अटलांटिक ब्लूफिन टूना का आकार बहुत बड़ा होता है. एक पूरी तरह से विकसित मछली का वजन 200 से 300 किलो तक और लंबाई 10 फीट तक हो सकती है. यह मछली 40 साल से ज्यादा तक जीवित रह सकती है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह बेहद तेज तैरती है और कुछ सेकंड में बड़ी दूरी तय कर सकती है.
स्वस्थ मछली की पहचान मछली पालन की सफलता की पहली सीढ़ी है. चमकदार रंग, सामान्य व्यवहार, और सक्रिय तैराकी से मछली की सेहत का अंदाजा लगाया जा सकता है. थोड़ी सजगता अपनाकर मछुआरे नुकसान से बच सकते हैं और उत्पादन में बढ़ोतरी कर सकते हैं.
केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन ने इसे कोच्चि से लॉन्च किया. इस बार की जनगणना पूरी तरह डिजिटल और पेपरलेस होगी यानी न कागज का झंझट, न फाइलों का बोझ. केंद्रीय मंत्री जॉर्ज कुरियन ने कहा कि मछुआरों की सुरक्षा और आजीविका सरकार की प्राथमिकता है.
सर्दी में मछलियों की देखभाल बेहद जरूरी है. तापमान गिरने पर ग्रोथ पर असर पड़ता है, लेकिन सही उपाय अपनाकर किसान ठंड में भी बंपर उत्पादन कर सकते हैं. प्रोटीनयुक्त आहार, ताजा पानी और समय पर निगरानी से मछलियां स्वस्थ रहती हैं और मुनाफा बढ़ता है.
सरकार की मत्स्य पालन योजना किसानों के लिए बड़ा अवसर बन गई है. अब किसान अपने खेत में तालाब बनाकर मछली पालन से हर साल लाखों रुपये कमा सकते हैं. योजना के तहत सब्सिडी भी मिलती है, जिससे छोटे किसान भी इसे आसानी से शुरू कर सकते हैं.
ऑस्ट्रेलिया ने भारत से झींगा आयात पर प्रतिबंध इसलिए लगाया था क्योंकि पहले भेजे गए कुछ खेपों में व्हाइट स्पॉट वायरस पाया गया था. इस वायरस से झींगा की फसल पर भारी असर पड़ता है और स्थानीय प्रजातियों को भी खतरा रहता है. इसी कारण ऑस्ट्रेलिया ने कई वर्षों तक भारतीय झींगा पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी.