Explainer: पंजाब की माइनिंग पॉलिसी पर हलचल, किसानों के फायदे का दावा कितना सच?

अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए पंजाब सरकार ने Mining Policy में बदलाव किए हैं. यह बदलाव किसानों के हित में बताए गए हैं.

नोएडा | Published: 23 Jun, 2025 | 03:27 PM

पिछले कुछ दिनों से पंजाब में एक खास किस्म की हलचल है. यह हलचल नई पॉलिसी को लेकर है, जिसको लेकर पंजाब सरकार का दावा है कि इससे राज्य की सूरत और सीरत दोनों बदलेगी. पंजाब सरकार ने 2022 की पंजाब माइनर मिनरल्स पॉलिसी को बदला है. इल्लीगल माइनिंग यानी अवैध खनन तमाम राज्यों की बड़ी समस्या के रूप में रहा है. इसे लेकर कोशिशें होती रही हैं, लेकिन ज्यादातर राज्य इस समस्या से जूझ रहे हैं. पंजाब भी उनमें से एक है.

नई पॉलिसी क्यों लानी पड़ी

नई पॉलिसी क्यों लानी पड़ी, इसके पीछे की नीयत तो साफ है, क्योंकि खनन की समस्या जटिल है. इससे निपटने के लिए कुछ न कुछ किया ही जाना था. लेकिन इससे होगा क्या. सरकार का कहना है कि तीन बातें होंगी

  • पहली… अवैध खनन पर लगाम लगेगी
  • दूसरी…. मोनोपॉली पर खत्म होगी
  • तीसरी ….कंस्ट्रक्शन यानी निर्माण लागत में कमी
  • और चूंकि माइनिंग अब फॉर्मल सेक्टर की तरह होगा तो सरकार को अतिरिक्त राजस्व हासिल हो सकेगा

इस नीति को लागू करने से होगा क्या

जमीन मालिक खनन पट्टे यानी माइनिंग लीज के लिए आवेदन करने के बाद अपनी जमीन की रेत को बेच सकेंगे. राज्य सरकार भी सरकारी जमीन पर रेत के भंडार को बेच सकती है. रेत और बजरी खनन के लिए रॉयल्टी भी बढ़ा दी गई है.
अब तक रेत और बजरी दोनों के लिए रॉयल्टी 73 पैसे प्रति क्यूबिक फीट थी. अब बजरी के लिए इसे बढ़ाकर तीन रुपए 20 पैसे प्रति क्यूबिक फीट और रेत के लिए एक रुपए 75 पैसे प्रति क्यूबिक फीट किया गया है.

अवैध तरीके को लीगल दायरे में लाना है उद्देश्य

इसके बैकग्राउंड की तरफ जाते हैं जब पिछले विधान सभा चुनाव होने थे. आम आदमी पार्टी ने कहा था कि खनन से राजस्व 20 हजार करोड़ तक पहुंच जाएगा. आम आदमी पार्टी चाहती थी कि जो काम अवैध तरीके से हो रहा है, उसे लीगल दायरे में लाया जाए. अब माना जा रहा है कि नियमों में बदलाव से सालाना आय 800 करोड़ रुपये के आसपास पहुंचेगी, जो अभी तक मिल रहे राजस्व से कई गुना ज्यादा है.

पंजाब में अवैध खनन का मुद्दा बहुत पुराना

पंजाब में बाकी कई राज्यों की तरह यह मुद्दा बहुत पुराना है. अवैध खनन के व्यवसाय में तमाम राजनेताओं पर आरोप लगते रहे हैं. यहां तक कि अवैध रेत खनन और रेत-बजरी की ऊंची कीमतें चुनावी मुद्दा भी बनते रहे हैं. अमरिंदर सिंह ने 2017 में राज्य की जब कमान संभाली थी, तब भी उन्होंने अवैध खनन में शामिल विधायकों के नाम होने की बात कही थी. उनके कैबिनेट सहयोगी राणा गुरजीत सिंह को विवादास्पद नीलामी के माामले में इस्तीफा देना पड़ा था. जब चन्नी मुख्यमंत्री बने तो नई नीति बनाने की कोशिश की. उनके भतीजे पर भी रेत खनन मामले में आरोप थे.

आप सरकार को लोकप्रिय होने की उम्मीद

इसीलिए पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार ने ऐसे मामले में हाथ डाला है, जो उन्हें लोकप्रियता भी दे सकती है और उल्टा असर भी कर सकती है. अगर यह नीति उसी नीयत से लागू की गई, जैसा दावा सरकार कर रही है, तो दो साल बाद होने वाले चुनावों के मद्देनजर यह अहम साबित हो सकती है. लेकिन तमाम लोग विरोध भी कर रहे हैं. उनके विरोध की वजहें सही साबित न हो पाएं, यह सरकार को सुनिश्चित करना पड़ेगा.

किसानों और एनवायरमेंट से जुड़े लोगों की राय अलग

इस फैसले के बाद ही पंजाब में किसानों से लेकर एनवायरमेंट से जुड़े लोगों की राय अलग-अलग हो गई है. पंजाब के किसान नेताओं माइनिंग एक्ट लागू होने का फांसी के फंदे के समान बताया है और इसे लागू कराने और पालन की प्रक्रिया को लेकर चिंता जताई है. भारतीय किसान यूनियन मोहाली पंजाब के प्रमुख बलवंत सिंह नडियाली ने माइनिंग पॉलिसी को लेकर कहा कि किसानों के हक में माइनिंग पॉलिसी को जारी किया जाना, किसानों को खेत-खलिहान से रेत, बजरी, मिट्टी बेचने की सुविधा दी जा रही है. इससे किसानों की आर्थिक हालत सुधर सकती है. हालांकि, उन्होंने विभागीय अधिकारियों और माइनिंग माफिया की सांठगांठ को लेकर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि तभी किसानों को इस पॉलिसी का सही तरीके से लाभ मिल सकता है.

यह मामला खेतों से जुड़ा है, पर्यावरण से जुड़ा है, राजस्व से जुड़ा है.. इसलिए हर पक्ष की तरफ से कुछ न कुछ कहा ही जाएगा.