पंजाब सरकार ने बासमती चावल की गुणवत्ता और उसकी अंतरराष्ट्रीय साख को बचाने के लिए एक अहम फैसला लिया है. सरकार ने बासमती धान की फसल पर इस्तेमाल होने वाले 11 कीटनाशकों पर 60 दिनों के लिए रोक लगाने की घोषणा की है. यह प्रतिबंध 1 अगस्त 2025 से लागू होगा और 30 सितंबर 2025 तक चलेगा.
क्यों लिया गया ये फैसला?
बासमती चावल पंजाब की पहचान है और इसकी अच्छी गुणवत्ता के कारण दुनियाभर में इसकी मांग रहती है. लेकिन हाल ही में जांच में यह सामने आया कि कुछ बासमती चावल के नमूनों में कीटनाशकों के अवशेष तय सीमा से ज्यादा पाए गए. इससे विदेशों में निर्यात होने वाले चावल को अस्वीकार किया जा सकता है, जिससे राज्य को बड़ा नुकसान हो सकता है.
कौन-कौन से कीटनाशक होंगे प्रतिबंधित?
- एसीफेट
- बुप्रोफेजिन
- क्लोरपाइरीफोस
- प्रोपिकोनाजोल
- चियामेथोक्सम
- प्रोफेनोफोस
- कार्बेन्डाजिम
- ट्राइसाइक्लाजोल
- टेबुकोनाजोल
- कार्बोफ्यूरान
- इमिडाक्लोप्रिड
ये सभी रसायन पहले आमतौर पर इस्तेमाल होते थे, लेकिन अब इन्हें स्वास्थ्य और निर्यात के लिए खतरा माना जा रहा है.
सरकार और विशेषज्ञों का क्या कहना है?
राज्य सरकार का कहना है कि यह कदम बासमती चावल को कीटनाशक अवशेषों से मुक्त रखने के लिए उठाया गया है. पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) ने पहले ही बासमती की खेती के लिए सुरक्षित और वैकल्पिक कीटनाशकों की सिफारिश कर दी है. इससे किसानों को कोई खास दिक्कत नहीं होगी.
राज्य के कृषि सचिव डॉ. बसंत गर्ग ने कहा कि यह निर्णय अंतरराष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मानकों के अनुसार उच्च गुणवत्ता वाला बासमती चावल तैयार करने के लिए जरूरी है, जिससे पंजाब के किसानों और निर्यातकों को नुकसान न हो.
क्या करना होगा किसानों को?
किसानों को अब बासमती की खेती में इन प्रतिबंधित कीटनाशकों के बजाय विश्वविद्यालय द्वारा सुझाए गए सुरक्षित विकल्पों का उपयोग करना होगा. इससे न केवल फसल की गुणवत्ता बनी रहेगी, बल्कि उनका चावल विदेशों में भी आसानी से बिक सकेगा.