मछली पालन में तकनीकी क्रांति लाएगा भारत-मालदीव समझौता, जानिए दोनों देशों को क्या होगा फायदा?

भारत और मालदीव के बीच हुए इस समझौता ज्ञापन (MoU) के तहत दोनों देशों के मछुआरों, तकनीशियनों और वैज्ञानिकों को आपसी अनुभव साझा करने और एक-दूसरे के यहां प्रशिक्षण लेने का अवसर मिलेगा.

नई दिल्ली | Updated On: 26 Jul, 2025 | 08:22 AM

मछली पालन अब सिर्फ जीविका का साधन नहीं, बल्कि आर्थिक विकास और पर्यावरणीय संतुलन का अहम हिस्सा बन चुका है. इसी दिशा में एक बड़ी पहल करते हुए भारत और मालदीव के बीच मछली पालन और जलकृषि (Aquaculture) को लेकर एक अहम समझौता हुआ है. दोनों देशों ने मिलकर यह तय किया है कि वे एक-दूसरे के अनुभव, तकनीक और संसाधनों का इस्तेमाल करके इस क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएंगे.

क्या है यह समझौता?

भारत के मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अधीन मत्स्य विभाग और मालदीव के मत्स्य और महासागरीय संसाधन मंत्रालय के बीच यह साझा समझौता ज्ञापन (MoU) साइन हुआ है. इसका मकसद है दोनों देशों के बीच मछली पालन और जलकृषि क्षेत्र में सहयोग को गहरा और व्यावहारिक बनाना.

किन क्षेत्रों में होगा सहयोग?

इस समझौते के तहत कई अहम बिंदुओं पर काम किया जाएगा:

  • सस्टेनेबल ट्यूना (Tuna) और डीप सी फिशिंग को बढ़ावा देना
  • जलकृषि (Aquaculture) के जरिए संसाधनों का संतुलित उपयोग और प्रबंधन
  • फिशरीज पर आधारित इको-टूरिज्म को प्रोत्साहन
  • वैज्ञानिक शोध और नवाचार को बढ़ावा देना

मालदीव में बनेंगी मछली प्रोसेसिंग यूनिट्स

मालदीव की सरकार इस साझेदारी के तहत अपने देश में फिश प्रोसेसिंग (मछली प्रसंस्करण) क्षमता को बढ़ाने पर जोर देगी. इसके लिए वे कोल्ड स्टोरेज इंफ्रास्ट्रक्चर (ठंडी भंडारण प्रणाली) में निवेश करेंगे और जलकृषि क्षेत्र को मजबूत करेंगे. खासतौर पर हैचरी (अंडे से मछली तैयार करने की प्रक्रिया), उत्पादन दक्षता और नई-नई प्रजातियों के पालन पर ध्यान दिया जाएगा.

प्रशिक्षण और तकनीकी आदान-प्रदान भी होगा

भारत और मालदीव के बीच हुए इस समझौता ज्ञापन (MoU) के तहत दोनों देशों के मछुआरों, तकनीशियनों और वैज्ञानिकों को आपसी अनुभव साझा करने और एक-दूसरे के यहां प्रशिक्षण लेने का अवसर मिलेगा. इस पहल के जरिए जलजीवों की सेहत, जैव सुरक्षा (बायोसिक्योरिटी), एक्वाकल्चर फार्म प्रबंधन, कोल्ड चेन, मैकेनिकल और मरीन इंजीनियरिंग जैसे तकनीकी क्षेत्रों में कौशल विकास (स्किल डेवलपमेंट) को बढ़ावा मिलेगा. यह समझौता न केवल वर्तमान आवश्यकताओं को पूरा करेगा, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों को भी तकनीकी रूप से दक्ष और आत्मनिर्भर बनाने में मददगार साबित होगा.

टिकाऊ विकास की साझा सोच

भारत और मालदीव का यह समझौता सिर्फ एक औपचारिक दस्तावेज नहीं, बल्कि समुद्री संसाधनों के बेहतर, जिम्मेदार और टिकाऊ उपयोग की दिशा में एक ठोस कदम है. इससे दोनों देशों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी, और स्थानीय मछुआरों, महिलाओं और युवाओं को भी नए रोजगार और प्रशिक्षण के अवसर मिलेंगे.

Published: 26 Jul, 2025 | 08:13 AM