कम खर्च में ज्यादा मुनाफा, मुर्रा नस्ल की भैंस से शुरू करें दूध का बिजनेस

मुर्रा नस्ल की भैंस दूध उत्पादन में सबसे आगे है. इसे पालकर कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है. यही वजह है कि इसे 'काला सोना' कहा जाता है और अब युवा भी इसमें बिजनेस देख रहे हैं.

Saurabh Sharma
नोएडा | Updated On: 13 Sep, 2025 | 11:01 AM

डेयरी फार्मिंग आज के समय में सिर्फ दूध बेचने का जरिया नहीं रह गया है, बल्कि यह एक बड़ा बिजनेस आइडिया बन चुका है. आज कई युवा और किसान दूध उत्पादन के जरिए लाखों की कमाई कर रहे हैं. लेकिन सही नस्ल की जानकारी न होने पर कई लोग नुकसान भी उठा लेते हैं. इसीलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं भैंस की एक ऐसी खास नस्ल के बारे में, जिसे पालना किसी खजाने से कम नहीं- मुर्रा नस्ल की भैंस. यह भैंस न केवल दूध ज्यादा देती है, बल्कि इसकी कीमत भी काफी अच्छी होती है. यही वजह है कि इसे ‘काला सोना’ कहा जाता है.

दूध देने में है नंबर वन, इसलिए कहलाती है सबसे दुधारू नस्ल

मीडिया रिपर्ट के अनुसार, मुर्रा नस्ल की भैंस को दुनिया की सबसे ज्यादा दूध देने वाली भैंसों में गिना जाता है. यह एक दिन में औसतन 22 से 25 लीटर दूध देती है. यही नहीं, एक बार ब्याने पर यह भैंस 2800 से 3000 लीटर तक दूध देती है. ऐसे में अगर कोई किसान या युवा इसका पालन शुरू करता है, तो उसे दूध बिक्री से अच्छी खासी मासिक आय हो सकती है.

हरियाणा से हुई शुरुआत, अब देशभर में है डिमांड

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार,  मुर्रा नस्ल की भैंस की उत्पत्ति मुख्य रूप से हरियाणा से मानी जाती है. लेकिन अब यह नस्ल पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार जैसे राज्यों में भी बड़े पैमाने पर पाली जा रही है. किसान इसे पालकर अच्छी कमाई कर रहे हैं. बाजार में इसकी कीमत 60,000 से 1.5 लाख रुपये तक होती है. कुछ मामलों में इससे भी ज्यादा दाम मिलते हैं, खासकर जब भैंस दुग्ध उत्पादन में अव्वल हो.

दिखने में सुंदर और ताकतवर, पहचानना आसान

मुर्रा भैंस के शरीर की बनावट भी खास होती है. इसके छोटे, जलेबी आकार के सींग होते हैं जो थोड़े नुकीले होते हैं. इसके सिर, पूंछ और पैरों के बाल सुनहरे रंग के होते हैं, जबकि गर्दन पतली और स्तन भारी होते हैं. नाक थोड़ी घुमावदार होती है जो इसे दूसरी नस्लों से अलग बनाती है. इसके शरीर की बनावट देखकर कोई भी इसे आसानी से पहचान सकता है.

क्यों कहा जाता है इसे ‘काला सोना’?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार,  भैंसों की कई नस्लें होती हैं, लेकिन मुर्रा नस्ल को ‘काला सोना’ कहा जाता है. इसकी सबसे बड़ी वजह है इसका दूध देने का जबरदस्त रिकॉर्ड और बाजार में इसकी कीमत. यह नस्ल कम चारा खाकर भी ज्यादा दूध देती है और जल्दी बीमार भी नहीं पड़ती. इस कारण पशुपालकों को इलाज में भी ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ता. इसके अलावा, इसका दूध गाढ़ा और पौष्टिक होता है, जिससे इसका दूध भी ऊंचे दामों में बिकता है.

पढ़े-लिखे युवा भी जुड़ रहे हैं इस कारोबार से

पहले पशुपालन को सिर्फ ग्रामीण लोगों का काम माना जाता था, लेकिन अब शहरी और पढ़े-लिखे युवा भी इस क्षेत्र में आ रहे हैं. खासतौर पर डेयरी फार्मिंग एक बड़ा व्यवसाय बन चुका है. जो युवा नौकरी में सफलता नहीं पा सके या जो खुद का काम करना चाहते हैं, उनके लिए मुर्रा नस्ल की भैंस एक सुनहरा मौका है. थोड़ी सी ट्रेनिंग, सही जानकारी और मेहनत से कोई भी इस क्षेत्र में लाखों रुपये सालाना कमा सकता है.

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Published: 13 Sep, 2025 | 11:00 AM

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