मूसलाधार बारिश में भी खराब नहीं होती धान की ये बेहतरीन किस्म, 45 क्विंटल तक होती है पैदावार

स्वर्णा सब-1 धान की एक ऐसी किस्म है जो ज्यादा बारिश होने पर भी अच्छी पैदावार देने के लिए किसानों के बीच काफी लोकप्रिय है. ये किस्म 14 से 17 दिनों तक पानी में डूबे रहने के बाद भी खराब नहीं होती है.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Updated On: 9 Aug, 2025 | 07:21 PM

मॉनसून की शुरुआत होते ही किसानों ने धान की रोपाई शुरू कर दी थी. देशभर के कई हिस्सों में किसान लगभग धान की रोपाई पूरी कर चुके हैं. इस साल अच्छी बारिश होने के कारण किसान खुश हैं. लेकिन कुछ इलाकों में जरूरत से ज्यादा बारिश होने के कारण धान की फसल बर्बाद हो रही है और किसानों को भी भारी नुकसान हो रहा है. वहीं धान की कुछ किस्में ऐसी भी हैं जो मूसलाधार बारिश में भी खेतों में खड़ी रहती हैं. धान की ऐसी ही उन्नत क्वालिटी की किस्मों में से एक है स्वर्णा सब-1 (Swarna Sub-1). बता दें कि ये किस्म बहुत ज्यादा बारिश में भी अच्छी उपज देती है. इस लिहाज से इस किस्म की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकती है.

खेती के लिए करें सही समय का चुनाव

स्वर्णा सब-1 (Swarna Sub-1) धान की ऐसी किस्म है जिसे भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान (NRRI) द्वारा साल 2009 में विकसित किया गया था. सेंट्रल राइस रिसर्च इस्टीट्यूट, ओडिशा (Central Rice Research Institute, Odisha) के अनुसार धान की इस किस्म की रोपाई जुलाई के पहले हफ्ते से शुरु करनी चाहिए. रोपाई के समय किसानों को ध्यान रखान होगा कि रोपाई के समय कतार से कतार की दूरी 20 सेमी वहीं पौधों से पौधों की दूरी 15 सेमी जरूर रखें. रोपाई के 7 दिन बाद अगर खेत में जगह खाली है तो उस जगह को दोबारा भरा सकता है.

बुवाई से पहले खेत की तैयारी

धान की इस किस्म की खेती से पहले पिछली फसल की कटाई के तुरंत बाद ही या फिर मॉनसून सीजन में पहली बारिश होने के दौरान खेत की अच्छे से गहराई से जुताई करें. जुताई के लिए ट्रैक्टर या बैलों से चलने वाले हल का इस्तेमाल कर सकते हैं. खेत की जुताई करने से पहले से मौजूद खरपतवारों को कंट्रोल करने में मदद मिलेगी. जुताई के बाद खेत को पाटा चलाकर खेत को समतल कर लें. खरपतवारों को लगातार कंट्रोल करने के लिए हर 7 से 10 दिन में खेत को गीला बनाकर रखें.

Rice Production

ज्यादा बारिश में भी खड़ी रहती है स्वर्णा सब-1 धान(Photo Credit- Canva)

ज्यादा पानी में भी होती है अच्छी पैदावार

स्वर्णा सब-1 धान की एक ऐसी किस्म है जो ज्यादा बारिश होने पर भी अच्छी पैदावार देने के लिए किसानों के बीच काफी लोकप्रिय है. ये किस्म 14 से 17 दिनों तक पानी में डूबे रहने के बाद भी खराब नहीं होती है. अगर किसान इसकी सीधी बुवाई करते हैं तो 140 दिनों में पककर तैयार होती है. वहीं रोपाई करने पर ये किस्म 145 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. आम तौर पर स्वर्णा हब-1 की प्रति हेक्टेयर फसल से किसानों को 45 क्विंटल तक पैदावार मिलती है. वहीं बाढ़ प्रभावित इलाकों में भी इसकी खेती से किसानों को औसतन 20 क्विंटल तक पैदावार मिल सकती है. इस किस्म की एक खासियत ये भी है कि यह धान की फसल में लगने वाले झोंका, भूरी चित्ती जैसे रोगों के प्रति सहनशील होती है.

