90 फीसदी बछिया का वादा.. कम खर्च में ज्यादा फायदा, गाय पालन में आई नई वैज्ञानिक क्रांति

गाय पालन करने वाले किसानों के लिए नई तकनीक उम्मीद लेकर आई है. अब गर्भाधान के जरिए बछड़ा नहीं बल्कि बछिया पैदा होने की संभावना बढ़ गई है. इससे नर बछड़ों की समस्या घटेगी, दूध उत्पादन बढ़ेगा और पशुपालकों की आय में बड़ा सुधार हो सकता है.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 28 Dec, 2025 | 12:24 PM
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गांवों में गाय-भैंस पालना सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि आज लाखों परिवारों की कमाई का बड़ा जरिया बन चुका है. लेकिन पशुपालकों की सबसे बड़ी परेशानी तब शुरू होती है, जब गाय बछड़ा जन्म देती है. नर बछड़ों की देखभाल, उनका उपयोग और बाद में उन्हें संभालना एक बड़ी चुनौती बन जाता है. अब इसी समस्या का समाधान लेकर आई है एक नई वैज्ञानिक तकनीक, जिससे 90 प्रतिशत तक बछिया पैदा होने की संभावना है. यह तकनीक न सिर्फ पशुपालकों का बोझ कम करेगी, बल्कि उनकी आय बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभाएगी.

क्या है सेक्स-सॉर्टेड सीमेन तकनीक

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने गायों के कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination) के लिए सेक्स-सॉर्टेड सीमेन विकसित किया है. इस सीमेन की खासियत यह है कि इसके उपयोग से नर बछड़े की जगह मादा बछिया के जन्म  की संभावना करीब 90 प्रतिशत तक रहती है. आसान शब्दों में कहें तो अब गर्भाधान के जरिए पहले से तय किया जा सकता है कि पैदा होने वाला बछड़ा बछिया होगा. इससे दूध देने वाले पशुओं की संख्या बढ़ेगी और पशुपालकों को ज्यादा फायदा मिलेगा.

नर बछड़ों की समस्या का मिलेगा समाधान

पशुपालन में सबसे बड़ी समस्या नर बछड़ों की होती है. उनके लिए चारा, जगह और देखभाल की व्यवस्था करना कई बार किसानों के लिए मुश्किल हो जाता है. कई मामलों में बछड़ों को सड़कों पर छोड़ दिया जाता है, जिससे दुर्घटनाएं और अन्य समस्याएं बढ़ती हैं. सेक्स-सॉर्टेड सीमेन तकनीक अपनाने से यह परेशानी काफी हद तक कम हो सकती है. बछिया पैदा होने से पशुपालक सीधे दूध उत्पादन  पर ध्यान दे पाएंगे.

1500 रुपये का काम सिर्फ 100 में

इस योजना की सबसे बड़ी खासियत इसकी कम लागत है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बाजार में सेक्स-सॉर्टेड सीमेन की कीमत 1200 से 1500 रुपये तक होती है. लेकिन सरकारी सहायता के चलते यह सीमेन पशुपालकों  को मात्र 100 रुपये में उपलब्ध कराया जा रहा है. एक पशु पर दो बार तक इस सीमेन पर अनुदान मिलता है. अगर पहली बार में गर्भ न ठहरे या दुर्लभ स्थिति में नर बछड़ा पैदा हो जाए, तो दोबारा मौका दिया जाता है. इससे किसानों का जोखिम काफी कम हो जाता है. यह सुविधा पशु अस्पतालों, पशु औषधालयों और उपकेंद्रों के माध्यम से उपलब्ध कराई जा रही है. गाय या भैंस के गर्मी में आने पर समय पर संपर्क कर गर्भाधान कराया जा सकता है.

दूध उत्पादन बढ़ेगा, आय होगी कई गुना

इस तकनीक से पैदा होने वाली उन्नत नस्ल की गायें  और भैंसें रोजाना 10 से 15 लीटर तक दूध देने में सक्षम होती हैं. इससे पशुपालकों की आमदनी तेजी से बढ़ सकती है. अनुमान है कि तीन साल के भीतर किसानों की आय चार से पांच गुना तक बढ़ सकती है. यह तकनीक पशु नस्ल सुधार, दूध उत्पादन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में अहम साबित हो सकती है.

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