Poultry Farming: अंडों की मशीन है ये मुर्गी! साल में देती है 290 अंडे, किसान भी हैरान

साल में 290 अंडे देने वाली कृषि लेअर मुर्गी बनी किसानों की कमाई की मशीन, अंडा बेचो और हर दिन कमाओ.

नई दिल्ली | Updated On: 25 Jun, 2025 | 11:37 PM

गांव की चौपाल हो या किसान मेले की भीड़… अगर कोई बात सबसे ज्यादा कान में जाती है तो वो है कुछ नया करो, मुनाफे वाला करो. ऐसे में एक धंधा धीरे-धीरे शहर से निकलकर गांव की मिट्टी में जड़ें जमा रहा है. नाम है, देसी मुर्गी पालन. इसमे न शोर, न ज्यादा खर्च, लेकिन कमाई ऐसी कि शहर के पढ़े-लिखे भी पूछ बैठें कैसे शुरू किया?

कृषि लेअर मुर्गी, मुनाफे की मशीन

अब बात करते हैं असली खिलाड़ी की. जिसका नाम है कृषि लेअर मुर्गी. कृषि लेयर मुर्गी अंडे देने वाली मुर्गियों को कहा जाता है, जिन्हें अंडा उत्पादन के लिए पाला जाता है. ये मुर्गियां सामान्य मुर्गियों की तुलना में 18-19 सप्ताह की उम्र से ही अंडा देना शुरू कर देती हैं. इस मुर्गी को देसी अंदाज में अंडा मशीन भी लोग कहते हैं. क्योंकि यह एक साल में औसतन 290 अंडे देती है. अगर बाजार में एक अंडा 7 रुपये का बिका, तो एक मुर्गी साल में करीब 2 हजार रुपये तक की कमाई दे गई और जब सौ-दो सौ मुर्गियां हो जाएं तो आंकड़ा सीधे लाखों तक पहुंच जायेगा. यही वजह है कि छोटे-बड़े फार्म इसे हाथों-हाथ लेते हैं. इसका चूजा भी बाजार में 40-45 रुपये तक का बिक रहा है. यानि कमाई की शुरुआत वहीं से स्टार्ट हो जाती है.

देसी नस्लें भी किसी से कम नहीं

अब रुख करते हैं देसी ताकत की तरफ. इनमें वनश्री, ग्रामप्रिया, निकोबरी, कड़कनाथ ये सब भारत की मिट्टी में पली-बढ़ी मुर्गी की नस्लें हैं. अंडों की संख्या कम जरूर है, पर कीमत में तगड़ा फर्क है. कड़कनाथ का एक अंडा 30 से 35 रुपये तक बिकता है. वहीं, निकोबरी और ग्रामप्रिया जैसे नस्लें भी औसतन 160-180 अंडे साल भर में दे देती हैं. यानि जो चीज दिखती साधारण है, वही असल में सोना उगलती है.

असील मुर्गी का अंडा है ताकत का टॉनिक

अब जरा बात उस मुर्गी की, जो जितनी खास है, उतनी ही कमाल. उसका नाम है असील. चाल में अकड़ और बाजार में डिमांड ऐसी कि पूछो मत. ये मुर्गी साल भर में औसतन 60-70 अंडे देती है, लेकिन हर अंडा अपने आप में ब्रांड है. मीट की बात करें तो कम लोग खाते हैं, लेकिन सर्दियों में इसका एक अंडा सीधे 100 रुपये तक पहुंच जाता है. हेल्थ एक्सपर्ट की माने तो यह ताकत का टॉनिक है. सरकारी हैचरी में यही अंडा 50 रुपये तक में मिलता है, लेकिन खुले बाजार में जैसे ही आता है, दाम दोगुना हो जाता है और ग्राहक बिना झिझक खरीदता है. ये असील है न दिखावे की शौकीन, न शोर में यकीन. लेकिन जिसने इसे पाला, उसकी कमाई में फर्क साफ दिखता है.

Published: 26 Jun, 2025 | 09:00 AM