राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने दुग्ध उत्पादकों को बड़ी राहत देते हुए मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक संबल योजना के तहत 88.43 करोड़ रुपए का अनुदान भुगतान किया है. यह राशि सीधे करीब साढ़े चार लाख पशुपालक किसानों के बैंक खातों में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से पहुंचाई गई है. राज्य सरकार की इस पहल का मकसद पशुपालन क्षेत्र को मजबूत बनाना और किसानों की आय बढ़ाना है. सहकारी समितियों से जुड़ी डेयरियों में दूध देने वाले किसानों को प्रति लीटर पांच रुपए के हिसाब से यह भुगतान किया जाता है, जिससे ग्रामीण इलाकों में आर्थिक मदद का बड़ा संकट कम हुआ है.
किसानों के लिए नया आर्थिक सहारा
मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक संबल योजना किसानों को नियमित आर्थिक सहायता देने वाली एक महत्वपूर्ण योजना है. इस योजना के तहत, जो भी किसान सहकारी समितियों से जुड़ी डेयरियों को दूध सप्लाई करते हैं, उन्हें प्रति लीटर पांच रुपए की अनुदान राशि मिलती है. इससे किसानों को न केवल उनकी मेहनत का उचित फल मिलता है, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती है. 88.43 करोड़ रुपए की इस रकम के भुगतान से राज्य के पशुपालक किसानों को बड़ी राहत मिली है.
सरकारी प्रतिबद्धता और पारदर्शिता
पशुपालन एवं डेयरी मंत्री जोराराम कुमावत ने बताया कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के कुशल नेतृत्व में यह राशि सीधे किसानों के बैंक खाते में पहुंचाई गई है. डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर प्रणाली ने पारदर्शिता बढ़ाई है और बिना किसी बिचौलिये के राशि सीधे लाभार्थियों तक पहुंचती है. डेयरी मंत्री ने कहा कि सरकार पूरी तरह से राजस्थान के पशुपालक किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने और क्षेत्र के विकास के लिए प्रतिबद्ध है.
बजट की मजबूती और योजना का विस्तार
सरकार ने बजट घोषणा 2025-26 में इस योजना के लिए 500 करोड़ रुपए की राशि का प्रावधान किया है, जिसमें से 88.43 करोड़ रुपए का भुगतान पहले ही किया जा चुका है. इसके अलावा, जनवरी से अप्रैल 2025 तक की बकाया राशि 200 करोड़ रुपए के लिए वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजा जा चुका है. यह राशि भी जल्द ही किसानों के खातों में ट्रांसफर कर दी जाएगी. इससे यह योजना और भी मजबूत होगी और अधिक किसानों को लाभ मिलेगा.
पशुपालन क्षेत्र में विकास की दिशा
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की सरकार पशुपालन क्षेत्र को एक मजबूत आर्थिक स्तंभ बनाने की दिशा में लगातार काम कर रही है. इस योजना के जरिये न केवल किसानों की आमदनी बढ़ रही है, बल्कि ग्रामीण इलाकों में पशुपालन को भी बढ़ावा मिल रहा है. सहकारी समितियों के माध्यम से दूध की सप्लाई को व्यवस्थित करना और किसानों को सीधे लाभ पहुंचाना सरकार की प्राथमिकता है. इस तरह की पहलें राजस्थान के ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभा रही हैं.