खेती में उर्वरकों का इस्तेमाल बढ़ना खतरे की घंटी! अकेले यूपी में 4 लाख मीट्रिक टन ज्यादा खपत

उत्तर प्रदेश में किसानों ने इस बार फसलों में जमकर उर्वरकों का इस्तेमाल किया है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार यूपी में खाद की खपत बीते साल की तुलना में 23 फीसदी अधिक हुई है.

रिजवान नूर खान
नोएडा | Published: 7 Aug, 2025 | 01:22 PM

उर्वरकों के अधिक इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरा शक्ति में कमजोरी देखी जा रही है. बीते दिन हरियाणा में 20 फीसदी जमीन की मिट्टी खेती के लिए गुणवत्तापूर्ण नहीं मानी गई है. मिट्टी में हानिकारक तत्वों की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. इसकी वजह अधिक केमिकल फर्टिलाइजर का इस्तेमाल बताया गया है. ऑर्गेनिक और नेचुरल फार्मिंग जैसे विकल्पों के साथ कई तरह के प्रयासों के बावजूद उर्वरकों का इस्तेमाल बढ़ने से रोकने में कामयाबी नहीं मिल रही है. अकेले यूपी में बीते साल की तुलना में इस बार फसलों में 4 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा खाद की खपत हुई है.

मिट्टी सुधार के लिए सरकार के प्रयास

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान किसानों को ऑर्गेनिक और नेचुरल फार्मिंग करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. इसके लिए प्राकृतिक खेती मिशन तक की शुरूआत की जा चुकी है और आर्गेनिक कृषि उपज के लिए एमएसपी से ज्यादा दाम किसानों को दिया जा रहा है. ताकि, किसानों को केमिकल फर्टिलाइजर और मिट्टी को नुकसान पहुंचाने वाले उर्वरकों का इस्तेमाल कम किया जा सके. लेकिन, खाद बिक्री के आंकड़े बताते हैं कि खपत घटने की बजाय बढ़ रही है.

उत्तर प्रदेश में खाद की खपत 23 फीसदी बढ़ी

उत्तर प्रदेश में किसानों ने इस बार फसलों में जमकर उर्वरकों का इस्तेमाल किया है. कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने विभागीय समीक्षा बैठक की, जिसमें बताया गया कि कृषि विभाग की ओर से खाद की लगातार आपूर्ति किये जाने के चलते ही वर्तमान अवधि में बीते वर्ष के मुकाबले इस वर्ष 4,84,035 मीट्रिक टन खाद की अधिक बिक्री की गई है. बीते साल बिक्री 21,57,439 मीट्रिक टन थी, जबकि इस वर्ष 26,41,474 मीट्रिक टन है.

रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल पर किसानों से अपील

यूपी के कृषि मंत्री ने किसानों से भी अपील की कि वे रासायनिक उर्वरकों का उतना ही प्रयोग करें, जिससे मिट्टी की उर्वरता तथा उसका स्वास्थ्य भी बचाया जा सके. उन्होंने उर्वरक की आपूर्ति, भंडारण और वितरण की समीक्षा करते हुए कहा कि प्रत्येक खाद बिक्री केन्द्र स्तर पर इसकी गहन निगरानी जरूरी है. उन्होंने कहा कि स्थानीय अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि किसानों को खतौनी में उनके नाम दर्ज भूमि के हिसाब से ही उर्वरक दिया जाए, जिससे जमाखोरी व कालाबाजारी पर भी लगाम लगायी जा सके.

देशभर में यूरिया, डीएपी समेत अन्य खाद की खपत कितनी

भारतीय उर्वरक संघ (FAI) के अनुसार 2023-24 के दौरान यूरिया की अखिल भारतीय अनुमानित खपत (डीबीटी बिक्री के आधार पर) 357.8 लाख मीट्रिक टन, डीएपी 108. 1 लाख मीट्रिक टन, एमओपी 16.4 लाख मीट्रिक टन और एनपी/एनपीके जटिल उर्वरकों की खपत 110.7 लाख मीट्रिक टन है. 2022-23 के खपत आंकड़ों से तुलना करने पर यूरिया की खपत 0.2 फीसदी बढ़ी है. डीएपी की खपत 3.8 फीसदी बढ़ी. जबकि, 0.8 एमओपी और एनपीके की खपत में 9.9 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.

निम्नलिखित फसलों में से किस फसल की खेती के लिए सबसे कम पानी की आवश्यकता होती है?

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