राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने रविवार को ऊर्जा विभाग के अधिकारियों को आदेश दिए हैं कि अगले रबी मौसम के दौरान किसानों को बिजली की सप्लाई में कोई रुकावट न हो. उन्होंने कहा कि सिंचाई के लिए जरूरी बिजली का इंतजाम इस तरह से हो कि किसानों को प्राकृतिक पदार्पण के समय पानी उपलब्ध हो सके और फसलों की बुवाई अच्छी तरह हो सके. मुख्यमंत्री ने ऊर्जा उत्पादन इकाइयों के रख-रखाव, बिजली की अतिरिक्त उपलब्धता और सौर ऊर्जा योजनाओं पर भी जोर दिया है ताकि राज्य में पर्यावरण अनुकूल बिजली उत्पादन बढ़े और किसानों को मदद मिले.
बिजली उत्पादन इकाइयों का रख-रखाव जरूरी
मुख्यमंत्री ने इस मीटिंग में कहा कि अक्टूबर से फरवरी के बीच बिजली उपकरणों व उत्पादन इकाइयों के रख‑रखाव का काम समय पर पूरा हो. यदि ये इकाइयां बंद होती हैं, तो किसानों को सिंचाई के समय बिजली नहीं मिल सकेगी, जिससे फसलों को नुकसान हो सकता है. इसलिए इंजन, जनरेटर, ट्रांसफार्मर आदि की मरम्मत‑देखभाल पहले से सुनिश्चित होनी चाहिए.
पीक-डिमांड के समय बिजली की अतिरिक्त व्यवस्था
भाजरलाल शर्मा ने यह भी कहा कि यदि बिजली की मांग अधिक हो रही है तो राज्य को अतिरिक्त बिजली खरीदने में कोई कमी न हो. पिक अवधियों में बिजली की खपत बढ़ जाती है-जहां सिंचाई के पंप, मोटर और अन्य उपकरण चलेंगे. इस दौरान बिजली कटौती या स्लो सप्लाई किसानों के लिए समस्या बन जाती है. इसलिए अधिक शक्ति की व्यवस्था पहले से करना होगी.
सौर ऊर्जा योजनाओं को गति देने का निर्देश
मुख्यमंत्री ने पीएम सौर घर योजना और पीएम कुशुम योजना को तेज गति से लागू करने का भी आदेश दिया. उन्होंने कहा कि किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं को न सिर्फ बिजली मिले, बल्कि वे स्वयं ऊर्जा उत्पादक बनें. सौर पैनल और सोलर बैटरी सिस्टम से बिजली बनाने व संग्रह करने की व्यवस्था बढ़ाई जाए. इस तरह से बिजली की निर्भरता ग्रिड पर कम होगी और स्थानीय स्तर पर बिजली की उपलब्धता बेहतर होगी.
बैटरी स्टोरेज क्षमता बढ़ाने की योजना
शर्मा ने बैटरी स्टोरेज सुविधाओं को मजबूत बनाने पर भी जोर दिया. जब मौसम खराब हो या दिन में बिजली उत्पादन कम हो, तब बैटरी में स्टोर की गई बिजली काम आएगी. इससे रात को या सौर उत्पादन नहीं होने के समय भी बिजली सप्लाई बनी रहेगी. यह व्यवस्था खासकर उन इलाकों में उपयोगी होगी जहाँ बिजली कटौती की समस्या होती है.
विद्युत नेटवर्क का विस्तार और संसाधन सुधार
मंच पर अधिकारियों ने बताया कि इस वित्तीय वर्ष में 92 ग्रिड सब-स्टेशन बनाए गए हैं. इसके अलावा 576.35 मेगावोल्ट-एम्पियर (MVA) ट्रांसफार्मर क्षमता बढ़ाई गई है, जिससे अब कुल ट्रांसफार्मर क्षमता 949.30 MVA हो गई है. इसके साथ ही कंडक्टर, केबल्स और अन्य विद्युत सामग्री की खरीद भी चल रही है, ताकि परिचालन में बाधा न हो. इन सुधारों से ग्रामीण इलाकों के खेतों तक बिजली पहुंच अधिक भरोसेमंद होगी.
किसानों को बिजली उपलब्धता से लाभ और चुनौतियां
अगर बिजली की सप्लाई निरंतर बनी रहे, तो किसान समय पर खेत में पानी दे पाएंगे, बुवाई की तैयारियां समय पर पूरी करेंगें और फसल बेहतर होगी. इससे खेतों की उपज में वृद्धि होगी, किसानों की आमदनी बढ़ेगी. लेकिन चुनौतियां भी हैं-मौसम की अनिश्चितता, बिजली ट्रांसमिशन में नुकसान, सोलर उपकरणों की जगह-जगह कृषि-भूमि पर टिकाऊ स्थापना आदि. इन सभी को ध्यान में रखकर सही योजना बनानी होगी.