ओडिशा सरकार ने महिला किसानों के लिए बनाई खास नीति, होगा सीधा फायदा

ओडिशा सरकार ने पहली बार महिला किसानों को कृषि विरासत की संरक्षक मानते हुए 'भुवनेश्वर घोषणा' जारी की है. इसमें महिलाओं को भूमि अधिकार, जैव विविधता संरक्षण, पारंपरिक खेती, और FPO-सहकारी समितियों को 5 साल की तकनीकी व वित्तीय सहायता जैसे प्रावधान शामिल हैं, ताकि महिलाओं की भूमिका को सशक्त पहचान मिले.

Kisan India
नोएडा | Published: 5 Dec, 2025 | 04:56 PM

Odisha Agriculture News: ओडिशा सरकार ने देश में पहली बार महिला किसानों को खेती और परंपरागत कृषि विरासत की असली संरक्षक मानते हुए एक खास नीति बनाई है. इसे ‘भुवनेश्वर घोषणा- महिला किसान और कृषि विरासत संरक्षण’ नाम दिया गया है. यह घोषणा महिलाओं की भूमिका को पहचान देने, कृषि जैव विविधता को बढ़ावा देने और पारंपरिक खेती को सुरक्षित रखने के लिए एक रोडमैप की तरह काम करेगी. यह पहल ऐसे समय में हुई है जब संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2026 को अंतरराष्ट्रीय महिला किसान वर्ष घोषित किया है.

ओडिशा में कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है. यहां लगभग 54 फीसदी कृषि कार्यबल महिलाएं हैं, जो बीज संभालने से लेकर खेती, फसल प्रसंस्करण और व्यापार तक हर चरण में योगदान देती हैं. इसके बावजूद, उनकी मेहनत को पूरी पहचान नहीं मिलती और राज्य में सिर्फ 13 फीसदी कृषि भूमि ही महिलाओं के नाम पर है. ओडिशा में सांस्कृतिक विविधता और पारंपरिक खान- पान की समृद्ध परंपरा एक-दूसरे से जुड़ी है और इन सबके केंद्र में महिलाएं हैं. वे खेती के साथ-साथ बीज संरक्षण, जंगलों से भोजन जुटाने और पर्यावरण को संवारने में अहम भूमिका निभाती हैं. इसके बावजूद, उनकी मेहनत को पूरा मान नहीं मिलता और राज्य में सिर्फ 13 फीसदी कृषि भूमि ही महिलाओं के नाम है.

महिला किसानों को होगा सीधा लाभ

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि एवं किसान सशक्तिकरण विभाग (A&FE) द्वारा तैयार इस घोषणा पत्र में कई प्रमुख क्षेत्रों पर काम करने की बात कही गई है. जैसे संसाधनों तक महिलाओं की पहुंच, कृषि जैव विविधता संरक्षण, कृषि विरासत को पुनर्जीवित करना, स्वास्थ्य और पोषण, कृषि मशीनरी, शोध और नवाचार, वैल्यू चेन विकास, प्रशिक्षण और जागरूकता, और नीतियों में सामंजस्य. इस घोषणा में खास तौर पर महिलाओं को जमीन और संसाधनों पर अधिकार दिलाने पर जोर दिया गया है. इसमें परिवारों को प्रोत्साहित करने की बात है कि वे जमीन महिलाओं के नाम दर्ज कराएं- चाहे संयुक्त रूप से या उनके व्यक्तिगत स्वामित्व में. अकेली महिला किसानों की जरूरतों को भी प्राथमिकता देने की बात कही गई है. साथ ही, महिलाओं को वनाधिकार कानून (FRA) के तहत हक दिलाने और उन्हें कृषि योजनाओं का सीधा लाभ सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया गया है.

समस्याओं को देखते हुए फैसला किया

ओडिशा सरकार ने महिला-नेतृत्व वाले सहकारी समितियों और एफपीओ (FPOs) की समस्याओं को देखते हुए फैसला किया है कि उन्हें कम से कम पांच साल तक तकनीकी और आर्थिक मदद दी जाएगी. इसमें ग्रांट, माइक्रोफाइनेंस और कम गारंटी वाले लोन तक बेहतर पहुंच दिलाकर महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत करने का लक्ष्य है. घोषणा पत्र का बड़ा हिस्सा कृषि जैव विविधता (Agrobiodiversity) को बचाने पर केंद्रित है. इसमें पारंपरिक बीज, पुराने खेती तरीकों, फसल चक्र, स्थानीय खाद्य प्रसंस्करण और देसी किस्मों के पोषण मूल्य से जुड़ी पारंपरिक तकनीकों को पहचानने और बढ़ावा देने की बात है. सरकार का उद्देश्य है कि उपेक्षित और कम इस्तेमाल होने वाली फसलों को बढ़ावा दिया जाए और महिलाओं जो जैव विविधता की संरक्षक हैं, को सब्सिडी, कानूनी सुरक्षा और लाभ-वितरण में पारदर्शिता दी जाए.

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