2000 रुपये किलो बिकती है यह मछली, तालाब में करें पालन और पाएं भारी लाभ

डॉक्टरों की मानें तो हिल्सा खाने से दिमाग की ताकत बढ़ती है, ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है और दिल की बीमारियों का खतरा भी कम होता है. इसमें मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड शरीर के लिए बेहद लाभकारी है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 28 Jul, 2025 | 04:16 PM

खेती और पशुपालन के साथ-साथ अब मछली पालन भी एक मजबूत और कमाऊ व्यवसाय बन चुका है. खासकर अगर आप ऐसी मछली पालें, जिसकी बाजार में भारी डिमांड हो और दाम 1200 से 2000 रुपये प्रति किलो तक मिलते हों, तो आप एक छोटे से तालाब से भी लाखों रुपये सालाना कमा सकते हैं. इसीलिए आज हम बात करेंगे हिल्सा मछली की. स्वाद में लाजवाब, सेहत में बेहतरीन और कमाई में बेमिसाल, हिल्सा मछली अब नदियों से निकलकर आपके तालाब में भी पाली जा सकती है.

हिल्सा: स्वाद, स्वास्थ्य और सम्मान की मछली

हिल्सा को बंगाल में ‘इलिश’ कहा जाता है और यह बांग्लादेश की राष्ट्रीय मछली भी है. भारत में यह नर्मदा, गोदावरी, चिल्का झील, हुगली और महानदी जैसी नदियों में पाई जाती है. पहले माना जाता था कि यह सिर्फ समुद्र और नदियों में ही जीवित रह सकती है, लेकिन अब वैज्ञानिक प्रयासों से यह तालाबों में भी पाली जा सकती है.

हिल्सा मछली ना सिर्फ स्वाद में उम्दा है बल्कि इसके पीछे सेहत के बड़े फायदे भी छिपे हैं. डॉक्टरों की मानें तो हिल्सा खाने से दिमाग की ताकत बढ़ती है, ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है और दिल की बीमारियों का खतरा भी कम होता है. इसमें मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड शरीर के लिए बेहद लाभकारी है.

अब नदियों की नहीं, तालाबों की रानी है हिल्सा

हाल के वर्षों में भारतीय वैज्ञानिकों ने हिल्सा मछली को तालाबों में पालने का तरीका विकसित किया है. यह रिसर्च आईसीएआर-एनएएसएफ प्रोजेक्ट के तहत की गई. प्रयोग में देखा गया कि तालाबों में पाली गई हिल्सा का वजन तीन साल में करीब 700 ग्राम तक पहुंच गया, जो कमर्शियल बिक्री के लिए उपयुक्त है.

पानी का रखें ध्यान

हिल्सा के सफल पालन के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है जैसे पानी में थोड़ा सा खारापन (लगभग 0.4 से 0.5 पीपीटी), मीठे पानी की मात्रा, पानी का पीएच संतुलन (7.4 से 7.5) और ऑक्सीजन स्तर. इन सभी बातों का ख्याल रखकर इस मछली को तालाब में भी पनपाया जा सकता है.

क्या खाती है हिल्सा मछली?

हिल्सा मछली को पालने के लिए उसके खाने पर विशेष ध्यान देना पड़ता है. वैज्ञानिकों ने इसके लिए खासतौर पर भोजन तैयार किया, जिसमें जीवित जूप्लांकटन (zooplankton) शामिल था. हिल्सा को यह भोजन बेहद पसंद आता है. इससे उसका विकास तेज होता है और वजन भी जल्दी बढ़ता है.

इसके अलावा, पानी की शुद्धता और तालाब की सफाई भी बेहद जरूरी होती है. एक बार यदि सही माहौल बन जाए तो हिल्सा पालन एक नुकसान से लगभग मुक्त व्यवसाय बन सकता है.

कमाई कितनी हो सकती है?

अगर एक किसान एक हेक्टेयर तालाब में हिल्सा मछली पालता है, और हर मछली औसतन 700 ग्राम की होती है, तो कुछ ही समय में 1000 किलो मछली का उत्पादन संभव है. इसका मतलब है सीधा 1000 किलो × 2000 रुपये = 20  लाख रुपये तक की आमदनी. इसमें से खर्च निकाल दें तो भी 10 से 12 लाख रुपये सालाना शुद्ध मुनाफा संभव है.

सरकारी मदद और ट्रेनिंग भी है उपलब्ध

अगर आप हिल्सा पालन शुरू करना चाहते हैं, तो राष्ट्रीय कृषि विस्तार प्रबंधन संस्थान (MANAGE), हैदराबाद और नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्ड (NFDB) से ट्रेनिंग और तकनीकी मदद ले सकते हैं. यहां से आपको बीज, तालाब की तैयारी, आहार, देखरेख और बाजार तक पहुंच की पूरी जानकारी मिल सकती है.

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