पशुओं के लिए घातक है पोलिथीन.. किसान बंद करें इस्तेमाल, सरकार ने बताए नुकसान

पशुओं के लिए प्लास्टिक गंभीर खतरा है. पोलिथीन पेट में जमा होकर पाचन समस्याएं और गंभीर बीमारियां पैदा करता है. इससे बचाव केवल प्लास्टिक मुक्त समाज और सही कचरा प्रबंधन से संभव है.

नोएडा | Published: 18 Sep, 2025 | 07:28 PM

Bihar News: बिहार में पशुपालन एक अहम व्यवसाय और जीवन का हिस्सा है. लेकिन आजकल हमारे चारों ओर प्लास्टिक का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है. छोटे-छोटे प्लास्टिक थैले और बैग सिर्फ हमारे लिए ही नहीं, बल्कि पशुओं के लिए भी खतरनाक साबित हो रहे हैं. पशु और मत्स्य संसाधन विभाग ने चेतावनी दी है कि पोलिथीन हमारे जानवरों के लिए साइलेंट किलर यानी चुपचाप मारने वाला बन गया है. जानवर जब इसे निगल लेते हैं, तो उनके पेट और आंत में यह जमकर गंभीर बीमारियां पैदा कर सकता है. आइए जानते हैं इसकी वजह, प्रभाव और इससे बचने के उपाय.

पोलिथीन जानवरों के पेट में कैसे पहुंचता है

अक्सर हम बचा हुआ खाना, फल और सब्जियों के पत्ते या किचन वेस्ट को प्लास्टिक के थैले में बांधकर फेंक देते हैं. कई बार यह कचरा सड़क के किनारे या खेतों में छोड़ दिया जाता है. पशु जब खाना ढूंढते हैं, तो प्लास्टिक के साथ अन्य खाने योग्य चीजें भी निगल लेते हैं. प्लास्टिक का चिकना और स्वादरहित होना इसकी निगलने की संभावना बढ़ा देता है. पशु इस प्लास्टिक को अलग नहीं कर पाते और धीरे-धीरे यह उनके पेट और आंत में जमा हो जाता है. इससे गंभीर पाचन संबंधी समस्याएं पैदा होती हैं.

पशुओं पर पोलिथीन का दुष्प्रभाव

पेट में जमा होने के कारण प्लास्टिक एक कड़ा गेंद या रस्से की तरह बन जाता है. इससे पशुओं को भूख नहीं लगती, पेट में दर्द होता है, गैस और दस्त जैसी समस्याएं होती हैं. पोलिथीन धीरे-धीरे जानवरों की सेहत खराब कर देता है और कभी-कभी जानलेवा भी साबित होता है. यही कारण है कि इसे साइलेंट किलर कहा जाता है. पशु स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि प्लास्टिक की वजह से होने वाली बीमारियों का घरेलू इलाज संभव नहीं है.जानवर के पेट में जमा प्लास्टिक केवल ऑपरेशन के जरिए ही निकाला जा सकता है.

इलाज और बचाव के तरीके

पोलिथीन से होने वाली बीमारियों का कोई दवा, गोली या चूर्ण नहीं है. जब तक प्लास्टिक पेट में है, तब तक जानवर बीमार रहते हैं. इसलिए सबसे सही उपाय है बचाव करना.

  • जानवरों के चारों ओर प्लास्टिक का इस्तेमाल कम करें.
  • खाना और कचरा प्लास्टिक में न डालें.
  • हरे पत्ते, सब्जियों के छिलके और अन्य किचन वेस्ट को कंपोस्ट या कचरे के डब्बे में डालें.
  • सड़क किनारे या खेतों में कचरा फेंकने से बचें.

पोलिथीन मुक्त समाज की आवश्यकता

Livestock Health

प्लास्टिक मुक्त समाज बनाने की आवश्यकता है.

बिहार पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग का कहना है कि हमें अपने चारों तरफ प्लास्टिक मुक्त समाज बनाने की आवश्यकता है. अगर हम ऐसा करें, तो अपने पशुधन को सुरक्षित रख सकते हैं और उनकी सेहत में सुधार ला सकते हैं. प्लास्टिक के बैग और लिफाफे पर सरकार ने प्रतिबंध भी लगाया है. इसका पालन करना हर नागरिक की जिम्मेदारी है. इससे न सिर्फ पशु सुरक्षित रहेंगे, बल्कि पर्यावरण भी साफ-सुथरा रहेगा.

कानून और नियम

बिहार सरकार ने प्लास्टिक के उपयोग पर सख्त कानून बनाये हैं. इसके तहत:-

  • खाद्य पदार्थों को प्लास्टिक में पैक कर सड़क पर फेंकना अपराध है.
  • दुकानदार और आम लोग प्लास्टिक के बैग कम से कम इस्तेमाल करें.
  • जो लोग नियम का पालन नहीं करते, उन्हें जुर्माना और अन्य सजा मिल सकती है.
  • इन नियमों का पालन करने से पशुओं के स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर पड़ेगा.

पशुधन के जीवन में गुणात्मक सुधार

प्लास्टिक मुक्त समाज बनाने से पशुओं की सेहत सुधरती है. वे स्वस्थ रहते हैं, अधिक दूध और मांस देने लगते हैं और लंबी उम्र पाते हैं. NBR (No to Bag, Reduce) और NBR3 जैसी पहलें लोगों को जागरूक कर रही हैं. ये अभियान बताते हैं कि प्लास्टिक न कहें, अपने पशुधन और पर्यावरण की रक्षा करें.

हम कैसे कर सकते हैं योगदान

हर व्यक्ति को छोटे-छोटे कदम उठाने होंगे:

  • खाना और कचरे को प्लास्टिक के बजाय कागज, कपड़े या बायोडिग्रेडेबल बैग में डालें.
  • घर के कचरे को सही जगह पर डालें.
  • अपने आसपास के लोगों को प्लास्टिक के दुष्प्रभाव के बारे में जागरूक करें.
  • स्कूल, मोहल्ला और पंचायत स्तर पर जागरूकता फैलाएं.

इन छोटे कदमों से हम अपने पशुधन को सुरक्षित रख सकते हैं और नई पीढ़ी के लिए एक स्वस्थ और साफ पर्यावरण सुनिश्चित कर सकते हैं.

Published: 18 Sep, 2025 | 07:28 PM

निम्नलिखित फसलों में से किस फसल की खेती के लिए सबसे कम पानी की आवश्यकता होती है?

Poll Results

गन्ना
0%
धान (चावल)
0%
बाजरा (मिलेट्स)
0%
केला
0%