अक्टूबर से खरीफ फसलों की कटाई शुरू होती है, लेकिन इस बार बाजार में शुरुआत से ही मंदी देखने को मिली. कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, नौ प्रमुख फसलें- उड़द, तूर, मूंग, सोयाबीन, मूंगफली, मक्का, बाजरा, ज्वार और धान, सभी की मंडी कीमतें उनके निर्धारित एमएसपी से नीचे रहीं.
बीते कुछ वर्षों में यहां की मिट्टी और फसलों में कीटनाशकों (Pesticides) का अत्यधिक प्रयोग बढ़ गया है, जिसका असर अब लोगों के स्वास्थ्य पर दिखने लगा है. खासकर सेब उत्पादक क्षेत्रों में कैंसर के मामलों में लगातार वृद्धि ने सरकार और विशेषज्ञों को चिंतित कर दिया है.
लाल मिर्च भारतीय रसोई की आत्मा कही जा सकती है. हर घर के मसालों में इसका इस्तेमाल होता है और इसके तीखे स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ्य लाभ भी अपार हैं. यही कारण है कि आज के समय में लाल मिर्च की खेती किसानों के लिए एक आकर्षक व्यवसाय बन गई है.
काजू का पौधा आमतौर पर 3 से 5 साल में फल देना शुरू करता है. फरवरी से मई के बीच काजू की फसल तैयार होती है. जब काजू एप्पल लाल या गुलाबी हो जाए और बीज भूरा दिखने लगे, तो फल को धीरे से टेढ़ा खींचकर तोड़ें.
हरित क्रांति के बाद जब खेती में रासायनिक खाद और कीटनाशकों का इस्तेमाल बढ़ा, तब भले ही उत्पादन में तेजी आई हो, पर इसके साथ कई समस्याएं भी जन्मीं, मिट्टी की उर्वरता कम हुई, जल स्रोत दूषित हुए और फसलों की गुणवत्ता घट गई. अब किसान फिर से प्राकृतिक रास्ते पर लौट रहे हैं.
राज्य सरकार ने घोषणा की है कि वह इस बार 15,000 करोड़ रुपये मूल्य की खरीफ फसलों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर करेगी. यह खरीद 9 नवंबर से शुरू होगी और इससे लाखों किसानों को सीधा फायदा मिलेगा. यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब राज्य के करीब 16,000 गांवों में किसानों को अनियमित बारिश और खराब मौसम के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ा है.