जैसे ही गर्मी बढ़ती है, तालाबों की मछलियों पर बीमारी का खतरा मंडराने लगता है. जानें कैसे पौष्टिक आहार, साफ पानी और ऑक्सीजन स्तर बनाए रखकर मछलियों को बीमारियों से बचा सकते हैं.
हिमाचल के लाहौल-स्पीति में मत्स्य विभाग ने 10 हजार ट्राउट मछलियों के बीज का संग्रहण किया है. अच्छी डिमांड वाली इस मछली की कीमत 1500 रुपये प्रति किलो तक पहुंचती है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा हो रहा है.
तालाब बनाते समय सिर्फ खुदाई करना ही काफी नहीं होता. सही जमीन का चयन, मिट्टी की क्वालिटी और पानी की जांच सबसे जरूरी है. ऐसे में तालाब निर्माण से पहले कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है.
गर्मी में तालाब का पानी गर्म होने से मछलियों की जान को खतरा हो सकता है. ऐसे में पोटेशियम परमैग्नेट और चूने का छिड़काव, मछलियों की संख्या का संतुलन और खास तरह के खाने से मछलियों को बचाया जा सकता है.
गलत तरीके से डाला गया मछली का भोजन न सिर्फ तालाब को बर्बाद करता है, बल्कि मछलियों की सेहत और उत्पादन दोनों पर असर डालता है. ऐसे में सही फीड का चुनाव करना जरूरी हो जाता है.
कॉई फिश दुनिया की सबसे महंगी मछलियों में से एक है. 2018 में 'एस लीजेंड' नाम की एक कोहाकु कॉई मछली करीब 15 करोड़ रुपये में बिकी. इसकी खूबसूरती, ब्लडलाइन और जेंडर जैसे फैक्टर इसकी कीमत बढ़ाते हैं.