महाराष्ट्र में पशुपालक को कृषि के समान सुविधाएं, रियायती दरों पर मिलेगी बिजली और सब्सिडी

महाराष्ट्र सरकार ने पशुपालन को कृषि का दर्जा देकर किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. पात्र इकाइयों को अब बिजली, टैक्स, सोलर सब्सिडी और लोन में रियायतें मिलेंगी. यह नीति बदलाव आर्थिक सलाहकार परिषद की सिफारिशों पर आधारित है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 1 Aug, 2025 | 02:03 PM

किसानों की आय और रोजगार बढ़ाने के उद्देश्य से महाराष्ट्र सरकार ने पशुपालन क्षेत्र को अब कृषि के समान दर्जा देने का फैसला लिया है. यह निर्णय गुरुवार को जारी एक सरकारी आदेश (GR) के माध्यम से लागू किया गया. अब पात्र पशुपालन व्यवसायों को भी फसल उत्पादकों की तरह बिजली दरों में रियायत, सोलर उपकरणों पर सब्सिडी, ग्राम पंचायत टैक्स में समान दर और लोन पर ब्याज में छूट जैसी सुविधाएं मिलेंगी.

GR के अनुसार, पशुपालन इकाइयों को अब ‘एग्री-अदर’ की जगह सीधे कृषि दरों पर बिजली बिल मिलेगा. इसी तरह सोलर पंप और उपकरणों पर सब्सिडी भी अब खेती की तरह मिलेगी. इसके अलाववा ग्राम पंचायत टैक्स अब खेती के टैक्स के बराबर होगा. कार्यशील पूंजी और अन्य लोन पर 4 फीसदी तक ब्याज सब्सिडी भी मिलेगी, जैसे पंजाबराव देशमुख ब्याज सब्सिडी योजना में दी जाती है. यह फैसला पशुपालकों के लिए राहत की बड़ी सौगात माना जा रहा है.

कुल आय में कृषि का योगदान 12 फीसदी

द टाइम्स ऑफ इंडिया कि रिपोर्ट के मुताबिक, यह फैसला महाराष्ट्र आर्थिक सलाहकार परिषद की सिफारिशों के अनुरूप लिया गया है. परिषद ने अपनी रिपोर्ट में कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों को राज्य की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने वाले मुख्य क्षेत्र बताया है. परिषद का लक्ष्य है कि 2028 तक महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था 8.3 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचे और इस दिशा में यह कदम एक महत्वपूर्ण नीति बदलाव माना जा रहा है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र की कुल आय में कृषि का योगदान 12 फीसदी है, जिसमें से पशुपालन से 24 फीसदी राजस्व आता है. वर्तमान में राज्य की 60 लाख से अधिक परिवारें पशुपालन से जुड़ी हुई हैं. 20वीं पशुगणना के मुताबिक, महाराष्ट्र में लगभग 1.9 करोड़ पशु हैं, जिनमें 1.4 करोड़ गाय-बैल और 56 लाख भैंसें शामिल हैं.

बिजली दरों में मिलेगी छूट

अधिकारियों का कहना है कि अभी तक इस क्षेत्र को कृषि की तुलना में बिजली दरों में भेदभाव, सोलर सब्सिडी की कमी और ज्यादा ग्राम पंचायत टैक्स जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता था. राज्य सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पशुपालन को खेती के बराबर दर्जा देने से इस क्षेत्र में भागीदारी बढ़ेगी, ग्रामीण स्तर पर रोजगार के अवसर बनेंगे और ग्रुप-आधारित फार्मिंग व वैल्यू एडेड प्रोसेसिंग जैसे आधुनिक तरीकों में निवेश भी बढ़ेगा. नई सरकारी नियमावली (GR) के अनुसार, पशुपालन यूनिट को कृषि के समान लाभ मिलेगा.

जानें किन इकाइयों को मिलेगा लाभ

जीआर के अनुसार, कृषि के समान लाभों के लिए पात्र इकाइयों में 25,000 ब्रॉयलर मुर्गियों या 50,000 लेयर मुर्गियों तक की परिचालन क्षमता वाली लघु और मध्यम स्तर की पशुपालन इकाइयां, 45,000 मुर्गियों तक की क्षमता वाली हैचरी इकाइयां, 100 दुधारू पशुओं तक के मवेशी शेड, 500 पशुओं तक के बकरी/भेड़ शेड और 200 सूअरों तक की क्षमता वाली सुअर पालन इकाइयां शामिल हैं. हालांकि, प्रजनक मुर्गीपालन इकाइयां और पशु-उत्पाद प्रसंस्करण उद्योग इन लाभों के लिए पात्र नहीं होंगे, जीआर में स्पष्ट किया गया है. इसमें यह भी कहा गया है कि नए दर्जे के तहत प्रमुख लाभों में कृषि क्षेत्र के समान बिजली शुल्क, सौर सब्सिडी, कर एकरूपता और ऋण सब्सिडी शामिल हैं.

 

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Published: 1 Aug, 2025 | 01:58 PM

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