भारत सरकार ने मछली पालन और जलीय कृषि (Aquaculture) से जुड़े उपकरणों और उत्पादों पर जीएसटी (GST) की दरें घटाने का ऐलान किया है. यह फैसला लाखों मछुआरों और मत्स्य किसानों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है. नए टैक्स ढांचे से न केवल उनका खर्च कम होगा बल्कि घरेलू और वैश्विक बाजार में भारत की मछली और सीफूड (Seafood) को और ज्यादा प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिलेगी.
भारत का सीफूड सेक्टर कितना बड़ा है?
भारत आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है. साल 2024-25 में देश में करीब 195 लाख टन मछली का उत्पादन हुआ. वहीं 2023-24 में भारत से सीफूड का निर्यात 60,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का रहा. यह सेक्टर अकेले ही 3 करोड़ से अधिक लोगों को सीधा रोजगार और आय उपलब्ध कराता है. ऐसे में सरकार का यह कदम करोड़ों लोगों के जीवन को प्रभावित करने वाला साबित हो सकता है.
किन चीजों पर घटा GST?
सरकार ने मछली पालन और उससे जुड़ी कई जरूरी चीजों पर टैक्स घटाने का फैसला किया है:
- मछली का तेल, फिश एक्सट्रैक्ट और तैयार/संरक्षित मछली व झींगा उत्पादों पर जीएसटी 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया गया है.
- डीजल इंजन, पंप, एरेटर और स्प्रिंकलर जैसी मशीनें जो तालाबों और हैचरियों में इस्तेमाल होती हैं, अब सिर्फ 5 फीसदी जीएसटी पर मिलेंगी, जबकि पहले इन पर 12 से 18 फीसदी टैक्स देना पड़ता था.
- तालाब की तैयारी और पानी की गुणवत्ता बनाए रखने में काम आने वाले अमोनिया और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स जैसे जरूरी केमिकल्स पर भी जीएसटी घटाकर 5 फीसदी कर दिया गया है.
- मछली पकड़ने के उपकरण जैसे फिशिंग रॉड, नेट और अन्य गियर भी अब सस्ते मिलेंगे.
मछुआरों और किसानों पर असर
इस फैसले से सबसे ज्यादा फायदा सीधे मछुआरों और मत्स्य किसानों को होगा. पहले जहां उन्हें उपकरण और रसायनों पर ज्यादा खर्च करना पड़ता था, अब वह लागत कम हो जाएगी. इसका सीधा असर उनकी आय पर पड़ेगा. किसान कम लागत में ज्यादा उत्पादन कर पाएंगे और बेहतर क्वालिटी की मछली तैयार कर सकेंगे.
इसके साथ ही झींगा और अन्य समुद्री उत्पादों का निर्यात भी बढ़ने की उम्मीद है. भारतीय झींगा पहले से ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में बड़ी मांग रखता है. अब उत्पादन लागत कम होने से भारत की पकड़ और मजबूत होगी.
घरेलू उपभोक्ताओं के लिए भी राहत
यह कदम सिर्फ मछुआरों के लिए ही नहीं, बल्कि उपभोक्ताओं के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकता है. जीएसटी घटने से प्रोसेस्ड और हाइजीनिक मछली व झींगा उत्पादों की कीमतें कम हो सकती हैं. इससे आम लोग भी सुरक्षित और गुणवत्ता वाले सीफूड का सेवन कर पाएंगे.
किसानों के नजरिए से
किसानों का कहना है कि लंबे समय से वे सरकार से ऐसी राहत की मांग कर रहे थे. उपकरणों और रसायनों की ऊंची कीमतों के कारण मछली पालन महंगा हो गया था और छोटे किसान इस क्षेत्र से पीछे हट रहे थे. अब टैक्स कम होने से छोटे और मध्यम स्तर के किसान भी मछली पालन को एक लाभदायक विकल्प मान सकते हैं.
आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम
सरकार का यह कदम आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) की दिशा में भी महत्वपूर्ण है. घरेलू स्तर पर दाम घटने और निर्यात बढ़ने से भारत की स्थिति वैश्विक सीफूड बाजार में और मजबूत होगी. इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और आय के अवसर भी तेजी से बढ़ेंगे.