खरीफ सीजन 2025: बुवाई का आंकड़ा 1120 लाख हेक्टेयर पार, धान और मोटे अनाज में बढ़त

26 सितंबर तक कुल 1120.73 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फसलों की बुवाई की गई है. पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 1113.72 लाख हेक्टेयर था. यानी इस बार करीब 7.01 लाख हेक्टेयर ज्यादा क्षेत्र में खेती हुई है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 30 Sep, 2025 | 06:52 AM

 Kharif Sowing: भारत में इस साल खरीफ फसलों की बुआई ने नया रिकॉर्ड बना लिया है. कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 26 सितंबर तक कुल 1120.73 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फसलों की बुवाई की गई है. पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 1113.72 लाख हेक्टेयर था. यानी इस बार करीब 7.01 लाख हेक्टेयर ज्यादा क्षेत्र में खेती हुई है. यह बढ़ोतरी किसानों के लिए अच्छी खबर है क्योंकि इससे उत्पादन बढ़ेगा और आम लोगों को भी खाद्य वस्तुओं की महंगाई से राहत मिल सकती है.

धान की बुवाई में बढ़ोतरी

धान खरीफ सीजन की सबसे अहम फसल मानी जाती है और इस बार इसमें भी अच्छी बढ़त दर्ज की गई है. पिछले साल जहां 435.68 लाख हेक्टेयर में धान बोया गया था, वहीं इस साल यह आंकड़ा 441.58 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है. यानी लगभग 6 लाख हेक्टेयर ज्यादा खेतों में धान की फसल खड़ी है. यह बढ़ोतरी खासकर उन इलाकों में हुई है जहां मॉनसून का असर बेहतर रहा.

दालों और मोटे अनाज में इजाफा

दालों की बात करें तो उड़द और मूंग जैसी फसलों की बुवाई भी थोड़ी बढ़ी है. पिछले साल 118.95 लाख हेक्टेयर में इनकी खेती हुई थी, जबकि इस बार यह बढ़कर 119.85 लाख हेक्टेयर हो गई.

सबसे खास बात यह रही कि मोटे अनाज या मिलेट्स (जैसे ज्वार, बाजरा और रागी) के रकबे में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज की गई. इस बार 194.67 लाख हेक्टेयर में इनकी बुवाई हुई, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 182.66 लाख हेक्टेयर था. यानी करीब 12 लाख हेक्टेयर ज्यादा जमीन पर मिलेट्स की खेती हो रही है. यह बदलाव सरकार के “श्री अन्न” अभियान और लोगों में बढ़ती स्वास्थ्य जागरूकता से भी जुड़ा माना जा रहा है.

गन्ने की खेती में भी बढ़त

गन्ना किसानों के लिए भी इस बार अच्छी खबर है. गन्ने की खेती का रकबा 57.22 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 59.07 लाख हेक्टेयर हो गया है. गन्ने की खेती खासतौर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में होती है और यहां बेहतर बारिश से बुआई बढ़ी है.

अच्छी बारिश से मिला फायदा

इस साल बेहतर मॉनसून की वजह से बिना सिंचाई वाले इलाकों (रेनफेड एरिया) में भी बुवाई आसानी से हो सकी. देश की करीब आधी खेती ऐसे इलाकों में होती है जहां सिंचाई की सुविधा सीमित है. बारिश समय पर और पर्याप्त होने से किसानों ने ज्यादा क्षेत्र में बुवाई की और फसलें बेहतर स्थिति में हैं.

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी

किसानों की आमदनी को सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने खरीफ सीजन की 14 फसलों का MSP बढ़ाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने इस साल मई में यह फैसला लिया था.
सबसे ज्यादा MSP बढ़ोतरी नाइजरसीड में हुई है, जिसमें 820 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़त दी गई है. इसके बाद रागी (596 रुपये), कपास (589 रुपये) और तिल (579 रुपये) का नंबर आता है. MSP में यह बढ़ोतरी किसानों को फसलें बेचने पर बेहतर दाम दिलाने और उत्पादन बढ़ाने के मकसद से की गई है.

किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को फायदा

खरीफ फसलों की बुवाई में हुई यह बढ़त न केवल किसानों की आय में सुधार लाएगी, बल्कि उपभोक्ताओं को भी राहत देगी. ज्यादा उत्पादन से खाद्यान्न की कीमतें स्थिर रहेंगी और महंगाई पर काबू पाने में मदद मिलेगी.

कुल मिलाकर, खरीफ सीजन 2025 किसानों के लिए उम्मीदों भरा साबित हो रहा है, जहां धान, दालों, मिलेट्स और गन्ने की अच्छी पैदावार से खेती का भविष्य और भी मजबूत नजर आ रहा है.

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