बुंदेलखंड में ज्यादा बारिश बनी उड़द की फसल के लिए खतरा, किसानों को हो सकता है नुकसान

मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र को उड़द का एक प्रमुख उत्पादक इलाका माना जाता है. लेकिन इस बार यहां लगातार अधिक बारिश ने फसलों को नुकसान पहुंचाया है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर बारिश ऐसे ही जारी रही तो उत्पादन पर और असर पड़ सकता है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 29 Jul, 2025 | 08:45 AM

इस साल खरीफ सीजन में उड़द (काली मटर) की बुवाई में कमी और बुंदेलखंड क्षेत्र में हुई अत्यधिक बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. उड़द दाल भारत की प्रमुख दलहनी फसलों में से एक है, लेकिन मौसम की मार और घटती बुवाई ने इसकी पैदावार को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं.

उड़द की बुवाई में आई गिरावट

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, 25 जुलाई 2025 तक देशभर में उड़द की बुवाई कुल 16.59 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले साल इसी समय तक 17.79 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी. यानी इस बार बुवाई में करीब 6.75 फीसदी की गिरावट देखी गई है. आमतौर पर खरीफ सीजन में उड़द का औसत रकबा 32.64 लाख हेक्टेयर होता है.

बुंदेलखंड में बारिश ने बिगाड़ी स्थिति

मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र को उड़द का एक प्रमुख उत्पादक इलाका माना जाता है. लेकिन इस बार यहां लगातार अधिक बारिश ने फसलों को नुकसान पहुंचाया है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर बारिश ऐसे ही जारी रही तो उत्पादन पर और असर पड़ सकता है.

iGrain इंडिया के कृषि विश्लेषक राहुल चौहान के मुताबिक, “बुंदेलखंड क्षेत्र में करीब 5-6 लाख टन उड़द हर खरीफ सीजन में पैदा होती है. लेकिन इस बार जलभराव और अधिक नमी के चलते फसल का नुकसान तय है.”

किसान क्यों कर रहे हैं दूसरी फसलों की तरफ रुख?

पिछले 3-4 वर्षों से उड़द की फसल मौसम की मार और खराब गुणवत्ता के चलते किसानों को लाभ नहीं दे पा रही है. इसी कारण कई किसान अब मक्का जैसी वैकल्पिक फसलों की ओर रुख कर रहे हैं.

एक्सपर्ट्स का कहना है, “बुंदेलखंड, राजस्थान और गुजरात के कुछ हिस्सों में अधिक बारिश के कारण उड़द की फसल को नुकसान हुआ है और इसका असर बुवाई के आंकड़ों पर साफ दिख रहा है.”

उत्पादन घटेगा, लेकिन कीमतें नहीं बढ़ेंगी

हालांकि बुवाई में गिरावट है, लेकिन जानकारों के मुताबिक कीमतों में ज्यादा बदलाव की उम्मीद नहीं है. इसका कारण है कि भारत उड़द का आयात म्यांमार और ब्राजील जैसे देशों से ड्यूटी फ्री करता है.

2024-25 में भारत ने 8.2 लाख टन उड़द आयात की, जो पिछले साल के 6.24 लाख टन से कहीं ज्यादा है. अप्रैल-जून 2025 के बीच ही 1.96 लाख टन उड़द का आयात हुआ है.

चन्नई में आयातित उड़द बोल्ड की कीमतें अभी लगभग 7,500 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास चल रही हैं, जबकि पिछले साल अक्टूबर में यह 9,400 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई थी. सरकार ने इस साल उड़द की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 7,800 रुपये प्रति क्विंटल तय की है, जो पिछले साल के 7,400 रुपये से कुछ ज्यादा है.

 

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Published: 29 Jul, 2025 | 08:45 AM

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