कपास आयात पर सरकार के फैसले से किसे फायदा और किसे नुकसान, पढ़ें कॉटन एसोसिएशन ने क्या कहा

भारत सरकार ने कपास के ड्यूटी-फ्री आयात की अवधि 31 दिसंबर 2025 तक बढ़ा दी है, जिससे दक्षिण भारत की टेक्सटाइल मिलों को बड़ी राहत मिलेगी. यह कदम वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मदद करेगा और ब्राजील जैसे देशों से सस्ती कपास मंगाकर मिलों को लागत कम करने का मौका देगा.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 31 Aug, 2025 | 09:42 AM

किसान संगठनों के विरोध के बावजूद केंद्र सरकार ने कपास के ड्यूटी-फ्री (बिना शुल्क) आयात की अनुमति को 30 सितंबर से बढ़ाकर अब 31 दिसंबर 2025 तक कर दिया है. किसान संगठनों का कहना है कि सरकार के इस फैसले किसानों को आर्थिक नुकसान होगा. हालांकि, एक्सपर्ट का कहना है कि यह निर्णय टेक्सटाइल मिलों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. खासतौर पर दक्षिण भारत की टेक्सटाइल मिलों को राहत देगा, जो इन दिनों अमेरिका द्वारा लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ के कारण दबाव में हैं. इस फैसले से यूके और यूरोपीय यूनियन जैसे बाजारों में भारतीय कपड़ों और वस्त्रों की प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ेगी, जहां भारत ने ट्रेड डील साइन की है. 2025-26 के मार्केटिंग ईयर (जो अक्टूबर से शुरू होता है) के पहले तीन महीनों में कपास का आयात दोगुना होकर लगभग 20 लाख गांठ (हर एक 170 किलो की) तक पहुंच सकता है.

बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, यह पिछले 10 दिनों में दूसरी बार है जब सरकार ने टेक्सटाइल इंडस्ट्री की मदद की है. 19 अगस्त को सरकार ने कपास पर लगने वाला 11 फीसदी आयात शुल्क सितंबर तक के लिए हटाया था. कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CAI) के अध्यक्ष अतुल गणात्रा ने कहा कि यह फैसला दक्षिण भारत की मिलों के लिए संजीवनी जैसा है. अब वे ब्राजील, अमेरिका, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से सस्ता कपास मंगा सकेंगी. उन्होंने बताया कि CAI ने हाल ही में सरकार से ड्यूटी फ्री आयात की अवधि बढ़ाने की मांग की थी.

कपास की कीमतें भारतीय बाजार से करीब 20 फीसदी कम

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CAI) के अध्यक्ष अतुल गणात्रा ने कहा कि दुनियाभर में इस समय कपास की कीमतें भारतीय बाजार से करीब 20 फीसदी कम हैं. ICE (InterContinental Exchange), न्यूयॉर्क पर कपास के फ्यूचर प्राइस 67-68 सेंट प्रति पाउंड हैं, जो भारतीय मुद्रा में करीब 46,000 रुपये प्रति कैंडी (356 किग्रा) बैठते हैं. वहीं, भारत में कपास की कीमतें 55,000 रुपये प्रति कैंडी के आसपास हैं. 2024-25 मार्केटिंग ईयर (सितंबर अंत तक) में भारत का कपास आयात 40 से 42 लाख गांठ के बीच रहने का अनुमान है. केवल अक्टूबर से दिसंबर 2024 के बीच 15-20 लाख गांठ आयात की उम्मीद है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में सिर्फ 10 लाख गांठ मंगाई गई थीं.

कपास के उत्पादन में 7 फीसदी की बढ़ोतरी

ब्राजील में इस साल कपास की फसल 7 फीसदी ज्यादा होकर 235 लाख गांठ तक पहुंच गई है, जबकि उनकी घरेलू खपत सिर्फ 30 लाख गांठ है. इस वजह से ब्राजील का कपास सस्ता हो गया है और अमेरिकी कपास की खरीद घट गई है. चीन, जो सबसे बड़ा खरीदार है, ने टैरिफ वॉर के चलते पिछले 6 महीने से अमेरिका से कपास नहीं खरीदा है. चीन ने अमेरिकी कपास पर 30 फीसदी शुल्क लगाया है. भारत ने इस सीजन (2024-25) में अब तक ब्राजील से 6.5 लाख गांठ से ज्यादा कपास आयात किया है, जिसकी कुल कीमत 1,620 करोड़ रुपये से अधिक रही है. यह पिछले साल की तुलना में 10 गुना ज्यादा है.

भारतीय टेक्सटाइल एक्सपोर्टर्स को मिलेगी मदद

एक ट्रेड विश्लेषक ने कहा कि ड्यूटी-फ्री कपास आयात से भारतीय टेक्सटाइल एक्सपोर्टर्स को वियतनाम, बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे देशों से मुकाबला करने में मदद मिलेगी. खासतौर पर UK और यूरोपीय बाजारों में. उन्होंने कहा कि यह राहत देने वाला कदम है और साथ ही बांग्लादेश में हालिया अशांति के बाद जो फायदा भारत को मिला, उसे और मजबूत करेगा.

किसानों को होगा नुकसान

विदेश से कपास आयात होगा तो भारतीय किसानों के कपास की कीमत कम हो जाएगी और मंडियों में उन्हें औने पौने दामों में अपना कपास बेचना पड़ेगा. वहीं, आगामी अक्टूबर से भारतीय कपास निगम उपज की खरीद भी शुरू करने जा रहा है. ऐसे सरकार का हालिया फैसला उपभोक्ताओं और इंडस्ट्री के लिए फायदेमंद हो सकता है, लेकिन स्थानीय कपास किसानों के लिए यह नुकसानदायक हो सकता है.

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Published: 31 Aug, 2025 | 09:02 AM

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