अफ्रीका विधि से केसर आम की खेती कर रहे किसान, महाराष्ट्र में बागों का रकबा बढ़ा

एक्सपर्ट ने बताया कि आम किसान प्लांटेशन के लिए दक्षिण अफ्रीका में इस्तेमाल होने वाली विधि का प्रयोग कर रहे हैं. इससे पौधे 4 साल में ही फल देने लग रहे हैं.

नोएडा | Updated On: 8 Jun, 2025 | 12:35 PM

महाराष्ट्र में आमों की खेती खूब की जाती है. राज्य का अल्फांसो या हापुस आम देश ही नहीं दुनियाभर में अपने स्वाद और खुशबू के लिए लोकप्रिय है. राज्य में कुछ हिस्सों के किसान अब आम की किस्म केसर की खेती की ओर भी तेजी से बढ़ रहे हैं. बीते कुछ वर्षों के दौरान अच्छी पैदावार और बढ़िया कीमत मिलने से किसानों को आम की खेती से खूब मुनाफा हुआ है. यही वजह है कि केसर आम की खेती का रकबा भी कई फीसदी बढ़ गया है. एक्सपर्ट ने बताया कि आम किसान प्लांटेशन के लिए दक्षिण अफ्रीका में इस्तेमाल होने वाली विधि का प्रयोग कर रहे हैं. इससे पौधे 4 साल में ही फल देने लग रहे हैं.

हाई डेंसिटी प्लांटेशन विधि से आम की खेती

महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर जिले में केसर आम की खेती में तेजी से बढ़ोत्तरी दराज की गई है. यहां के किसान इस आम के लिए हाई डेंसिटी प्लांटेशन तकनीक का पालन कर रहे हैं. इससे पेड़ों की संख्या ज्यादा रहती है और उत्पादन अधिक मिलता है. समाचार एजेंसी पीटीआई को एक कृषि अधिकारी ने रविवार को बताया कि 2022 से केसर किस्म के आम की खेती का रकबा लगभग 5 गुना बढ़ गया है.

इन जिलों में बढ़ा केसर आम का रकबा

कृषि अधिकारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि 2022-23 में 729 हेक्टेयर में केसर की खेती की जा रही थी, जो अब 2024-25 में बढ़कर 3,470 हेक्टेयर तक पहुंच गई है. यानी 2,741 हेक्टेयर से अधिक की बढ़ोत्तरी देखी गई है. छत्रपति संभाजीनगर जिले के अलावा जालना और बीड जिलों में भी केसर आम की खूब खेती की जा रही है.

4 साल में फल देने लगते हैं पौधे

जिला अधीक्षण कृषि अधिकारी प्रकाश देशमुख ने पीटीआई को बताया कि अच्छी पैदावार और रिटर्न के चलते किसान केसर आम की खेती की ओर मुड़ गए हैं. उन्होंने कहा कि केसर आम के पौधे केवल 4-5 साल में बड़े हो जाते हैं और फल देने लगते हैं. छत्रपति संभाजीनगर केसर क्लस्टर में शामिल है. उन्होंने बताया कि पिछले साल इस क्षेत्र से करीब 1,500 मीट्रिक टन आम का निर्यात भी हुआ था.

दक्षिण अफ्रीका की प्लांटेशन विधि अपना रहे किसान

जानकारों का कहना है कि अल्ट्रा हाई डेंसिटी तकनीक के इस्तेमाल से प्रति हेक्टेयर 580 से 622 पेड़ लगाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि पहले आम के पौधे 33×33 फीट की दूरी पर लगाए जाते थे. अब यह दूरी घटकर 14×5 फीट रह गई है. बताया गया कि इस तरह से प्लांटेशन दक्षिण अफ्रीका में खूब होता है. अब किसानों को इस हाई डेंसिटी विधि से प्रति एकड़ 6-14 टन आम मिल रहा है, जबकि महाराष्ट्र में औसत उत्पादकता 3-4 टन के बीच है.

Published: 8 Jun, 2025 | 12:35 PM

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