उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री ने कहा कि 17 नवंबर को लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम में 300 किसान और कृषि वैज्ञानिक शामिल होंगे और कार्यक्रम में विजन 2047 डॉक्यूमेंट पेश किया जाएगा. उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के पास देश की कुल कृषि योग्य भूमि का लगभग 11 प्रतिशत हिस्सा है और यह देश के कुल खाद्यान्न उत्पादन में 21.58 प्रतिशत योगदान देता है. गेहूं, चावल, गन्ना और आलू उत्पादन में प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है, जबकि बाजरा, मसूर, राई और सरसों में दूसरा तथा दलहन उत्पादन में चौथा स्थान प्राप्त है. उन्होंने कहा कि नवाचार, तकनीकी एकीकरण और किसानों की आय तीन गुना करने पर कृषि विभाग का फोकस है.
उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने गुरुवार को कृषि भवन सभागार लखनऊ में “विकसित उत्तर प्रदेश@2047” विषय पर आयोजित प्रेसवार्ता में कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य सरकार वर्ष 2047 तक उत्तर प्रदेश को पूर्ण विकसित राज्य बनाने के लिए संकल्पित है. प्रधानमंत्री के “विकसित भारत@2047” दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए राज्य सरकार ने सभी विभागों के लिए दीर्घकालिक योजनाएं तैयार की हैं. इसी क्रम में कृषि विभाग ने भी एक ठोस कार्ययोजना तैयार की है, जिसका उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाकर उत्तर प्रदेश को आत्मनिर्भर, समृद्ध और टिकाऊ कृषि अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करना है.
कृषि मंत्री ने बताया कि “विकसित उत्तर प्रदेश/@2047” विषय पर जन संवाद एवं विचार मंथन कार्यक्रम आगामी 17 नवम्बर 2025 को लखनऊ में होगा. इसमें लगभग 300 कृषि विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, प्रगतिशील कृषक और अधिकारी सहभाग करेंगे. इस कार्यक्रम में नीति आयोग, भारत सरकार के परामर्श से कृषि क्षेत्र का दीर्घकालिक विजन डॉक्यूमेंट-2047 तैयार किया जाएगा, जिसमें प्रदेश की कृषि उत्पादन क्षमता, निर्यात, प्रसंस्करण और रोजगार सृजन को केंद्र में रखा जाएगा.
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गेहूं उत्पादन में सबसे आगे उत्तर प्रदेश
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के पास देश की कुल कृषि योग्य भूमि का लगभग 11 प्रतिशत हिस्सा है और यह देश के कुल खाद्यान्न उत्पादन में 21.58 प्रतिशत योगदान देता है. गेहूं, चावल, गन्ना और आलू उत्पादन में प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है, जबकि बाजरा, मसूर, राई और सरसों में दूसरा तथा दलहन उत्पादन में चौथा स्थान प्राप्त है. उन्होने कहा कि वर्तमान में राज्य में 244.65 लाख मीट्रिक टन आलू (देश का 40.7 प्रतिशत) तथा 423.54 लाख मीट्रिक टन सब्जियों (देश का 19.3 प्रतिशत) का उत्पादन किया जा रहा है.
यूपी में दूध उत्पादन कितना होता है
दूध उत्पादन 414 लाख मीट्रिक टन (16.2 प्रतिशत) और मछली उत्पादन 1330 लाख मीट्रिक टन (8 प्रतिशत) तक पहुंच चुका है. कृषि क्षेत्र की जीएसवीए वर्ष 2016-17 में 2 लाख करोड़ रुपए थी, जो 2024-25 में बढ़कर 4.37 लाख करोड़ रुपए हो गई है, जो 118.5 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाती है.
कृषि विभाग ने इन फसलों और खेती को बढ़ाने का लिया संकल्प
कृषि मंत्री ने कहा कि विकसित उत्तर प्रदेश@2047 की दिशा में कृषि विभाग ने 22 संकल्प लिए हैं, जिनका उद्देश्य कृषि क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाना है. इन संकल्पों में प्रदेश की संभावित छह ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान सुनिश्चित करना, फसल सघनता को 182 प्रतिशत से बढ़ाकर 250 प्रतिशत तक ले जाना का संकल्प लिया है
- इसके अलावा धान, गेहूं, मक्का, दलहन और तिलहन की उत्पादकता में अभूतपूर्व वृद्धि करना,
- मृदा जीवांश कार्बन स्तर को 0.3 से 1.0 तक बढ़ाना, 30 लाख हेक्टेयर बंजर व ऊसर भूमि को कृषि योग्य बनाना,
- कृषि मशीनीकरण को 75 प्रतिशत तक पहुंचाना,
- गन्ने की सहफसली खेती को बढ़ावा देना,
- पांच बीज पार्कों की स्थापना करना तथा “हर खेत में मेंड़, हर मेंड़ पर पेड़” के संकल्प को मूर्त रूप देना
- किसानों की आय को तीन गुना करना,
- प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना,
- कृषि निर्यात को 50 अरब अमेरिकी डॉलर तक ले जाना,
- महिला किसानों की भागीदारी में वृद्धि करना,
- जैविक उत्पादों का राज्य स्तरीय ब्रांड तैयार करना,
- खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों का विस्तार,
- कृषि शिक्षा व कौशल प्रशिक्षण को सशक्त बनाना,
- एग्री-स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन देना,
- कृषि डेटा प्रबंधन का डिजिटलीकरण करना,
- पशुपालन और मत्स्य क्षेत्र को समान रूप से विकसित करना और तकनीकी नवाचारों को नीति-निर्माण में शामिल करना संकल्पों का हिस्सा है.
ग्रामीण अर्थव्यवस्था के पुनर्गठन पर विशेष बल
कृषि मंत्री ने कहा कि इन 22 संकल्पों के माध्यम से उत्तर प्रदेश को वर्ष 2047 तक विकसित, आत्मनिर्भर और आधुनिक कृषि राज्य के रूप में स्थापित किया जाएगा. इस दिशा में नवाचार, तकनीकी एकीकरण, मूल्य संवर्धन, बाजार विस्तार, महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के पुनर्गठन पर विशेष बल दिया गया है. उन्होंने किसानों, वैज्ञानिकों और युवाओं से अपील की कि वे इस मिशन में सक्रिय भागीदारी करें, ताकि उत्तर प्रदेश देश के कृषि मानचित्र पर “विकसित उत्तर प्रदेश@2047” के रूप में एक नई पहचान स्थापित कर सके.