Animal Husbandry: भारत में पशुपलान तेजी से बढ़ रहा है. इससे किसानों की अच्छी कमाई हो रही है. वहीं, केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी पशुपालन को बढ़ावा दे रही हैं. इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है और सब्सिडी मुहैया कराई जा रही है. लेकिन इन सभी के बावजूद अभी भी देश में अधिकांश किसानों को संतुलित पशु आहार के बारे में जानकारी नहीं है. उन्हें नहीं मालूम है कि पशुओं को किस मात्रा कौन सा पोषक तत्व देना चाहिए. तो आइए आ जानते हैं सस्टेनेबल पशु पोषण के बारे में.
दरअसल, सस्टेनेबल पशु पोषण का मतलब है पशुओं को संतुलित, गुणवत्तापूर्ण और वैज्ञानिक तरीके से तैयार किया गया आहार देना. इसमें अच्छे कंसन्ट्रेट, पौष्टिक हरा चारा, साइलिज और पर्याप्त सूखा चारा शामिल होता है. भारत जैसे देश में जहां पशुपालन ग्रामीण आजीविका और खाद्य सुरक्षा का बड़ा आधार है. इसलिए मवेशियों को सही पोषण देने से दूध उत्पादन में बड़ा बदलाव आ सकता है.
देश की जीडीपी में लगभग 5.5 फीसदी योगदान
भारत का पशुधन क्षेत्र देश की जीडीपी में लगभग 5.5 फीसदी और कृषि सकल मूल्य वर्धन (GVA) में करीब 30.23 फीसदी योगदान देता है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है, लेकिन इसके बावजूद देसी गायों और कम उत्पादन वाली भैंसों का दूध उत्पादन वैश्विक औसत से काफी कम है. इसका मुख्य कारण असंतुलित आहार, चारे की कमी, कमजोर स्वास्थ्य सेवाएं और पुरानी पद्धतियां हैं. संतुलित आहार और बेहतर चारा प्रबंधन अपनाने से दूध और पशुधन उत्पादन में साफ तौर पर बढ़ोतरी हो सकती है.
किसानों की आय बढ़ेगी
सस्टेनेबल पशु पोषण से उत्पादकता बढ़ती है, किसानों की आय मजबूत होती है, आजीविका सुरक्षित होती है और बेहतर गुणवत्ता वाला दूध व पशु उत्पाद मिलते हैं. साथ ही यह कृषि अर्थव्यवस्था, खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण संतुलन को भी लंबे समय तक मजबूती देता है. हालांकि, सस्टेनेबल पशु पोषण को सफल बनाने के लिए कुछ जरूरी शर्तें पूरी होना जरूरी है. किसानों को उचित दाम पर अच्छी गुणवत्ता का चारा और फीड मिलना चाहिए, जिसमें कंसन्ट्रेट, साइलिज और हरा चारा शामिल हो. साथ ही किसानों में सही आहार, पोषण जरूरतों और पशु स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता होनी चाहिए, जिसके लिए प्रशिक्षण और विस्तार सेवाएं जरूरी हैं. पशुओं के लिए पशु चिकित्सा सेवाएं, मिनरल सप्लीमेंट और बीमारियों से बचाव की सुविधाएं भी उपलब्ध हों. इसके अलावा चारा उत्पादन, गोबर प्रबंधन और फसल-पशुधन प्रणाली को आपस में जोड़ना जरूरी है, ताकि पशुपालन लंबे समय तक टिकाऊ और मजबूत बना रहे.