बिहार में आकाशीय बिजली से 2,000 मौतें, ताड़ के पेड़ों की कटाई बनी वजह? NGT ने मांगा जवाब

ताड़ के पेड़ों की कटाई से सिर्फ बिजली गिरने का खतरा नहीं बढ़ा, बल्कि पर्यावरण पर भी बुरा असर पड़ा है. इन पेड़ों की छांव, जड़ें और पारिस्थितिक संतुलन गांवों की मिट्टी और जलवायु के लिए जरूरी थे.

नई दिल्ली | Published: 23 Jun, 2025 | 08:20 AM

बरसात का मौसम बिहार में अब सिर्फ राहत नहीं, बल्कि डर भी लेकर आता है. खेतों में काम कर रहे किसान, पशुओं को चराते चरवाहे या खुले में बैठे लोग, सभी अब आकाशीय बिजली गिरने की घटनाओं से डरे हुए हैं. बीते कुछ सालों में इस प्राकृतिक घटना से जान गंवाने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है.

NGT ने लिया मामला गंभीरता से, भेजे नोटिस

अब राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने इस गंभीर विषय पर स्वत: संज्ञान लेते हुए बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (BSPCB), राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) सहित अन्य एजेंसियों को नोटिस जारी किया है. यह कार्रवाई उस खबर के आधार पर हुई जिसमें बताया गया था कि राज्य में बड़ी संख्या में ताड़ के पेड़ों को काटा जा रहा है, जो आकाशीय बिजली से सुरक्षा में मददगार होते थे.

रिपोर्ट में क्या कहा गया है?

एक अखबार में छपी रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में 2016 से अब तक आकाशीय बिजली गिरने की घटनाओं में 2,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. इसमें कहा गया है कि ताड़ी निकालने वाले ताड़ के ऊंचे पेड़ों को शराबबंदी के बाद आर्थिक रूप से बेकार मानकर बड़ी संख्या में काटा गया. इससे ग्रामीण इलाकों में आकाशीय बिजली का असर सीधे लोगों पर पड़ने लगा है.

ताड़ के पेड़ क्यों हैं इतने जरूरी?

ताड़ के पेड़ आमतौर पर काफी ऊंचे होते हैं और ये बिजली गिरने की स्थिति में उसे अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं. इससे आस-पास मौजूद लोग या पशु सुरक्षित रहते हैं. लेकिन अब जब ये पेड़ नहीं रहे, तो बिजली सीधी इंसानों और जमीन पर गिर रही है, जिससे जान-माल का भारी नुकसान हो रहा है.

पर्यावरणीय नुकसान भी गंभीर

ताड़ के पेड़ों की कटाई से सिर्फ बिजली गिरने का खतरा नहीं बढ़ा, बल्कि पर्यावरण पर भी बुरा असर पड़ा है. इन पेड़ों की छांव, जड़ें और पारिस्थितिक संतुलन गांवों की मिट्टी और जलवायु के लिए जरूरी थे.

NGT ने क्या कहा?

NGT की प्रधान पीठ ने 5 जून 2025 को आदेश जारी कर सभी संबंधित विभागों से इस पर विस्तृत जवाब मांगा है. पीठ के न्यायिक सदस्य अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल ने इसे पर्यावरण और मानव जीवन से जुड़ा अहम मुद्दा माना है.

पेड़ बचाइए, जान बचाइए

अब गांवों में लोग मांग कर रहे हैं कि ताड़ के पेड़ों की कटाई पर रोक लगाई जाए और इनकी अहमियत को लेकर सरकार जागरूकता फैलाए. साथ ही आकाशीय बिजली से बचाव के उपाय जैसे अलर्ट सिस्टम, सुरक्षित आश्रय स्थल और चेतावनी तंत्र को मजबूत किया जाए.