नारियल तेल बना लग्जरी प्रोडक्ट, बढ़ती मांग और घटती उत्पादन ने बढ़ाई कीमतें

नारियल तेल ही नहीं, बल्कि नारियल पानी, सूखा नारियल (कॉप्रा), नारियल का दूध और पाउडर भी महंगे हो रहे हैं. इससे न सिर्फ रसोई पर असर पड़ा है बल्कि शैम्पू और स्किनकेयर प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियां भी महंगी कच्ची सामग्री से जूझ रही हैं.

नई दिल्ली | Published: 20 Aug, 2025 | 09:39 AM

रसोई का अहम हिस्सा माने जाने वाला नारियल तेल अब आम लोगों की पहुंच से बाहर होता जा रहा है. लगातार बढ़ती मांग और घटती उत्पादन क्षमता ने इसे एक “लक्जरी स्टेपल” बना दिया है. भारत में नारियल तेल की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी हैं, जहां दो साल पहले तक इसकी कीमतें सामान्य थीं, वहीं अब यह लगभग तीन गुना महंगा हो गया है.

कीमतों का रिकॉर्ड

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, भारत में नारियल तेल की कीमतें इस समय करीब 4.23 लाख रुपये प्रति मीट्रिक टन तक पहुंच गई हैं, जबकि वैश्विक स्तर पर यह 2,990 डॉलर प्रति टन के ऐतिहासिक उच्च स्तर पर है. विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले महीनों में भी कीमतें 2,000 डॉलर प्रति टन से नीचे आना मुश्किल है.

केरल की रहने वाली लीला चेरियन कहती हैं, “अब रोजमर्रा के खाने के लिए मैं सूरजमुखी तेल का इस्तेमाल करूंगी और नारियल तेल सिर्फ उन्हीं पकवानों में डालूंगी जहां इसका स्वाद जरूरी है.”

गिरता उत्पादन, बढ़ती दिक्कतें

कीमतों में उछाल की सबसे बड़ी वजह है- घटता उत्पादन. कम बारिश, बढ़ती गर्मी, कीटों का हमला और पुरानी हो चुकी नारियल बागानें इस संकट को और गहरा कर रही हैं. इंडोनेशिया, मलेशिया और फिलीपींस जैसे देशों में मौसम की मार ने पैदावार घटा दी है. वहीं भारत में भी लगातार कम निवेश और महामारी के दौरान बागानों की अनदेखी ने उत्पादन को और कमजोर कर दिया.

विशेषज्ञ बताते हैं कि नई पौध लगाने पर भी उत्पादन आने में 4-5 साल लगते हैं, यानी निकट भविष्य में कीमतें कम होने की उम्मीद कम ही है.

असर सिर्फ तेल पर नहीं

नारियल तेल ही नहीं, बल्कि नारियल पानी, सूखा नारियल (कॉप्रा), नारियल का दूध और पाउडर भी महंगे हो रहे हैं. इससे न सिर्फ रसोई पर असर पड़ा है बल्कि शैम्पू और स्किनकेयर प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियां भी महंगी कच्ची सामग्री से जूझ रही हैं.

बढ़ती वैश्विक मांग

भारत के अलावा यूरोप, अमेरिका, चीन और मध्य-पूर्व के देशों में भी नारियल आधारित उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है. यही वजह है कि इंडोनेशिया जैसे देश अब तेल निकालने के बजाय पूरा नारियल निर्यात करने लगे हैं.

बढ़ती मांग और घटते उत्पादन ने नारियल तेल को “नए युग का महंगा तेल” बना दिया है. विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले सालों में शायद कीमतों में थोड़ी राहत मिले, लेकिन यह अब कभी भी पुरानी सस्ती दरों पर लौटना मुश्किल होगा.