऐसे उद्योग जहां ज्यादा लोगों को रोजगार मिलता है, उनके लिए भी फायदेमंद होगा. मछुआरे, फिशिंग प्रोसेसिंग यूनिट्स, पैकिंग से जुड़े श्रमिक और ट्रांसपोर्ट सेक्टर के लोगों को इसका लाभ मिलेगा.

समुद्री निर्यात के आंकड़े क्या कहते हैं?

वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने कुल 7.38 बिलियन डॉलर (60,523 करोड़ रुपये) के समुद्री उत्पादों का निर्यात किया, जिसमें 1.78 मिलियन मीट्रिक टन उत्पाद विदेश भेजे गए. इनमें 66 फीसदी हिस्सा अकेले फ्रोजन झींगा का रहा, जिसकी वैल्यू 4.88 बिलियन डॉलर थी. ब्रिटेन को इसी अवधि में कुल 104 मिलियन डॉलर(879 करोड़ रुपये) का समुद्री उत्पाद निर्यात हुआ था, जिसमें झींगे का हिस्सा सबसे ज्यादा था.

हालांकि, इतनी बड़ी एक्सपोर्ट वैल्यू के बावजूद भारत की हिस्सेदारी UK के 5.4 बिलियन डॉलर के सीफूड इंपोर्ट बाजार में केवल 2.25 फीसदी थी. अब उम्मीद है कि CETA के बाद यह हिस्सेदारी 70 फीसदी तक बढ़ सकती है.

किन राज्यों को मिलेगा सबसे ज्यादा फायदा?

भारत के समुद्री निर्यात में अहम भूमिका निभाने वाले राज्य आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, गुजरात और महाराष्ट्र, इस समझौते से सबसे ज्यादा लाभान्वित होंगे. इन राज्यों से ही सबसे ज्यादा समुद्री उत्पाद यूरोप, अमेरिका और एशिया के देशों में जाते हैं.

US और चीन पर निर्भरता होगी कम

अब तक भारतीय सीफूड निर्यात मुख्यतः अमेरिका और चीन जैसे देशों पर निर्भर था. लेकिन CETA के आने से UK एक नया मजबूत बाजार बनकर उभरेगा. यह डायवर्सिफिकेशन भारतीय निर्यातकों के लिए जोखिम को कम करेगा और नए व्यापारिक अवसर खोलेगा.

Published: 28 Jul, 2025 | 09:05 AM