दुनिया के चावल बाजार पर किसका राज? जानें भारत, चीन और बाकी देशों का हाल

चावल दुनिया की लगभग 55 फीसदी आबादी का मुख्य भोजन है. भारत, चीन, जापान, दक्षिण एशिया, अफ्रीका और मध्य पूर्व जैसे क्षेत्रों में रोजमर्रा के भोजन में चावल अनिवार्य है. यही वजह है कि चावल की वैश्विक मांग कभी कम नहीं होती.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 9 Dec, 2025 | 03:58 PM

चावल दुनिया के करोड़ों लोगों की थाली का सबसे बड़ा हिस्सा है. यही वजह है कि यह व्यापार की दुनिया में भी सबसे ज्यादा खरीदा-बेचा जाने वाला खाद्यान्न है. भारत में चावल को सिर्फ भोजन नहीं, बल्कि संस्कृति और परंपरा का अभिन्न हिस्सा माना जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया में सबसे सस्ता चावल कौन बेचता है? और किस देश में चावल की पैदावार सबसे ज्यादा होती है? इन सवालों के जवाब जानना इसलिए जरूरी है, क्योंकि चावल का उत्पादन, निर्यात और कीमतें वैश्विक बाजार और किसानों की आमदनी को प्रभावित करती हैं. आइए समझते हैं.

भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक

वैश्विक रिपोर्ट्स के अनुसार साल 2024–25 में भारत ने 11.83 अरब डॉलर मूल्य का चावल निर्यात किया. यह आंकड़ा दुनिया के कुल चावल निर्यात का लगभग 30.3 फीसदी है. इसका मतलब है कि दुनिया के हर तीन बोरे निर्यातित चावल में से एक बोरा भारत से जाता है.

भारत चावल को अन्य देशों की तुलना में काफी कम कीमत पर बेचता है, इसलिए इसे दुनिया का सबसे सस्ता और सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश माना जाता है.

भारत में चावल उत्पादन की विभिन्नता भी काफी व्यापक है. बासमती, सोनी मसूरी, कोलम, सरना, जीरकसला, शब्बो और कई स्थानीय किस्में अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की पहचान बन चुकी हैं.

दूसरे और तीसरे नंबर पर कौन?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत के बाद चावल निर्यात में थाईलैंड और वियतनाम का नाम आता है. थाईलैंड करीब 6.37 अरब डॉलर का चावल निर्यात करता है, जो वैश्विक निर्यात का लगभग 16.3 फीसदी है. वहीं वियतनाम प्रतिवर्ष 5.70 अरब डॉलर मूल्य का चावल निर्यात करता है और इसकी हिस्सेदारी लगभग 14.2 फीसदी है. इन दोनों देशों का चावल मुख्य रूप से एशिया, अफ्रीका और यूरोप के बड़े बाजारों में जाता है.

भारत चावल विदेशी बाजार में छाया

भारत के चावल निर्यात की सफलता सिर्फ किसानों की मेहनत से नहीं, बल्कि बड़ी निर्यातक कंपनियों की भूमिका से भी जुड़ी है. जिसकी वजह से भारतीय बासमती और नॉन-बासमती चावल की पहचान को पूरी दुनिया में मजबूत किया है. अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपियन यूनियन, दक्षिण अफ्रीका और अरब देशों में भारतीय चावल की मांग लगातार बढ़ रही है.

दुनिया की जरूरत

चावल दुनिया की लगभग 55 फीसदी आबादी का मुख्य भोजन है. भारत, चीन, जापान, दक्षिण एशिया, अफ्रीका और मध्य पूर्व जैसे क्षेत्रों में रोजमर्रा के भोजन में चावल अनिवार्य है. यही वजह है कि चावल की वैश्विक मांग कभी कम नहीं होती.

चावल की कुल वैश्विक व्यापारिक कीमत 39.10 अरब डॉलर तक पहुंच चुकी है, जिसमें भारत का योगदान सबसे अधिक है.

चीन-सबसे बड़ा उत्पादक

एक बड़ा दिलचस्प तथ्य यह है कि भले ही भारत निर्यात में नंबर एक है, लेकिन चावल का सबसे बड़ा उत्पादक देश चीन है. चीन दुनिया की आबादी में दूसरे नंबर पर है और चावल वहां का मुख्य भोजन है. चीन जितना चावल उगाता है, उसका लगभग पूरा हिस्सा घरेलू खपत में ही चला जाता है. इसी वजह से चीन की वैश्विक निर्यात हिस्सेदारी सिर्फ 2 फीसदी है, जबकि उत्पादन में वह दुनिया में सबसे आगे है.

चीन अपने देश की खाद्य सुरक्षा को प्राथमिकता देता है और अनाज को ज्यादा बाहर नहीं बेचता. यही उसकी रणनीति है कि किसी भी स्थिति में देश के भीतर चावल की कमी न पड़े.

भारत सबसे सस्ता चावल क्यों बेच पाता है?

इसके पीछे कई वजहें हैं

  • भारत में चावल की पैदावार बड़े पैमाने पर होती है.
  • विभिन्न किस्मों के कारण बाजार का दायरा ज्यादा है.
  • भारतीय किसान बड़ी मात्रा में उत्पादन कर लेते हैं, जिससे लागत प्रति किलो कम आती है.
  • सरकार की निर्यात नीतियों से भी सपोर्ट मिलता है.

इन्हीं कारणों की वजह से भारत कम कीमत पर भी बड़े पैमाने पर चावल निर्यात कर पाता है.

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