Paddy Cultivation: हरियाणा और पंजाब में धान कटाई के साथ-साथ खरीदी भी शुरू हो गई है. लेकिन बिहार सहित कई राज्यों में अभी धान की फसल में कल्ले आने ही शुरू हुए हैं. ऐसे में किसानों के लिए यह समय बहुत ही महत्वपूर्ण हो गया है. अगर किसान कल्ले निकलने के दौरान पौधों को सही पोषण देते हैं, तो फसल की पैदावार बढ़ जाएगी. साथ ही धान के दाने चमकदार और वजनदार होंगे. तो आइए आज जानते हैं कल्ले निकलने के दौरान किसानों को धान के खेत में कौन सी देसी दवाई का छिड़काव करनी चाहिए.
एक्सपर्ट के मुताबिक, अक्टूबर की शुरुआती हफ्ते से धान के पौधों में कल्ले निकलने लगते हैं. ऐसे में यही समय होता है जब पौधों को सही पोषण दिया जाए तो पैदावार में जबरदस्त बढ़ोतरी हो सकती है. इसके लिए बहुत ज्यादा खर्च करने की जरूरत नहीं है. अगर किसान चाहें, तो कम खर्च में देशी या जुगाड़ तकनीक से भी अच्छा उत्पादन ले सकते हैं. इसके लिए जरूरत है सही समय पर पोषण, संतुलित उर्वरकों का इस्तेमाल और देसी तरीकों को अपनाने की. अगर किसान चाहें, तो ‘जीवामृत’ का छिड़काव कर पैदावार बढ़ा सकते हैं.
कैसे तैयार किया जाता है ‘जीवामृत’
दरअसल गोबर, गोमूत्र, गुड़, बेसन और मिट्टी मिलाकर जो घोल तैयार किया जाता है, उसे ‘जीवामृत’ कहते हैं. यह एक देसी जैविक टॉनिक है, जिसमें मौजूद प्राकृतिक पोषक तत्व पौधों को जरूरी पोषण देते हैं और जड़ों को मजबूत बनाते हैं. जीवामृत पौधों की रोगों से लड़ने की ताकत बढ़ाता है और मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म जीवों को एक्टिव करता है, जिससे फसल तेजी से और स्वस्थ रूप से बढ़ती है.
इस तरह करें दवाई का छिड़काव
कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, इस समय धान के पौधे कल्ले निकलने की अवस्था में हैं, जो फसल की बढ़त के लिए बहुत अहम समय होता है. ऐसे में जीवामृत का इस्तेमाल सबसे असरदार होता है. इसे 100 से 200 लीटर पानी में मिलाकर खेत में छिड़का जा सकता है. छिड़काव के बाद पौधों को जरूरी पोषण और नमी मिलती है, जिससे कल्ले तेजी से बढ़ते हैं और दाने ज्यादा व अच्छे बनते हैं. लेकिन किसान भाइयों को ध्यान रखना चाहिए कि इस टॉनिक को छानकर ही छिड़कें, ताकि छिड़काव में कोई रुकावट न आए और असर बेहतर हो.
बेहतर होगी फसल की पैदावार
धान के पौधों में कल्ले निकलने की अवस्था के 20 से 25 दिन बाद इस टॉनिक का पहला छिड़काव करना चाहिए. इसके बाद हर 15 दिन में एक बार छिड़काव करना लाभदायक होता है. कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, समय पर छिड़काव करने से चावल के दानों की गुणवत्ता और मात्रा दोनों बढ़ती हैं. दाने ज्यादा स्वस्थ होते हैं और उनके आकार में भी अच्छी बढ़ोतरी देखने को मिलती है.