पंजाब किसान और जमीन को लेकर अकसर चर्चा में रहता है. अब चर्चा के केंद्र में है राज्य की लैंड पूलिंग पॉलिसी. इसकी वजह है इस पॉलिसी में किए गए बदलाव. इन बदलावों को जानने से पहले ये समझना जरूरी है कि लैंड पूलिंग पॉलिसी है क्या.
लैंड पूलिंग पॉलिसी के तहत राज्य सरकार या जिम्मेदार अथॉरिटी किसानों या भूमि मालिकों की जमीन को एकत्रित करके बड़े पैमाने पर विकास कार्यों को अंजाम देती है. इसके तहत जमीनों पर आवासीय, कमर्शियल या इंडस्ट्रियल प्रोजेक्ट विकसित किए जाते हैं. इसके बाद किसानों को उनकी जमीन का एक हिस्सा विकसित रूप में उन्हें वापस दिया जाता है. इस पॉलिसी के तहत व्यक्तिगत भूमि मालिक अपनी जमीन को बड़े, एकीकृत भूखंडों में मिलाते हैं. ताकि विकास योजनाओं को मूर्त रूप दिया जा सके और बदले में उन्हें जमीन का एक विकसित हिस्सा मिलता है.
लैंड बैंक बनाने के इरादे से पहली बार लाई गई थी पॉलिसी
अब आते हैं पंजाब सरकार की लैंड पूलिंग पॉलिसी पर. पंजाब में पहली बार लैंड पूलिंग पॉलिसी को 2010 में अकाली-भाजपा शासन के दौरान शहरी विकास के लिए लैंड बैंक बनाने के इरादे से पेश किया गया था. इसके तहत मुख्य रूप से मोहाली में आवासीय क्षेत्रों का विकास करना था.
अब पॉलिसी में किए गए संशोधन को लेकर राज्य सरकार का मानना है कि नए बदलावों से आधे एकड़ से कम भूमि वाले किसानों को मुआवजा देने के लिए कमर्शियल प्लॉट्स को खत्म करके भूमि को टुकड़ों में बंटने से रोकने में मदद मिलेगी. मौजूदा नीति में बदलाव के रूप में सरकार ने 3 कनाल यानी लगभग आधा एकड़ तक की भूमि देने वाले किसानों को कमर्शियल जगह देने के प्रावधान को खत्म कर दिया है. ऐसे किसान या जमीन मालिकों को अब केवल आवासीय भूखंड ही मिल सकेगा. हालांकि, सरकार ने लैंड बैंक बनाने के लिए आधा एकड़ या उससे अधिक भूमि देने वाले किसानों को पहले की तरह अन्य लाभ देना जारी रखा है. 4 कनाल यानी आधा एकड़ से एक एकड़ तक की भूमि देने वालों को नई नीति के तहत आवासीय और कमर्शियल स्थल मिलते रहेंगे.
पहले की गड़बड़ियों को ठीक करने के लिए पॉलिसी में संशोधन
दावा है कि ये बदलाव केवल आवासीय क्षेत्रों के लिए अधिग्रहित की जा रही भूमि के लिए लागू थे और इनका उद्देश्य बेहतर शहरी नियोजन के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को तर्कसंगत बनाना था. यह पहली बार है कि सरकार ने आवासीय, इंडस्ट्रियल, संस्थागत और कमर्शियल क्षेत्रों के साथ ही एकीकृत इंडस्ट्रियल पार्कों के लिए भूमि के बड़े हिस्से को विकसित करने के लिए बड़े स्तर पर नीति तैयार की है.
सरकार की ओर से यह भी कहा गया है कि संशोधित लैंड पूलिंग पॉलिसी केवल उन अधिग्रहणों पर लागू होगी, जहां पॉलिसी की अधिसूचना की तारीख के बाद भूमि मुआवजा पारित किया गया है. इसलिए यह माना जा रहा है कि यह मोहाली और न्यू चंडीगढ़ में एरोट्रोपोलिस और इको सिटी-III प्रोजेक्ट के लिए आगामी भूमि अधिग्रहण पर यह लागू होगी.
लैंड पूलिंग पॉलिसी में बदलावों से इन बाधाओं को दूर करेगी सरकार
- टुकड़ों में बंटी थी जमीन
- शहरी नियोजन में दिक्कत
- सरकारी खजाने को नुकसान
- लेआउट प्लान में परेशानी
दावा है कि पहले एक एकड़ को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटने से मोहाली के रिहायशी सेक्टरों में शहरी नियोजन में बाधा आ रही है. आवास विभाग से जुड़े लोगों का कहना है कि विकास प्राधिकरण ने लैंड पूलिंग पॉलिसी के तहत लाभार्थियों को अधिक छोटे आकार के कमर्शियल स्थल दे दिए, जिससे न केवल राज्य के खजाने को वित्तीय नुकसान हुआ है, बल्कि लेआउट प्लान में भी बाधा आई है.
अब कहा जा रहा है कि इसी दिक्कत को समझते हुए राज्य सरकार ने पॉलिसी में संशोधन किया है. राज्य सरकार लुधियाना में अधिग्रहित की जा रही 24,000 एकड़ जमीन सहित 27 शहरी केंद्रों के लिए लैंड पूलिंग पॉलिसी को लागू किया जा रहा है.
राज्य में कई नए टाउनशिप विकसित होंगे
लैंड पूलिंग पॉलिसी को लेकर पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि यह सरकार की एक अहम योजना है, जिसका मकसद राज्य में कई नए टाउनशिप विकसित करना है. उन्होंने कहा कि यह नीति लंबे समय से तैयार की जा रही थी, क्योंकि आर्थिक तंगी से जूझ रही पंजाब सरकार राजस्व बढ़ाने के नए रास्ते तलाश रही है. उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत कई शहरों के पास टाउनशिप विकसित की जाएंगी.
- लैंड पूलिंग पॉलिसी के तहत किसान अपनी जमीन सरकार को दे सकते हैं.
- सरकार उस जमीन पर सड़कें, सीवरेज और अन्य बुनियादी सुविधाएं विकसित कर उसे बाजार में बेचेगी.
- उस जमीन में किसान को 1,000 गज का घर या कमर्शियल प्रॉपर्टी बनाने के लिए भी हिस्सा मिलेगा.
- सरकार किसानों को जमीन का मूल्य बाजार दर के बराबर देगी.
किसानों को भू-माफिया से बचाएंगे और अवैध कॉलोनियों पर रोक लगेगी
सरकार से जुड़े लोगों का कहना है कि पॉलिसी में बदलावों से छोटी जोत वाले किसानों को फायदा मिलेगा. खासकर उन किसानों के लिए जिनके पास उपजाऊ कृषि भूमि नहीं है. यह पॉलिसी छोटे किसानों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है, जो एक एकड़ या उससे कम की अपनी छोटी जमीन से जीवन यापन करने में सक्षम नहीं हैं. पंजाब सरकार ने भी कहा है कि पॉलिसी में बदलावों के जरिए किसानों को ठगी से बचाने और अवैध कॉलोनियों पर रोक लगेगी. किसान स्वेच्छा से जमीन देकर विकसित भूखंड वापस पा सकेंगे.