पंजाब में बासमती चावल के लिए उठे सख्त कदम, 2 और कीटनाशकों पर बैन से मचा हंगामा

हाल ही में पंजाब सरकार ने बासमती चावल में पाए जाने वाले अवशेषों के कारण 12 कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाया था. अब दो और रसायनों थायमेथॉक्सम और टेबुकोनाजोल को लेकर विवाद खड़ा हो गया है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 29 Jul, 2025 | 08:15 AM

पंजाब सरकार इन दिनों एक बड़ी उलझन में फंसी हुई है. एक तरफ़ है बासमती चावल के निर्यात को लेकर बढ़ती चिंताएं, और दूसरी तरफ़ है कीटनाशक उद्योग का दबाव. हाल ही में पंजाब सरकार ने बासमती चावल में पाए जाने वाले अवशेषों के कारण 12 कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाया था. अब दो और रसायनों थायमेथॉक्सम और टेबुकोनाजोल को लेकर विवाद खड़ा हो गया है.

बैन क्यों लगाया गया?

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, पंजाब के कृषि सचिव बसंत गर्ग ने 15 जुलाई को एक अधिसूचना जारी कर बताया कि यह कदम बासमती चावल की गुणवत्ता सुधारने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसके निर्यात को आसान बनाने के लिए जरूरी था. पिछले कुछ वर्षों में कई बासमती चावल की खेप यूरोप और अन्य देशों में अवशेष (रेजिड्यू) मानकों से अधिक होने के कारण वापस लौटा दी गई थीं.

कौन-कौन से कीटनाशक बैन किए गए हैं?

अब तक जिन 12 कीटनाशकों पर रोक लगाई गई है, उनमें शामिल हैं-एसेफेट, बुप्रोफेजिन, क्लोरोपायरीफॉस, प्रोपिकोनाजोल, प्रोफेनोफॉस, कार्बेंडाजिम, ट्राइसाइक्लाजोल, कार्बोफ्यूरान, इमिडाक्लोप्रिड, हेक्साकोनाजोल, थायमेथॉक्सम और टेबुकोनाजोल.

इनमें से थायमेथॉक्सम और टेबुकोनाजोल को लेकर अब कीटनाशक कंपनियां पंजाब सरकार पर बैन हटाने का दबाव बना रही हैं. उनका तर्क है कि यूरोपीय यूनियन इनकी सीमा को ढीला कर रहा है और अमेरिका में भी इन्हें लेकर नियमों में नरमी की चर्चा है.

बासमती की सेहत का सवाल

हालांकि निर्यातक संगठनों का कहना है कि दुनिया भर में अब ऐसे कीटनाशकों की सीमा और सख्त हो रही है. दरअसल, पंजाब राइस मिलर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन की रिपोर्ट में यह सामने आया कि कई बासमती सैंपलों में इन कीटनाशकों की मात्रा निर्धारित सीमा से काफी ज्यादा थी. इसके चलते इन रसायनों का उपयोग बासमती की साख और निर्यात दोनों के लिए खतरा बन सकता है.

विकल्प मौजूद हैं

पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, लुधियाना के विशेषज्ञों के अनुसार इन प्रतिबंधित कीटनाशकों के सुरक्षित विकल्प बाजार में उपलब्ध हैं, जो पौधों को नुकसान नहीं पहुंचाते और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप भी हैं.

कानूनी लड़ाई शुरू

इस बैन को चुनौती देते हुए फसलों की देखभाल करने वाले संगठन जैसे कि क्रॉप केयर फेडरेशन ऑफ इंडिया (CCFI) और क्रॉप लाइफ ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है, जिसकी सुनवाई 30 जुलाई को होगी.

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Published: 29 Jul, 2025 | 08:15 AM

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