कर्नाटक में लाल मिर्च की कीमतों में भारी गिरावट के कारण किसान भारी संकट का सामना कर रहे हैं. खासकर कल्याण कर्नाटक क्षेत्र के हजारों किसान इस आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. इसी समस्या को लेकर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर बाजार हस्तक्षेप योजना (Market Intervention Scheme) के तहत मूल्य न्यूनता भुगतान स्कीम (PDP) लागू करने की मांग की है. उन्होंने इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करने और किसानों को राहत देने की अपील की है.
कर्नाटक के किसानों की अनदेखी क्यों?
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपने पत्र में इस बात पर जोर दिया कि आंध्र प्रदेश के किसानों को केंद्र सरकार द्वारा राहत दी जा रही है, लेकिन कर्नाटक के किसानों को अब तक कोई सहायता नहीं मिली है. आंध्र प्रदेश में गुंटूर किस्म की लाल मिर्च के लिए न्यूनतम मूल्य (MIP)* 12,675 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है और उत्पादन का 25% तक कवर किया गया है.
Deccan Herald की रिपोर्ट के अनुसार सिद्धारमैया ने कहा है कि कर्नाटक में भी गुंटूर किस्म की लाल मिर्च का उत्पादन होता है, लेकिन यहां की खेती ज्यादातर बरसात पर निर्भर (Rain-fed) होती है, जिससे लागत और जोखिम दोनों बढ़ जाते हैं. कर्नाटक कृषि मूल्य आयोग के अनुसार राज्य में इस मिर्च की उत्पादन लागत 12,675 रुपए प्रति क्विंटल है. जबकि किसानों को बाजार में केवल 8,300 रुपए प्रति क्विंटल तक के दाम ही मिल रहे हैं. इससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है और उनकी आजीविका खतरे में पड़ गई है.
क्षेत्र में बढ़ती आर्थिक बदहाली
कल्याण कर्नाटक राज्य के सबसे पिछड़े और सूखा-प्रभावित इलाकों में से एक है. यहां के हजारों छोटे और सीमांत किसान पूरी तरह से लाल मिर्च की खेती पर निर्भर हैं. मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में इस बात पर चिंता व्यक्त की कि यदि केंद्र सरकार ने समय पर मदद नहीं की, तो यह संकट और बढ़ जाएगा और किसान कर्ज के जाल में फंस जाएंगे. उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि आंध्र प्रदेश की तरह कर्नाटक के किसानों को भी PDP योजना का लाभ मिलना चाहिए, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति सुधर सके.
मुख्यमंत्री की केंद्र से प्रमुख मांगें
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपने पत्र में तीन मुख्य मांगें रखी हैं, जो इस प्रकार हैं:
उन्होंने कहा कि वर्तमान में केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित 11,781 रुपए प्रति क्विंटल का मूल्य काफी कम है और किसानों की लागत भी इससे अधिक लग रही है.
बढ़ती इनपुट लागत (बीज, खाद, मजदूरी, परिवहन आदि) को देखते हुए, यह न्यूनतम मूल्य 13,500 रुपए प्रति क्विंटल किया जाना चाहिए ताकि किसानों को राहत मिल सके.
मौजूदा योजना के तहत केवल 25 प्रतिशत को बढ़ कर 75 प्रतिशत उत्पादन कवर किया जाना चाहिए. जिसे ज्यादा से ज्यादा किसानों को लाभ मिल सके और उनकी फसल का उचित दाम मिल सके.
सिद्धारमैया का कहना है कि लाल मिर्च के दाम पूरी तरह से केंद्र सरकार की नीतियों (घरेलू और निर्यात नीति) पर निर्भर करते हैं, इसलिए यह उचित होगा कि केंद्र सरकार पूरा वित्तीय भार खुद उठाए और किसानों को सही मुआवजा दिलाए.
किसानों को न्याय देने की जरूरत
सीएम सिद्धारमैया ने इस बात पर भी जोर दिया कि कर्नाटक के किसानों को आंध्र प्रदेश के किसानों की तरह ही समान सहायता मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को किसानों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखानी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राज्य कोई भी हो, किसानों की मदद की जाए. उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार तत्काल हस्तक्षेप नहीं करती तो कर्नाटक के हजारों किसान भारी संकट में पड़ जाएंगे और उनकी आर्थिक स्थिति और बदतर हो जाएगी.
राज्य सरकार के प्रयास
राज्य सरकार भी किसानों की सहायता के लिए कदम उठा रही है. कृषि मंत्री और अन्य अधिकारी किसानों की स्थिति का आंकलन कर रहे हैं और किसानों के लिए राहत योजनाओं पर काम कर रहे हैं. हालांकि सिद्धारमैया का मानना है कि केंद्र सरकार की मदद के बिना किसानों को पर्याप्त राहत नहीं मिल सकती.