DAP के दाम 800 डॉलर के पार, सस्ते कच्चे माल के बावजूद क्यों बढ़ी कीमतें? भारत की तैयारी पर नजर

भारत ने सऊदी अरब की कंपनी मदीन से 31 लाख टन तैयार DAP की आपूर्ति के लिए एक लंबी अवधि का समझौता किया है. इससे आने वाले महीनों में कीमतों पर कुछ हद तक नियंत्रण रह सकता है.

Kisan India
नई दिल्ली | Updated On: 19 Jul, 2025 | 09:41 AM

भारत में किसानों की खेती का सबसे बड़ा सहारा बनने वाला उर्वर- DAP(यानी डाई-अमोनियम फॉस्फेट) एक बार फिर चर्चा में है. वजह है इसकी अंतरराष्ट्रीय कीमतों में जोरदार उछाल. दुनिया भर में DAP का भाव अब 800 डॉलर प्रति टन के पार पहुंच गया है. यह खबर किसानों और सरकार दोनों के लिए चिंता का कारण बन गई है, क्योंकि यह सीधा खाद की लागत और उत्पादन पर असर डाल सकता है. हालांकि, इस मुश्किल वक्त में एक राहत की बात ये है कि भारत के घरेलू निर्माता इस दाम बढ़ोतरी से फिलहाल ज्यादा परेशान नहीं दिख रहे हैं. तो आखिर क्यों बढ़ रहे हैं DAP के दाम, जबकि इसके कच्चे माल की कीमतें स्थिर हैं? यही जानने की कोशिश करेंगे इस रिपोर्ट में.

क्या है DAP और क्यों है यह इतना जरूरी?

DAP एक ऐसा उर्वरक है जिसमें फॉस्फोरस और नाइट्रोजन जैसे पोषक तत्व होते हैं. ये पौधों की जड़ें मजबूत करते हैं और फसल की बेहतर पैदावार सुनिश्चित करते हैं. भारत में DAP की सालाना खपत लगभग 1 करोड़ टन से अधिक है, जो इसे यूरिया के बाद दूसरा सबसे जरूरी उर्वरक बनाता है.

कीमतों में तेजी की वजह क्या है?

बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, हाल के महीनों में DAP की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में तेजी देखी गई है. अगस्त 2024 में जहां इसकी कीमत 611 डॉलर प्रति टन थी, वहीं मई 2025 में यह बढ़कर 724 डॉलर तक पहुंच गई और अब जुलाई-अगस्त के लिए यह 800 डॉलर प्रति टन पार कर चुकी है.

इसके पीछे मुख्य कारण हैं:

  • चीन और पश्चिम एशिया से आपूर्ति में कमी
  • वैश्विक मांग में इजाफा
  • बोआई के समय भारत में स्टॉक की कमी

दिलचस्प बात यह है कि DAP के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले कुछ कच्चे माल जैसे रॉक फॉस्फेट, फॉस्फोरिक एसिड और अमोनिया की कीमतें इतनी तेजी से नहीं बढ़ी हैं. उदाहरण के तौर पर, अमोनिया की कीमतों में तो गिरावट ही दर्ज की गई है.

क्या घरेलू निर्माता तैयार हैं?

भारतीय निर्माता जैसे IPL, कृभको और सीआईएल अभी ज्यादा प्रभावित नहीं दिख रहे हैं क्योंकि वे अधिकतर DAP खुद बनाते हैं और इसके लिए कुछ हद तक कच्चा माल भी देश में ही प्रोसेस करते हैं. हालांकि, भारत में रॉक फॉस्फेट की गुणवत्ता इतनी बेहतर नहीं है कि सीधे उच्च गुणवत्ता वाला DAP तैयार किया जा सके. यही वजह है कि इस कच्चे माल का भी काफी हिस्सा आयात करना पड़ता है.

कुछ कंपनियों के पास रॉक फॉस्फेट से फॉस्फोरिक एसिड बनाने की सुविधा है, जिससे वे लागत को कुछ हद तक काबू में रख सकती हैं. ऐसे में अब मांग उठ रही है कि घरेलू स्तर पर DAP उत्पादन को और बढ़ाया जाए ताकि आयात पर निर्भरता घटे.

सरकार की रणनीति

केंद्रीय खान मंत्रालय ने यह प्रस्ताव रखा है कि भारत में उत्पादित रॉक फॉस्फेट की कीमतों को अंतरराष्ट्रीय दरों के साथ जोड़ा जाए ताकि घरेलू खनन को प्रोत्साहन मिले. इससे न सिर्फ भारत की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार की कीमतों से किसान भी ज्यादा प्रभावित नहीं होंगे. इसके अलावा, भारत ने सऊदी अरब की कंपनी मदीन से 31 लाख टन तैयार DAP की आपूर्ति के लिए एक लंबी अवधि का समझौता किया है. इससे आने वाले महीनों में कीमतों पर कुछ हद तक नियंत्रण रह सकता है.

 

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 19 Jul, 2025 | 09:41 AM

फलों की रानी किसे कहा जाता है?

फलों की रानी किसे कहा जाता है?