Fish Farming: सर्दियों की ठिठुरन सिर्फ लोगों को नहीं, बल्कि तालाबों में पल रही मछलियों को भी गहरी चोट पहुँचा सकती है. तापमान जैसे-जैसे गिरता है, वैसे-वैसे मछलियों की ग्रोथ, स्वास्थ्य और सर्वाइवल पर सीधा असर पड़ता है. इसी वजह से बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने दिसंबर में मछली पालकों के लिए जरूरी निर्देश जारी किए हैं. इन गाइडलाइनों का पालन करने से मछली मरने का खतरा कम होगा, उत्पादन बढ़ेगा और तालाब का पानी भी संतुलित रहेगा. आइए इन आसान और असरदार सुझावों को एक-एक करके समझते हैं.
ठंड में मछलियों को कितना खिलाएं?
सर्दियों में तालाब का पानी ठंडा होने लगता है, जिससे मछलियों की एक्टिविटी और भोजन पचाने की क्षमता कम हो जाती है. इसीलिए विभाग ने मछलियों को कुल शरीर भार का 1 से 1.5 फीसदी ही पूरक आहार देने की सलाह दी है. जब तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाए, तब आहार सिर्फ 1 फीसदी कर दें या पूरी तरह बंद कर दें. इस समय तालाब में प्राकृतिक भोजन (प्लैंकटन) उपलब्ध कराना अधिक फायदेमंद होता है. इसके लिए- 25 किलो सरसों की खल्ली, 5 किलो सिंगल सुपर फास्फेट और 2 किलो मिनरल मिक्सचर को पानी में घोलकर साप्ताहिक छिड़काव करना जरूरी बताया गया है. यह मिश्रण तालाब में ऐसी प्राकृतिक खुराक तैयार करता है, जिससे मछलियां ठंड में भी स्वस्थ रहती हैं.
तालाब में पानी की गुणवत्ता ऐसे रखें सही
सर्दियों में पानी का pH बिगड़ना आम समस्या है. इसलिए हर 15 दिन पर pH देखकर 15-20 किलो प्रति एकड़ चूना पानी में घोलकर डालना चाहिए. इससे पानी साफ रहता है और मछली बीमार नहीं पड़ती. इसके अलावा कार्प मछली वाले तालाब में हर 15 दिन पर जाल चलाना जरूरी है. इससे मछलियों की स्थिति का पता लगता है और तालाब में गैस बनने की समस्या भी नहीं होती.
सर्दियों में बढ़ते संक्रमण से बचें
ठंड के मौसम में फफूंद और परजीवी (parasite) संक्रमण बढ़ जाता है. इसे रोकने के लिए विभाग ने यह उपाय बताए हैं- 40-50 किलो प्रति एकड़ नमक तालाब में छिड़कें. इसके साथ 7-10 दिन तक मछलियों को 5-6 ग्राम नमक प्रति किलो आहार के हिसाब से खिलाएं. संक्रमण रोकने के लिए प्रति एकड़ 500 ग्राम पोटैशियम परमैंगनेट या 500 ml वाटर सेनिटाइजर का उपयोग करें. ये उपाय खासतौर पर ठंड में मछली मरने की घटनाओं को रोकने में बेहद असरदार माने जाते हैं.
तालाब की गहराई
सर्दियों में तालाब का पानी बहुत ठंडा ऊपर की ओर होता है और मछलियां नीचे चली जाती हैं. इसी वजह से तालाब की गहराई सही रखना बेहद जरूरी है.
- कार्प मछली वाला तालाब: कम से कम 5 फीट गहरा
- पंगेशियस मछली वाला तालाब: 8-10 फीट गहरा
इसके अलावा, अगर तालाब का पानी बहुत हरा हो जाए, तो चूना, खाद और गोबर का प्रयोग तुरंत बंद करना चाहिए और 800 ग्राम प्रति एकड़ कॉपर सल्फेट पानी में घोलकर डालना चाहिए. इससे पानी संतुलित होता है और ऑक्सीजन की कमी नहीं होती. कोहरा या तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से कम होने पर तालाब में कोई भी गतिविधि-आहार, चूना या खाद डालना पूरी तरह बंद कर दें.