उत्तराखंड के चार सीमावर्ती जिलों के पशुपालकों ने इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) को मांस और मछली की आपूर्ति करके मात्र पांच महीनों में 2.6 करोड़ रुपये की कमाई की है.
व्हेल स्पर्म व्हेल लगातार हो रहे इनके शिकार की वजह से अब विलुप्त होती जा रही है. इतना ही नहीं, समुद्री प्रदूषण और नावों से टकराने जैसी घटनाओं के कारण इनकी संख्या में कमी आई है.
मछलीपालकों को सही तरीके से और तकनीक का इस्तेमाल करने से कमाई बढ़ रही है. जबकि, मछलियों की सेहत बेहतर बनाए रखने से उनकी ग्रोथ में इजाफा हो रहा है. यूपी सरकार तकनीक इस्तेमाल पर महिला मछलीपालकों को 60 फीसदी तक सब्सिडी दे रही है.
मछली पालन में भी किसानों को मछलियों की देखभाल की जरूरत होती है. लेकिन कई बार किसानों की लापरवाही से मछलियां गंभीर बीमारियों का शिकार हो जाती हैं.
पशुओं को बीमारी से बचाने के लिए उन्हें छायादार जगह पर रखना चाहिए, साथ ही पशुओं को नियमित रूप से पर्याप्त मात्रा में पानी देना चाहिए.
सरकार मछुआरों को नाव, जाल और अन्य उपकरण खरीदने के लिए 40 फीसदी तक की सब्सिडी दे रही है. इस योजना का लाभ परंपरागत मछुआरा समुदाय को मिलेगा, जानिए कैसे करें आवेदन.