जानवरों और खेती को बचाना है तो मच्छरों को कहिए अलविदा, अपनाएं ये आसान उपाय

जब मच्छर ज्यादा हो जाते हैं, तो वे जानवरों को बार-बार डंक मारते हैं जिससे जानवर परेशान रहते हैं और ठीक से खाना-पीना नहीं कर पाते. इससे दूध उत्पादन कम हो सकता है, जानवरों का वजन घट सकता है और वे बीमार भी हो सकते हैं.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 2 Jun, 2025 | 01:17 PM

मच्छर सिर्फ घरों के लिए ही नहीं, खेतों और फार्मों के लिए भी बड़ी परेशानी होते हैं. ये छोटे-छोटे कीड़े कई तरह की बीमारियां फैलाते हैं, जो हमारे जानवरों, फसलों और यहां काम करने वाले मजदूरों की सेहत पर गंभीर असर डाल सकती हैं. इसलिए यह जानना बेहद जरूरी है कि मच्छरों से कैसे बचाव किया जाए और उनका नियंत्रण कैसे किया जाए ताकि हमारा फार्म स्वस्थ और सुरक्षित बना रहे.

मच्छर क्यों होते हैं खतरा?

फार्म पर पानी की भरमार होती है, जैसे तालाब, नाले, सिंचाई के लिए पानी जमा होना, जो मच्छरों के लिए अचूक प्रजनन स्थल होते हैं. जब मच्छर ज्यादा हो जाते हैं, तो वे जानवरों को बार-बार डंक मारते हैं जिससे जानवर परेशान रहते हैं और ठीक से खाना-पीना नहीं कर पाते. इससे दूध उत्पादन कम हो सकता है, जानवरों का वजन घट सकता है और वे बीमार भी हो सकते हैं. इसके अलावा मच्छर कई तरह की खतरनाक बीमारियां जैसे कि एनसेफलाइटिस (घोड़ों में), मिक्सोमैटोसिस (खरगोशों में) आदि फैला सकते हैं.

खड़े पानी को हटाना है सबसे पहला कदम

मच्छर केवल खड़े पानी में ही अंडे देते हैं. यह पानी कहीं भी जमा हो सकता है, खेतों के कोनों में, सिंचाई के बाद, पुराने टायरों में, जानवरों के पीने के बर्तनों में या फिर बारिश के पानी से भरे किसी टूटे कंटेनर में. अगर 3–4 दिनों तक पानी एक जगह ठहर जाए, तो वहां मच्छर पैदा होना तय है. इसलिए यह जरूरी है कि फार्म पर हर जगह नियमित रूप से निगरानी रखी जाए और पानी इकट्ठा होने ही न दिया जाए. पुराने बर्तनों को उल्टा करके रखें, खाली टंकियों को ढक कर रखें और नालियों की सफाई नियमित करें.

सिंचाई का सही और योजनाबद्ध प्रबंधन

अक्सर देखा गया है कि सिंचाई के बाद खेतों में पानी कई दिन तक ठहरा रहता है, जिससे मच्छरों को पनपने का मौका मिल जाता है. खेतों की ढलान सही बनवाना, सिंचाई के बाद पानी की निकासी के लिए नालियों का निर्माण करना और ज्यादा जल का उपयोग न करना,  ये सभी उपाय मच्छरों की संख्या को नियंत्रित करने में मदद करते हैं. जहां संभव हो वहां ड्रिप या स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली का इस्तेमाल करें, ताकि पानी की बर्बादी न हो और मच्छरों के लिए जलभराव भी न बने.

तालाब, नालों और जलस्रोतों की नियमित देखभाल

अगर फार्म पर कोई तालाब, पोखर या नाला है, तो वह मच्छरों के लिए स्थायी प्रजनन स्थल बन सकता है. ऐसे स्थलों की नियमित सफाई बेहद जरूरी है. तालाब के किनारों पर उगी झाड़ियों को हटाएं, पानी की सतह पर उगी जलकुंभी जैसी वनस्पतियों को साफ करें और जहां संभव हो वहां मच्छर खाने वाली मछलियों जैसे गप्पी या गैम्बूसिया को पानी में छोड़ा जाए. इन मछलियों से मच्छर के लार्वा खत्म हो जाते हैं.

फार्म के आसपास साफ-सफाई बनाए रखें

मच्छर केवल पानी में नहीं, बल्कि गंदगी और छायादार जगहों में भी छिपे रहते हैं. ऐसे में फार्म के चारों ओर साफ-सफाई का ध्यान रखना अनिवार्य है. झाड़ियों को समय-समय पर काटें, पुराने लकड़ी के टुकड़े या उपकरण बेतरतीब ढंग से न छोड़ें, जमी हुई पत्तियों को इकट्ठा करके जलाएं या खाद में बदलें. पशुबाड़, स्टेबल और गोदामों की रोजाना सफाई सुनिश्चित करें.

मच्छर भगाने वाली रोशनी का उपयोग करें

रात में मच्छर उजाले की ओर आकर्षित होते हैं. तेज सफेद रोशनी फार्म पर मच्छरों की संख्या बढ़ा सकती है, जिससे मजदूरों और जानवरों को ज्यादा परेशानी होती है. इस समस्या से बचने के लिए पीली फ्लोरोसेंट या एलईडी बल्बों का इस्तेमाल किया जा सकता है, जो मच्छरों को आकर्षित नहीं करते. खासकर पशुशालाओं और गोदामों में इस तरह की लाइट लगाना लाभकारी होता है.

सिंचाई के बाद पानी का पुनः उपयोग करें

सिंचाई के बाद जो पानी खेत में जमा होता है, अगर उसे दोबारा उपयोग में लाया जाए, तो न केवल पानी की बर्बादी रुकेगी, बल्कि मच्छरों को प्रजनन का मौका भी नहीं मिलेगा. खेतों में रिटर्न फ्लो सिस्टम लगाकर पानी को संग्रहित कर दोबारा सिंचाई या पौधों की सिंचाई में प्रयोग किया जा सकता है. इससे फार्म में जलभराव की समस्या भी नहीं होती और मच्छर नियंत्रण भी बेहतर होता है.

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