Almond Imports: भारत में बादाम की मांग लगातार बढ़ रही है और इसका सीधा असर आयात पर पड़ रहा है. अमेरिकी कृषि विभाग (USDA) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, मार्केटिंग ईयर 2025-26 (अगस्त 2025 से जुलाई 2026) में भारत का बादाम आयात लगभग 3 फीसदी बढ़कर 1.9 लाख टन तक पहुंचने का अनुमान है. वहीं, घरेलू उत्पादन इस बार थोड़ा घटकर केवल 4,100 टन रहने का अनुमान है.
जलवायु परिवर्तन से उत्पादन पर असर
रिपोर्ट में बताया गया है कि जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश जैसे प्रमुख बादाम उत्पादक राज्यों में प्रतिकूल मौसम, कम मिट्टी की नमी और जलवायु बदलाव के कारण पेड़ों की सेहत और पैदावार प्रभावित हो रही है. पिछले साल भारत में बादाम का उत्पादन करीब 4,150 टन था, जो इस बार हल्का घट सकता है. कई किसान अब बादाम की खेती छोड़कर सरकारी सहयोग वाली सेब की खेती की ओर रुख कर रहे हैं क्योंकि बादाम के बाग पुराने हो चुके हैं, उपज कम हो रही है और मुनाफा घट रहा है.
मंडी की कमी से किसानों को नुकसान
रिपोर्ट के अनुसार, बादाम के लिए कोई केंद्रीय मंडी न होने के कारण किसानों को अपनी उपज को या तो लंबे समय तक स्टोर करना पड़ता है या फिर बाहरी बाजारों में बेचनी पड़ती है. इससे किसानों की कमाई पर असर पड़ता है और उन्हें लागत के मुकाबले कम दाम मिलते हैं.
खपत में लगातार बढ़ोतरी
हालांकि उत्पादन में गिरावट चिंता की बात है, लेकिन भारत में बादाम की खपत तेजी से बढ़ रही है. रिपोर्ट के मुताबिक 2025-26 में खपत बढ़कर 1.95 लाख टन तक पहुंचने की उम्मीद है, जबकि 2024-25 में यह 1.86 लाख टन रही थी. इसके पीछे प्रमुख कारण हैं – देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था, मध्यम वर्ग का विस्तार, लोगों की बढ़ती आय और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता.
सुपरफूड के रूप में बादाम की लोकप्रियता
बादाम को “सुपरफूड” माना जाता है, क्योंकि इसमें प्रोटीन, फाइबर, विटामिन-ई और एंटीऑक्सीडेंट्स जैसे पोषक तत्व भरपूर होते हैं. पहले बादाम को पारंपरिक स्नैक्स के रूप में खाया जाता था, लेकिन अब युवा पीढ़ी इसे हेल्दी डाइट और ऑन-द-गो स्नैक के रूप में अपना रही है. ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म की वजह से बादाम अब छोटे शहरों और टियर-2, टियर-3 कस्बों तक आसानी से पहुंच रहा है.
वैश्विक स्तर पर भारत की स्थिति
भारत बादाम की खपत के मामले में अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर है. USDA का कहना है कि स्वास्थ्य और फिटनेस के प्रति युवाओं की बढ़ती रुचि आने वाले वर्षों में बादाम की मांग को और बढ़ावा देगी.
कुल मिलाकर, भारत में बादाम की मांग बढ़ती रहेगी, लेकिन जलवायु चुनौतियों और उत्पादन की सीमाएं किसानों के लिए नई मुश्किलें खड़ी कर रही हैं. सरकार और बाजार को मिलकर किसानों को बेहतर दाम और सुविधाएं देने की जरूरत है, ताकि घरेलू उत्पादन को मजबूत किया जा सके.