कीट और रोग नियंत्रण के लिए करें ये काम

धान की इस किस्म में कीट और रोगों के नियंत्रण के लिए जरूरी है कि धान की पौध की रोपाई से पहले जड़ों को रातभर के लिए 1 लीटर पानी में 1 मिलीलीटर क्लोरपाइरिफॉस 20 EC के घोल में डुबोकर रखें. तना छेदक और पत्ता मोड़क कीटों के प्रति सहनशीलता बढ़ाने के लिए प्रति हेक्टेयर की दर से 30 किलोग्राम कार्बोफ्यूरान का इस्तेमाल करें. अगर आपको फसल में रोग के लक्षण दिखने लगें तो उर्वरक के पहले इस्तेमाल के तुरंत बाद ही 500 लीटर पानी में वालीडामाइसिन 3.0 मिलीलीटर को प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें. कीटों और रोगों को नियंत्रित रखने के लिए जरूरी है कि किसान खेत की मेड़ों को साफ रखें.

High Quality Paddy Variety

बाढ़ प्रभावित इलाकों के लिए बेस्ट है धानी स्वर्णा सब-1 (Photo Credit- Canva)

बुवाई से पहले जरूर करें बीज उपचार

धान की इस किस्म से अच्छी पैदावार लेने के लिए जरूरी है कि किसान बीजों की बुवाई से पहले अच्छे से उनका उपचार कर लें. अगर किसान सूखी बुवाई कर रहे हैं तो बीजों को प्रति किलोग्राम की दर से 2 ग्राम बाविस्टिन से उपचार करें. अगर किसान गीली बुवाई कर रहे हैं तो 20 लीटर पानी में 1.5 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन और 20 ग्राम कैप्टान मिलाकर घोल बना लें. इसके बाद तैयार किए गए इस घोल में 10 किलोग्राम बीज को 8 से 10 घंटे के लिए भिगोकर रख दें. घोल से निकालने के बाद बीजों को अच्छे से सुखा लें फिर बुवाई करें.

कटाई और स्टोरेज का सही तरीका

सेंट्रल राइस रिसर्च इस्टीट्यूट, ओडिशा के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, धान की कटाई तब करनी चाहिए, जब फसल में फूल लगने के 30 से 40 दिनों बाद डंठल हरा-भरा रहता है, ताकि दानों को झड़ने से बचाया जा सके. किसानों के लिए सलाह है कि धान स्वर्णा सब-1 की कटाई करते समय ध्यान दें कि दानों में नमी होनी चाहिए. कटाई के तुरंत बाद धान को अलग करके रख लें.

ज्यादा पानी में भी खड़ी रहती है फसल

धान स्वर्णा सब-1 की खेती के लिए किसानों को सलाह दी जाती है कि खेत को गीला रखें, ताकि पौधे खेत में अच्छे से जम जाएं. इससे अच्छी पैदावार पाने के लिए किसानों को सलाह दी जाती है कि फसल अवधि के दौरान खेत में 15 दिन तक 3 से 4 सेमी जल स्तर रखें. यही कारण है कि ज्यादा बारिश में अगर खेत में पानी भर भी जाता है तो 15 दिन तक उस पानी से किसी तरह का नुकसान नहीं होता है. हालांकि, किसानों को ध्यान में रखना होगा कि जब वे खेत में उर्वरक का इस्तेमाल करें तो उसके पहले खेत से पानी जरूर निकाल दें और उर्वरक डालने के 24 से 36 घंटों बाद दोबारा खेत की सिंचाई करें.

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Published: 9 Aug, 2025 | 07:19 PM

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