Winter Vegetable Farming Tips: सर्दियां शुरू हो गई हैं. ठंडा मौसम खेती – किसानी के लिए खास माना जाता है. इस मौसम में कई तरह की सब्जियों की खेती की जा सकती है. अगर आप केमिकल फ्री सब्जियों की खेती करना चाहते हैं, तो आप अपने घर में गमले में भी कई तरह की सब्जियां उगा सकते हैं. ठंड के मौसम में मटर, लौकी, कद्दू, तोरई और परवल जैसी बेल वाली सब्जियां आसानी से उगाई जा सकती हैं.
सर्दियों का मौसम खेती के लिए खास माना जाता है क्योंकि इस मौसम में आम लोग भी कुछ सब्जियां घर पर ही उगा सकते है. इन सब्जियों की खेती से किसानों को काफी मुनाफा होता है. ठंड के मौसम में मटर, लौकी, कद्दू, तोरई और परवल जैसी बेल वाली सब्जियां आसानी से उगाई जा सकती है. इस तरीके से आप बाज़ार से सब्जियां खरीदने और केमिकल वाली सब्जियां खाने से भी बचेंगे.
बेलों पर लगने वाली सब्जियों को उगाना आसान
ठंड के मौसम में आप गमले में भी कई तरह की सब्जियों की खेती कर सकते है परंतु बेलों पर उगने वाली सब्जियों की खेती आसानी से की जा सकती है. ऐसे में आप मटर, तोरई, लौकी, कद्दू, परवल, सौर सेमी इत्यादि सब्जियों की खेती कर सकते हैं.
घर पर सब्जियां कैसे उगाएं
घर पर सब्जियों की खेती करने के लिए निम्न चीजों की आवश्यकता पड़ती है. सर्वप्रथम छेद वाले गमले या टब का चुनाव करें ताकि पानी जमा न हो. इसमें अच्छी गुणवत्ता की मिट्टी और गोबर की खाद मिलकर भरें. हल्की सिंचाई करें ताकि मिट्टी में नमी बनी रहें. बेलों को सहारा देने के लिए रस्सी और बांस की लट्ठ की जरूरत पड़ेगी.
सब्जियों को गमले में उगाने का तरीका
गमले में बेलों को उगाने के लिए बीजों को 6 घंटे पानी में भिगोकर रखें ताकि अंकुरण जल्दी हो. फिर बीजों को गमले में आधा इंच गहराई में डालें. तकरीबन हफ्ते भर में बेलें निकालनी शुरू हो जाएंगी.
सब्जियों को बालकनी या छत पर उगाने का तरीका
अगर आप बालकनी या छत पर खेती कर रहे हैं तो बेलें फैलने लगेंगी. ऐसे में आप रस्सी या बांस की लाठियों का सहारा देकर उन्हें व्यवस्थित कर सकते हैं. इससे बेलें सीधी रहेंगी और उस पर ज्यादा फल लगेंगे.
किचेन गार्डनिंग भी अच्छा ऑप्शन
अगर आपके पास थोड़ी जगह है तो किचेन गार्डन में मटर लगाना सबसे अच्छा ऑप्शन है. इसकी बुवाई की प्रक्रिया भी वही है बस फर्क इतना है कि बुवाई का तरीका बदल जाता है. बीज को आधा इंच गहराई में बोए और हर पौधे के बीच 12 से 15 इंच की दूरी रखें. इससे पौधों को बढ़ने की जगह मिलती है और उपज बेहतर होती है.