तेलंगाना के कपास किसानों को अच्छे दाम की उम्मीद, 22 अक्टूबर से शुरू होगी खरीद

कपास की पैदावार इस बार प्रति एकड़ 8 क्विंटल तक रहने का अनुमान है. हालांकि, आयात शुल्क हटाने से अंतरराष्ट्रीय बाजार से सस्ता कपास आने की संभावना है, जिससे स्थानीय कीमतें प्रभावित हो सकती हैं. इस स्थिति में सीसीआई की भूमिका और भी अहम हो जाती है ताकि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल सके और नुकसान से बचाया जा सके.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 20 Oct, 2025 | 09:54 AM

cotton prices: तेलंगाना के किसानों के लिए इस बार की कपास खरीद सीजन उम्मीदों से भरा हुआ है. लगातार छह हफ्तों तक हुई भारी बारिश से जहां कई इलाकों में फसलों को नुकसान पहुंचा, वहीं किसानों को अब भी बेहतर पैदावार और उचित दाम मिलने की उम्मीद है. प्रदेश में इस बार करीब 18.61 लाख हेक्टेयर में कपास की खेती की गई है, जो सामान्य तौर पर 20 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल के करीब है.

सरकार द्वारा हाल ही में कपास आयात पर सीमा शुल्क (import duty) में छूट देने के फैसले के बावजूद किसान आशावान हैं. केंद्र ने 19 अगस्त से 31 दिसंबर 2025 तक कच्चे कपास के आयात पर सभी कस्टम ड्यूटी हटा दी है. इसका उद्देश्य घरेलू बाजार में कीमतों को स्थिर रखना और टेक्सटाइल उद्योग को राहत देना था. हालांकि किसानों को चिंता है कि इससे घरेलू कपास के दाम नीचे जा सकते हैं.

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, ऑल इंडिया किसान सभा के नेता एस. मल्ला रेड्डी ने कहा, बारिश के कारण कुछ नुकसान जरूर हुआ है, लेकिन हम अच्छी पैदावार की उम्मीद कर रहे हैं. इस बार दाम भी ठीक मिलने की संभावना है.”

उन्होंने कपास निगम (CCI) से यह भी अपील की कि नमी की सीमा में कुछ ढील दी जाए. फिलहाल सीसीआई केवल 8 फीसदी नमी वाले कपास पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) देती है. 12 फीसदी तक की नमी होने पर कीमत घटा दी जाती है, और इससे अधिक नमी वाले कपास की खरीद नहीं की जाती.

सरकार ने दी तैयारी के निर्देश

तेलंगाना के कृषि मंत्री तुम्मला नागेश्वर राव ने राज्य के सभी कलेक्टरों को निर्देश दिया है कि वे कपास खरीद के लिए जिनिंग केंद्रों की सूची तैयार करें और 22 अक्टूबर से शुरू होने वाली खरीद के लिए पूरी तैयारी रखें. वहीं केंद्रीय कोयला एवं खनन मंत्री जी. किशन रेड्डी ने किसानों से कहा कि वे हाई-डेंसिटी प्लांटेशन (घनी बुवाई तकनीक) अपनाएं, जिससे प्रति एकड़ अधिक पैदावार ली जा सके. उन्होंने महाराष्ट्र के अकोला क्षेत्र के किसानों का उदाहरण देते हुए बताया कि इस तकनीक से वहां उत्पादन में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है.

किसानों के लिए राहत और चुनौती दोनों

कपास की पैदावार इस बार प्रति एकड़ 8 क्विंटल तक रहने का अनुमान है. हालांकि, आयात शुल्क हटाने से अंतरराष्ट्रीय बाजार से सस्ता कपास आने की संभावना है, जिससे स्थानीय कीमतें प्रभावित हो सकती हैं. इस स्थिति में सीसीआई की भूमिका और भी अहम हो जाती है ताकि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल सके और नुकसान से बचाया जा सके.

विशेषज्ञों की राय

जयशंकर तेलंगाना कृषि विश्वविद्यालय के कृषि बाजार सूचना केंद्र ने कहा है कि कपास आयात पर शुल्क छूट से अल्पकाल में टेक्सटाइल मिलों को फायदा मिलेगा और बाजार स्थिर रहेगा. लेकिन अगर आयात बहुत अधिक बढ़ गया, तो घरेलू किसानों को कीमतों में गिरावट का सामना करना पड़ सकता है.

फिलहाल, किसानों की निगाहें 22 अक्टूबर से शुरू हो रही खरीद प्रक्रिया पर टिकी हैं. उम्मीद की जा रही है कि इस बार की फसल से न केवल नुकसान की भरपाई होगी, बल्कि किसानों की आमदनी में भी सुधार देखने को मिलेगा, बशर्ते सरकार और सीसीआई समय पर कदम उठाएं और समर्थन मूल्य की गारंटी सुनिश्चित करें.

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