गर्म मौसम में ज्यादा उपज दे रही सरसों की नई किस्म, कम लागत में अधिक तेल रिकवरी

पूसा मस्टर्ड 26 एक खास सरसों की किस्म है जो देर से बोने पर भी अच्छा उत्पादन देती है और कम पानी में अधिक मुनाफा देने वाली साबित हो रही है. यह किस्म 126 दिनों में तैयार हो जाती है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 20 Apr, 2025 | 06:04 PM

सरसों की खेती भारत के उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में बड़े पैमाने पर की जाती है, खासकर तब जब खेत धान या कपास की फसल के बाद खाली हो जाते हैं. ऐसे समय में अगर किसान को कोई ऐसी सरसों की किस्म मिल जाए जो देर से बोने पर भी अच्छा उत्पादन दे, तो यह उनके लिए मुनाफे का सौदा हो सकता है. पूसा मस्टर्ड 26 (NPJ-113) ठीक ऐसी ही एक किस्म है, जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के वैज्ञानिकों ने किसानों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए विकसित किया है.

देर से बुवाई के लिए बेस्ट है ये किस्म

यह किस्म खासतौर पर राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर के मैदानी इलाकों, हिमाचल प्रदेश और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए बेस्ट मानी जाती है. इन क्षेत्रों में किसान आमतौर पर नवंबर में धान या ज्वार जैसी लंबी अवधि वाली फसलें काटते हैं. इसके बाद खेत देर से खाली होते हैं, जहां समय की कमी के कारण किसान जल्दी पकने वाली सरसों की किस्म तलाशते हैं. पूसा मस्टर्ड 26 ऐसी ही परिस्थितियों में बेहतरीन काम करती है. इसे देर से बोआई में भी उगाया जा सकता है और सिर्फ एक-दो सिंचाई में अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है, जो पानी की कमी वाले इलाकों के लिए भी इसे उपयुक्त मानी जाती है.

39 फीसदी से अधित तेल रिकवरी

पूसामस्टर्ड 26 की खास बात ये है कि इसमें औसतन 16.04 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज मिलती है और इसके बीजों में लगभग 39.6 प्रतिशत तक तेल होता है, जो किसानों को बाजार में अच्छे दाम दिलाने में मदद करता है. इसके बीज का आकार छोटा होता है. वहीं 1000 बीजों का वजन करीब 3.40 ग्राम होते है. इसकी बुवाई में भी कम बीज लगते हैं. यह किस्म ज्यादा गर्मी सहने की क्षमता भी रखती है, यानी फसल कटाई के समय अगर मौसम गर्म हो तो भी दाने पर असर नहीं पड़ता. साथ ही, यह किस्म 126 दिनों में पूरी तरह पककर तैयार हो जाती है, जिससे किसान समय पर अगली फसल की तैयारी कर सकते हैं.

कम पानी में ज्यादा उपज देने में सक्षम

देश के कई इलाकों में जहां परंपरागत सरसों की किस्में गर्मी या देर से बोआई के चलते फेल हो जाती थीं, वहां पूसा मस्टर्ड 26 किसानों के लिए एक नई उम्मीद बनकर उभरी है. खासतौर पर जिन इलाकों में सिंचाई की सुविधा सीमित है और किसान रबी सीजन में नकदी फसल की तलाश में रहते हैं, उनके लिए यह किस्म कम पानी में अधिक मुनाफा देने वाली साबित हो रही है. आज जब खेती में लागत लगातार बढ़ रही है, ऐसे में ये किस्म किसानों के लिए कम लागत में बेहतर आमदनी का रास्ता खोल रही है. पूसा मस्टर्ड 26 के बीज खरीदने के लिए, आप अपने स्थानीय कृषि बीज विक्रेता या ऑनलाइन बीज विक्रेताओं से संपर्क कर सकते हैं.

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Published: 20 Apr, 2025 | 06:04 PM

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