कीमतों में उछाल से बढ़ी दिलचस्पी, काली मिर्च बनी आदिवासी किसानों की पसंदीदा फसल

कॉफी के साथ इंटर-क्रॉप के रूप में उगाई जाने वाली यह फसल किसानों की आय को दोगुना कर रही है. साल 2023 में जहां काली मिर्च का दाम करीब 400 रुपये किलो था, वहीं आज यह 650 रुपये तक पहुंच चुका है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 3 Sep, 2025 | 08:01 AM

आंध्र प्रदेश के खूबसूरत पूर्वी घाटों में रहने वाले आदिवासी किसान अब सिर्फ कॉफी पर निर्भर नहीं हैं. उनकी जिंदगी में एक नया साथी आया है-काली मिर्च. कॉफी के साथ इंटर-क्रॉप के रूप में उगाई जाने वाली यह फसल किसानों की आय को दोगुना कर रही है. साल 2023 में जहां काली मिर्च का दाम करीब 400 रुपये किलो था, वहीं आज यह 650 रुपये तक पहुंच चुका है. दामों में इस बढ़ोतरी ने किसानों को नई उम्मीद दी है और अब यह ‘सहायक फसल’ उनके लिए कमाई का बड़ा जरिया बन चुकी है.

मिर्च बन रही सुनहरी फसल

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, आम तौर पर एक एकड़ कॉफी से करीब 2 लाख रुपये सालाना मिल जाते हैं, लेकिन अब उसी जमीन से काली मिर्च अतिरिक्त 60 हजार रुपये तक का मुनाफा दे रही है. किसान बताते हैं कि अगर तीन बोरी काली मिर्च आ जाए तो आसानी से एक लाख रुपये की आमदनी हो जाती है. खर्च घटाकर भी हाथ में 50 हजार रुपये तक बच जाते हैं. यही वजह है कि किसानों की दिलचस्पी पिछले 3-4 सालों में तेजी से बढ़ी है.

दाम ने बढ़ाई चमक

काली मिर्च के दामों में आई बढ़ोतरी ने किसानों की आय में चार चांद लगा दिए हैं. साल 2023 में जहां काली मिर्च का भाव 400 रुपये किलो था, वहीं आज यह 650 रुपये किलो तक पहुंच गया है. दूसरी ओर कॉफी का दाम 450 रुपये किलो के आसपास है. ऐसे में किसान अब कॉफी के साथ काली मिर्च को भी उतनी ही अहमियत देने लगे हैं.

किसानों के अनुभव

पेडाबराड़ा गांव के 51 वर्षीय किसान पी. कन्नाबाबू ने अपने नये कॉफी बागान में शुरुआत से ही काली मिर्च को इंटर-क्रॉप के रूप में शामिल किया. उनका कहना है कि यह संयोजन न केवल जमीन का बेहतर उपयोग करता है बल्कि आय का एक अतिरिक्त स्रोत भी देता है. वहीं, पांच एकड़ में कॉफी और काली मिर्च उगाने वाले सत्यानारायण डी बताते हैं कि उन्हें हर साल कॉफी से 2 लाख रुपये और काली मिर्च से करीब 60 हजार रुपये अतिरिक्त मिल जाते हैं.

ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन से बढ़ेगा दाम

आंध्र प्रदेश गिरिजन सहकारी निगम (GCC) की प्रबंध निदेशक कल्पना कुमारी ने बताया कि कॉफी के बाद अब काली मिर्च को भी ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन मिलेगा. चूंकि काली मिर्च कॉफी बागानों में ही उगाई जा रही है, इसलिए इसे ऑर्गेनिक टैग दिलाना आसान होगा. इससे किसानों को बेहतर कीमत मिलने की उम्मीद है.

बाज़ार की बढ़ती मांग

फिलहाल काली मिर्च को खरीदने के लिए बाजार में पर्याप्त खरीदार मौजूद हैं. टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड पहले ही 10 टन ऑर्गेनिक अराकू कॉफी खरीदने पर सहमत हो चुका है और कंपनी ने काली मिर्च व अन्य उत्पादों में भी रुचि दिखाई है. जैसे ही ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन मिलेगा, खरीदारी और बड़े स्तर पर होगी.

आने वाले सालों की योजना

एजेंसी क्षेत्र की 2.5 लाख एकड़ कॉफी खेती में से करीब 6,000 एकड़ को अभी तक ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन मिला है. GCC का लक्ष्य है कि आने वाले कुछ सालों में पूरे क्षेत्र की कॉफी और काली मिर्च खेती को ऑर्गेनिक दायरे में शामिल किया जाए.

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