केंद्र सरकार ने पशुपालकों और कृषि आधारित व्यवसाय करने वालों के लिए एक अहम फैसला लिया है. अब दुधारू पशु, अंडा देने वाले पक्षी, मधुमक्खी पालन और मीट उत्पादन में इस्तेमाल होने वाली कुछ खास दवाओं पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है. सरकार की ओर से एंटीबायोटिक वाली 37 दवाओं पर रोक लगाई गई है. यह फैसला पशुओं और इंसानों दोनों के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए लिया गया है.
इन जानवरों पर नहीं होगा दवाओं का इस्तेमाल
केंद्र सरकार की ओर से कुछ समय पहले जारी की गई गाइडलाइन के अनुसार दूध देने वाले पशुओं (गाय, भैंस), अंडा देने वाले पक्षियों, मधुमक्खियों और अन्य जानवरों जैसे बकरी, भेड़, सुअर के इलाज या पालन में इन दवाओं का इस्तेमाल पूरी तरह से बैन कर दिया गया है, जिनसे अब खाद्य या अन्य उत्पाद तैयार होते हैं.
उत्पादन बढ़ाने के लिए दवाओं का इस्तेमाल गैरकानूनी
कई बार किसान या व्यापारी पशुओं का वजन या दूध, अंडा, मांस आदि का उत्पादन बढ़ाने के लिए एंटीबायोटिक या अन्य दवाओं का इस्तेमाल करते थे. लेकिन अब सरकार ने साफ कह दिया है कि किसी भी प्रकार की एंटीमाइक्रोबियल दवा का इस्तेमाल उत्पादन बढ़ाने के लिए करना गैरकानूनी होगा. अगर कोई ऐसा करता पाया गया, तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है.
क्यों लिया गया यह फैसला?
सरकार ने यह फैसला इस बात को ध्यान में रखते हुए लिया है कि दवाओं का अत्यधिक और गलत इस्तेमाल पशुओं में दवा प्रतिरोधक क्षमता (Antibiotic Resistance) को बढ़ाता है. इससे इलाज का असर कम हो जाता है और बीमारी बढ़ती है. इसके अलावा जब इन दवाओं के अंश दूध, अंडा, शहद या मांस में चले जाते हैं, तो वे इंसानों के स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं.
पशुपालक इन बातों का रखें ध्यान
यदि आप पशुपालन, पोल्ट्री, मधुमक्खी पालन या मीट उत्पादन जैसे व्यवसाय से जुड़े हैं, तो यह नियम आपके लिए जरूरी है. आगे से कोई भी दवा देने से पहले पशु चिकित्सक की सलाह जरूर लें. बिना अनुमति के दवा देने पर दंडित किया जा सकता है. साथ ही अपने फार्म या यूनिट में इस नए नियम का पालन जरूर करें ताकि आपके उत्पाद सुरक्षित रहें और किसी कानूनी झंझट में न फंसें.