Dasheri Mango: नवाबों के दौर का यह आम स्वाद में बेमिसाल, विरासत भी है कमाल

दशहरी आम उत्तर प्रदेश के मलिहाबाद का एक प्रसिद्ध आम है, जिसे 2009 में GI टैग मिला है. इसका स्वाद, खुशबू और बिना रेशे वाला गूदा इसे औरों से अलग बनाता है.

नोएडा | Published: 20 Jun, 2025 | 06:56 PM

भारत में आम सिर्फ एक फल नहीं, बल्कि एक एहसास भी है. गर्मी के मौसम आते ही लोगों के जुबान पर आम और उसके किस्मों की चर्चा होने लगती है. आम को फलों का राजा होता है. और जब बात GI टैग वाले राज्य की होती है तो भारत के हर राज्य में अलग आम की अलग पहचान हैं. इसी कड़ी में आज हम उत्तर प्रदेश में मलिहाबाद के दशहरी आम के बारे में बात करेंगे. इस आम को साल 2009 में भौगोलिक संकेत (GI) टैग मिला है , यानी अब इसे मलिहाबाद की पहचान माना जाता है.

आम को पहचान दिलाने वाला टैग

GI टैग यानी ‘जियोग्राफिकल इंडिकेशन’ का मतलब है कि एक खास पहचान है जो किसी उत्पाद को उसके भौगोलिक क्षेत्र से जोड़ती है. इसका मतलब है कि किसी खास क्षेत्र में उत्पादित होने वाला उत्पाद जो अपनी खास गुणों के कारण उस क्षेत्र का है. भारत में ये कानून 1999 में बना और 2003 में लागू हुआ है. TRIPS समझौते के तहत लाए गए इस कानून के जरिए अब मलिहाबाद में उगने वाले दशहरी आम को कानूनी संरक्षण मिल गया है.

इन इलाकों में होता है दशहरी

मलिहाबादी दशहरी आम उत्तर प्रदेश के आसपास के जिलों जैसे हरदोई, बाराबंकी, सीतापुर और उन्नाव में उगाए गए आमों को भी दशहरी नाम से बेचा जाता है, जिससे कंज्यूमर कन्फ्यूज हो जाता है. GI टैग इस नकल को रोकने में मदद करता है और असली मलिहाबादी दशहरी की पहचान को बचाता है. इसके साथ ही दशहरी आम न सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी काफी पसंद किया जाता है. इसके स्वाद और खुशबू के कारण इसकी मांग दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है.

आमों की राजधानी

लखनऊ जिले के मलिहाबाद, माल और काकोरी तहसीलों में फैला करीब 11,500 हेक्टेयर क्षेत्रफल देश का सबसे बड़ा मैंगो बेल्ट कहा जाता है. उत्तर प्रदेश देश में 34 प्रतिशत आम उत्पादन के साथ सबसे आगे है. दशहरी यहां की सबसे प्रसिद्ध किस्म है, जिसकी मिठास, गंध और बिना रेशे वाला गूदा इसे औरों से काफी अलग बनाता है.

इतिहास और विरासत

दशहरी आम का इतिहास नवाबों के दौर से जुड़ा है. कहा जाता है कि दशहरी की शुरुआत लखनऊ और मलिहाबाद के बीच स्थित ‘दुशेर’ गांव से हुई थी. वहां के बाग में एक बेहतरीन पौधा उगा, जिसे नवाब ने आलमगीर खान को दिया. और फिर उन्होंने इस आम के किस्म को मलिहाबाद में लगाया और यहीं से यह आम पूरे राज्य में प्रसिद्ध हो गया.