Cotton Production: भारत में कपास (Cotton) उत्पादन इस साल 2025-26 के खरीफ सीजन में कम रकबे और कुछ इलाकों में अधिक बारिश के बावजूद संतोषजनक रहने की उम्मीद है. इस बार फसल की आवक तेजी से बढ़ी है, लेकिन कमजोर मांग और घटते निर्यात के कारण कच्चे कपास के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे चल रहे हैं. उद्योग विशेषज्ञों और किसानों की नजरें अब सरकार की खरीद नीतियों और वैश्विक बाजार में सुधार पर टिकी हैं.
कपास की फसल की स्थिति बेहतर
बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के अनुसार, टन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CAI) के अध्यक्ष अतुल एस. गणात्रा के मुताबिक, इस साल कपास की फसल अधिकांश राज्यों में अच्छी बनी हुई है. उन्होंने बताया कि सभी 10 राज्य संघों से प्राप्त फीडबैक के अनुसार न्यूनतम उत्पादन 312 लाख गांठ और अधिकतम 335 लाख गांठ तक रहने की संभावना है. गुजरात और महाराष्ट्र में विशेष रूप से अच्छी पैदावार की उम्मीद जताई जा रही है. CAI इस महीने के अंत तक आधिकारिक उत्पादन अनुमान जारी करेगा.
कपास की बुवाई में कमी और तेजी से आवक
इस खरीफ सीजन में कपास के लिए रकबा घटकर 110 लाख हेक्टेयर रह गया, जबकि पिछले साल यह 112.97 लाख हेक्टेयर था. कई किसान इस बार मक्का और तिलहन फसलों की ओर गए हैं. इसके बावजूद नए कपास की आवक तेजी से बढ़ रही है. देशभर की मंडियों में रोजाना 1 लाख गांठ से ज्यादा कपास आ रही है. उदाहरण के तौर पर गुरुवार को देशभर में कुल 1.17 लाख गांठ कपास मंडियों में पहुंची.
पिछले सीजन का उत्पादन और स्टॉक स्थिति
पिछले 2024-25 सीजन में भारत का कपास उत्पादन 312.40 लाख गांठ रहा. सितंबर 2025 तक कुल आपूर्ति 392.59 लाख गांठ रही, जिसमें घरेलू उत्पादन, आयात और शुरुआती भंडार शामिल हैं. कुल खपत 314 लाख गांठ रही, जबकि निर्यात घटकर 18 लाख गांठ ही हुआ. सीजन के अंत में अनुमानित स्टॉक 60.59 लाख गांठ है, जिसमें 31.50 लाख गांठ वस्त्र मिलों के पास और 29.09 लाख गांठ CCI, महाराष्ट्र फेडरेशन, व्यापारियों और निर्यातकों के पास मौजूद हैं.
कीमतें MSP से नीचे, लेकिन उम्मीद बनी हुई
कर्नाटक के रायचूर से रामानुज दास बूभ के अनुसार, नई फसल की आवक बढ़ी है, लेकिन मांग कमजोर बनी हुई है. इस समय अच्छी गुणवत्ता वाले कपास के भाव 6,500 से 7,300 रुपये प्रति क्विंटल के बीच चल रहे हैं, जबकि MSP 8,100 रुपये प्रति क्विंटल है. कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) उत्तर भारत में MSP पर खरीद कर रही है और दीवाली के बाद मध्य और दक्षिण भारत में भी खरीद शुरू होने की संभावना है. इससे किसानों को भाव सहारा मिल सकता है.
बाजार भावनाओं पर निर्भर व्यापार
कपास का व्यापार फिलहाल ICE मार्केट के रुझानों और सूत (यार्न) की मांग से प्रभावित है. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि घरेलू मिलों से मांग बढ़ती है और CCI की खरीद जारी रहती है, तो आने वाले महीनों में कीमतों में स्थिरता आ सकती है. इस तरह, कम रकबे और बारिश की चुनौतियों के बावजूद किसानों और व्यापारियों में संतुलन बनाए रखने की उम्मीद बनी हुई है.