केंद्र सरकार की जूट पर बनी विशेषज्ञ समिति (ECJ) 3 जून को कोलकाता में बैठक करेगी. इस बैठक में कच्चे जूट और मेस्ता की आपूर्ति की स्थिति की समीक्षा की जाएगी. यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब उद्योग को ऊंचे दाम, फसल की देर से आवक और कम उपलब्धता जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. कपड़ा मंत्रालय के तहत आने वाली यह समिति 2024-25 के लिए जूट की मांग और आपूर्ति की स्थिति का आंकलन करेगी और 2025-26 की फसल को लेकर भविष्य की योजना पर चर्चा करेगी.
द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, बैठक में जूट विभाग, नेशनल जूट बोर्ड, कृषि मंत्रालय और अन्य संबंधित अधिकारी शामिल होंगे. हालांकि सरकारी आंकड़े बताते हैं कि जूट की कुल उपलब्धता 73 लाख गांठों के उत्पादन, 5 लाख गांठों के आयात और 23 लाख गांठों के भंडार को मिलाकर पर्याप्त है, लेकिन जूट मिलों के अधिकारियों का कहना है कि जमाखोरी की वजह से वास्तविक आपूर्ति कम है. मौजूदा खपत 70 से 72 लाख गांठों के बीच है.
जूट का मंडी रेट MSP से ज्यादा
भारतीय जूट मिल्स संघ के पूर्व अध्यक्ष संजय काजरिया के अनुसार, “मुर्शिदाबाद, नदिया और गोलपाड़ा जैसे प्रमुख जूट उत्पादक क्षेत्रों में मानसून देर से पहुंचने के कारण बुवाई देर से हुई है, जिससे नई फसल सितंबर से पहले बाजार में नहीं आएगी. इससे जुलाई और अगस्त में आपूर्ति की कमी हो सकती है. उन्होंने बताया कि फिलहाल जूट की कीमतें 6,800 रुपयये से 7,200 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई हैं, जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 5,650 रुपये से काफी ज्यादा है.
बफर स्टॉक जारी करने की कोई व्यवस्था नहीं
इसके बावजूद जूट मिलों का कहना है कि जूट आयुक्त कार्यालय (JCO) ने अब तक न तो बफर स्टॉक जारी करने की कोई व्यवस्था की है और न ही जमाखोरी और कालाबाजारी पर कोई ठोस कार्रवाई की है. भारतीय जूट मिल्स संघ के पूर्व अध्यक्ष संजय काजरिया ने कहा कि खासकर उत्तर बंगाल की कई जूट मिलें बढ़ती लागत और खरीद में मुश्किलों की वजह से हफ्ते में सिर्फ 4 से 5 दिन ही चल पा रही हैं.
बैठक में लिए जाएंगे जरूरी फैसले
एक मिल मालिक ने कहा कि मजदूरों को वेतन देना और कानूनी जिम्मेदारियां निभाना भी मुश्किल हो गया है. अब पूरी जूट इंडस्ट्री को उम्मीद है कि 3 जून को होने वाली ECJ बैठक में जरूरी फैसले लिए जाएंगे. जैसे बफर स्टॉक जारी करना, जमाखोरी के खिलाफ सख्त कार्रवाई और एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) को सख्ती से लागू करना, ताकि बाजार को स्थिर किया जा सके.